भारतीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने हाल ही में ‘गिग वर्कर्स’ के लिए एक नई नीति की घोषणा की है, जो उन्हें पेंशन और स्वास्थ्य सेवा जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करेगी। इस पहल का उद्देश्य गिग श्रमिकों की आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना है, जो देश में तेजी से बढ़ते श्रम बल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं। आइए जानते हैं गिग वर्कर्स कौन होते हैं और सरकार की नई नीति में क्या विशेषताएँ हैं।
गिग वर्कर्स: एक परिचय
गिग वर्कर्स वे कर्मचारी होते हैं जो अस्थायी या अनुबंध आधारित काम करते हैं। वे स्थायी कर्मचारियों के बजाय कंपनियों द्वारा अस्थायी रूप से काम पर रखे जाते हैं। यह श्रेणी विभिन्न उद्योगों में फैली हुई है, जिसमें डिलीवरी ब्वॉय, ड्राइवर, कूरियर सेवाएं, और कई अन्य क्षेत्र शामिल हैं। गिग वर्कर्स के लिए काम की प्रकृति और रोजगार की स्थिति के कारण, उन्हें स्थायी रोजगार की स्थिरता नहीं मिलती, और ऐसे में सामाजिक सुरक्षा के लाभ भी सीमित होते हैं।
भारत में गिग वर्कर्स की स्थिति
हाल ही में नीति आयोग ने अनुमान लगाया है कि भारत में गिग गतिविधियों से जुड़े कामगारों की संख्या लगभग 65 लाख है, लेकिन इस संख्या के 2 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। डिजिटल प्लेटफॉर्मों के जरिए रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप गिग वर्कर्स की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। वर्तमान में, गिग वर्कर्स की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने उनकी सुरक्षा और भलाई के लिए कदम उठाने की आवश्यकता महसूस की है।
सरकार की नई नीति: क्या होगा बदलने वाला?
केंद्रीय श्रम मंत्री ने कहा है कि गिग वर्कर्स को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। इस नीति के अंतर्गत निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा:
- पेंशन योजना: गिग वर्कर्स को नियमित पेंशन का लाभ मिलेगा, जिससे उनकी सेवानिवृत्ति के बाद की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।
- स्वास्थ्य सेवा: सभी गिग श्रमिकों को स्वास्थ्य सेवा के लाभ प्रदान किए जाएंगे, जिससे वे मेडिकल आपात स्थितियों में बेहतर सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे।
- बीमा योजना: गिग वर्कर्स के लिए बीमा योजनाएँ भी लागू की जाएंगी, ताकि वे अनपेक्षित घटनाओं में वित्तीय सुरक्षा पा सकें।
- विशिष्ट पहचान संख्या: सरकार गिग वर्कर्स के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या बनाने पर विचार कर रही है, जिससे उनकी पहचान और लाभ प्राप्त करना सरल हो सके।
- संरक्षित रोजगार: नई नीति गिग वर्कर्स को एक कानूनी रूप से बाध्यकारी सुरक्षा प्रदान करेगी, जिससे उनके अधिकारों का उल्लंघन नहीं हो सकेगा।
गिग वर्कर्स की चुनौतियाँ
हालांकि गिग वर्कर्स को कई फायदे मिलेंगे, लेकिन उन्हें अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें से कुछ प्रमुख चुनौतियाँ हैं:
- आर्थिक असुरक्षा: अस्थायी कार्य के कारण गिग को नियमित वेतन और अन्य लाभों की कमी का सामना करना पड़ता है।
- कानूनी अधिकारों की कमी: गिग को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी कम होती है, जिससे वे अपने हक के लिए लड़ नहीं पाते।
- स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी: अधिकांश गिग को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिलता, जो उनके लिए गंभीर समस्या बन सकती है।
सरकार का दृष्टिकोण
सरकार का मानना है कि गिग की आर्थिक सुरक्षा के लिए नई नीति का कार्यान्वयन आवश्यक है। इस दिशा में श्रम मंत्रालय ने विभिन्न संगठनों और समूहों के साथ बैठकें की हैं ताकि उनकी समस्याओं और सुझावों को ध्यान में रखा जा सके। मांडविया ने यह आश्वासन दिया है कि नई नीति पूरे देश में कानूनी रूप से बाध्यकारी होगी, और इससे गिग वर्कर्स को उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद मिलेगी।
भविष्य की दिशा
भारत में गिग की बढ़ती संख्या और उनके अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता को देखते हुए, सरकार की नई नीति एक सकारात्मक कदम है। इससे न केवल गिग को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी, बल्कि यह सामाजिक सुरक्षा के अन्य लाभों को भी सुनिश्चित करेगा।
आगे चलकर, यह महत्वपूर्ण होगा कि सरकार अपनी नीति को प्रभावी ढंग से लागू करे और यह सुनिश्चित करे कि सभी गिग वर्कर्स तक उसके लाभ पहुँचें। इसके लिए उपयुक्त नियमों और प्रक्रियाओं का निर्माण करना आवश्यक होगा, ताकि वर्कर्स को उनके अधिकारों का पूर्ण ज्ञान हो सके और वे उनका सही ढंग से लाभ उठा सकें।
वर्कर्स के लिए सरकार की नई नीति एक महत्वपूर्ण बदलाव है जो उनकी आर्थिक सुरक्षा और भलाई को सुनिश्चित करेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वे अपने काम के दौरान और उसके बाद भी एक सुरक्षित और बेहतर जीवन जी सकें। भारत में गिग की बढ़ती संख्या के साथ, इस नीति का प्रभाव दीर्घकालिक होगा और यह श्रम बाजार में सकारात्मक बदलाव लाने में मददगार साबित होगा।