शेयर बाजार में गिरावट: पड़ोसियों का प्रभाव और विदेशी निवेशकों की रणनीतियाँ

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हाल के समय में भारतीय शेयर बाजार में देखी जा रही गिरावट ने निवेशकों के बीच चिंता की लहर दौड़ा दी है। लंबे समय तक तेजी का दौर देखने के बाद, निफ्टी ने 26000 के स्तर को पार किया, लेकिन अब यह 24800 के नीचे कारोबार कर रहा है। इस गिरावट के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की एक प्रमुख ब्रोकरेज फर्म ने एक नया पहलू सामने रखा है, जो इसे और भी दिलचस्प बनाता है।

शेयर बाजार में गिरावट: पड़ोसियों का प्रभाव और विदेशी निवेशकों की रणनीतियाँ
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गिरावट के विभिन्न कारण

जब हम बाजार की गिरावट के बारे में बात करते हैं, तो विभिन्न निवेशक अपने-अपने तर्कों के साथ सामने आते हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव ने बाजार पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। वहीं, कुछ का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी ने भी बिकवाली को बढ़ावा दिया है। लेकिन, मैक्वेरी की एक रिपोर्ट ने एक और दिलचस्प कारक पर ध्यान केंद्रित किया है।

चीन का बढ़ता प्रभाव

मैक्वेरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हाल ही में चीन के बाजारों में उछाल आया है, जिससे विदेशी निवेशक वहां से कुछ मुनाफा कमाने के लिए आकर्षित हो रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारतीय बाजार दीर्घकालिक निवेश के दृष्टिकोण से अभी भी एक पसंदीदा स्थान बना हुआ है, लेकिन निवेशकों के लिए चीन और भारत के बीच चयन करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बनता जा रहा है।

चीन की आर्थिक नीतियाँ

चीन ने हाल ही में अपने आर्थिक ढांचे में नई जान फूंकने के लिए बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन उपायों की घोषणा की है। यह न केवल स्थानीय बाजार को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि विदेशी निवेशकों को भी आकर्षित कर रहा है। जब चीन द्वारा उठाए गए कदमों की तुलना भारत के मौजूदा आर्थिक माहौल से की जाती है, तो यह स्पष्ट होता है कि भारतीय बाजार अभी तीन प्रमुख नकारात्मक स्थितियों का सामना कर रहा है:

  1. कमजोर आर्थिक वृद्धि: भारतीय अर्थव्यवस्था में हाल के समय में अपेक्षित वृद्धि दर नहीं दिखाई दे रही है, जिससे निवेशकों का विश्वास डगमगा गया है।
  2. उच्च मूल्यांकन: शेयर बाजार में ऊँचे मूल्यांकन के कारण निवेशकों को यह महसूस हो रहा है कि आगे और गिरावट संभव है, जिससे वे निवेश करने से हिचकिचा रहे हैं।
  3. बिकवाली का दबाव: विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) लगातार भारतीय बाजारों में बिकवाली कर रहे हैं, जिससे बाजार की ऊपरी स्तरों से गिरावट आ रही है।
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विदेशी निवेशकों की रणनीतियाँ

विदेशी निवेशकों की निरंतर बिकवाली का मुख्य कारण उनके पोर्टफोलियो को संतुलित करना और बेहतर रिटर्न के अवसरों की तलाश करना है। जब निवेशक एक अधिक संभावित बाजार की ओर बढ़ते हैं, तो इसका सीधा प्रभाव उन बाजारों पर पड़ता है जो पहले उनके लिए प्राथमिकता में थे। भारत में भी हाल के समय में घरेलू प्रवाह के कारण कुछ वृद्धि देखने को मिली है, लेकिन वह स्थायी नहीं है।

भारत का दीर्घकालिक दृष्टिकोण

हालांकि, मैक्वेरी की रिपोर्ट में कहा गया है कि दीर्घकालिक निवेश के लिए भारत का स्थान मजबूती से बना हुआ है। निवेशकों को यह समझना होगा कि अस्थायी गिरावटें सामान्य हैं और अच्छे निवेश अवसरों को पहचानने के लिए धैर्य की आवश्यकता है।

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निवेशकों के लिए सलाह

अगर आप एक निवेशक हैं और इस गिरावट से चिंतित हैं, तो निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें:

  • निवेश की विविधता: अपने पोर्टफोलियो को विविध बनाएं और विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करें। इससे आप बाजार की अस्थिरता से कुछ हद तक बच सकते हैं।
  • दीर्घकालिक दृष्टिकोण: बाजार की अस्थायी गिरावट पर ध्यान देने के बजाय, दीर्घकालिक निवेश के दृष्टिकोण को अपनाएं।
  • अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर नज़र रखें: वैश्विक और स्थानीय आर्थिक संकेतकों पर ध्यान दें, क्योंकि ये निवेश के निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं।

भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन यह भी सच है कि चीन के बाजारों में उठाव ने भारतीय निवेशकों को एक नई दिशा में सोचने पर मजबूर कर दिया है। निवेशकों को चाहिए कि वे धैर्य रखें और बाजार के मौजूदा परिवर्तनों को समझते हुए अपने निवेश निर्णय लें। दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ और सही जानकारी के आधार पर निवेश करने से आप इस गिरावट का सामना कर सकते हैं और बेहतर रिटर्न की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

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