सीमा पर दुश्मनी, धंधे में दोस्ती: भारत-चीन व्यापार के जटिल समीकरण

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भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक पुरानी कहानी है, लेकिन इस विवाद का असर व्यापारिक रिश्तों पर नहीं पड़ा है। पिछले कुछ वर्षों में, विशेषकर जून 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद से, दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट आई है। फिर भी, यह आश्चर्यजनक है कि इस संकट के बावजूद चीन, भारत का सबसे बड़ा आयात स्रोत बना हुआ है। इस लेख में, हम इस जटिल स्थिति का विश्लेषण करेंगे और यह जानने की कोशिश करेंगे कि कैसे सीमा विवाद के बावजूद व्यापारिक संबंध मजबूत बने हुए हैं।

सीमा पर दुश्मनी, धंधे में दोस्ती: भारत-चीन व्यापार के जटिल समीकरण
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सीमा विवाद का इतिहास

भारत-चीन सीमा विवाद का इतिहास कई दशकों पुराना है। यह विवाद मुख्य रूप से अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्रों को लेकर है। 1962 में भारत-चीन युद्ध ने इन रिश्तों को और भी बिगाड़ दिया। हाल ही में, गलवान घाटी में हुई झड़पों ने इन संबंधों में और अधिक तनाव पैदा किया। इसके बावजूद, व्यापारिक आंकड़े कुछ और ही कहानी बताते हैं।

व्यापारिक संबंधों की मजबूती

आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर 2024 के बीच, भारत ने चीन से कुल 56.29 अरब डॉलर का आयात किया। यह एक उल्लेखनीय वृद्धि है, जो दर्शाता है कि भारत की चीन पर निर्भरता में कमी नहीं आई है। इस अवधि में, भारत ने चीन से 11.5 प्रतिशत अधिक सामान खरीदा। इसके विपरीत, अमेरिका के लिए निर्यात बढ़कर 40.38 अरब डॉलर हो गया, जो दर्शाता है कि अमेरिका भारत का प्रमुख निर्यात गंतव्य बन गया है।

आयात के स्रोत

भारत में होने वाले आयात के शीर्ष स्रोतों में चीन, रूस, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, इराक, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, स्विट्जरलैंड और सिंगापुर शामिल हैं। इस क्रम में, रूस से आयात में भी वृद्धि हुई है, जो कि 32.18 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इसी प्रकार, यूएई से आयात भी बढ़कर 31.46 अरब डॉलर हो गया। यह डेटा दर्शाता है कि भारत अपने व्यापारिक संबंधों को विविध बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन चीन की स्थिति मजबूत बनी हुई है।

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निर्यात के विकास

भारत का निर्यात भी सकारात्मक दिशा में बढ़ रहा है। अमेरिका, यूएई, नीदरलैंड, ब्रिटेन, चीन, सिंगापुर, सऊदी अरब, बांग्लादेश, जर्मनी और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के लिए भारत का निर्यात लगातार बढ़ रहा है। विशेष रूप से, यूएई को निर्यात 17.24 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। हालांकि, चीन को निर्यात में थोड़ी कमी आई है, जो कि 6.91 अरब डॉलर रहा है।

भारत का व्यापारिक भागीदार

अमेरिका ने 2023-24 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनने की स्थिति में रखा है, जबकि चीन का स्थान दूसरे स्थान पर है। 2013-14 से 2017-18 और 2020-21 में, चीन भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार रहा था। यह दर्शाता है कि बदलते समय के साथ व्यापारिक प्राथमिकताएं भी बदल रही हैं।

व्यापार में चुनौतियाँ

हालांकि व्यापारिक संबंधों में मजबूती दिख रही है, लेकिन यह बात भी स्पष्ट है कि सीमा विवाद ने रिश्तों में जटिलताएँ बढ़ा दी हैं। भारत ने अपने लोगों को स्थानीय उत्पादों को अपनाने और चीनी सामानों के खिलाफ जागरूक करने का प्रयास किया है। इसके बावजूद, कई उत्पादों की आवश्यकताएं, जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, औषधि, और कच्चे माल, भारत की चीन पर निर्भरता को बनाए रखती हैं।

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इस प्रकार, भारत और चीन के बीच का व्यापार एक जटिल और परस्पर निर्भरता की कहानी है। सीमा पर दुश्मनी और व्यापार में दोस्ती के इस जटिल समीकरण को समझना आवश्यक है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राष्ट्रीयता के बावजूद आर्थिक संबंध मजबूत बने हुए हैं।

आगे देखते हुए, यह महत्वपूर्ण होगा कि भारत अपनी आर्थिक नीतियों को मजबूत करे और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयासरत रहे, ताकि भविष्य में इस प्रकार के व्यापारिक रिश्तों को और मजबूती मिल सके। सीमा पर तनातनी के बावजूद, व्यापार में दोस्ती का यह रिश्ता भविष्य में और भी जटिल हो सकता है, और इसके प्रभावों को समझने के लिए हमें समय के साथ चलना होगा।

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