कादर खान: संघर्ष से सफलता की कहानी

0

कादर खान का नाम भारतीय सिनेमा में एक महान कलाकार और लेखक के रूप में जाना जाता है। वे अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देख चुके थे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनके संघर्ष और मेहनत की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। आज हम आपको कादर खान की अद्भुत यात्रा के बारे में बताएंगे, जो उनके अद्वितीय व्यक्तित्व और कड़ी मेहनत का प्रतीक है।

कादर खान: संघर्ष से सफलता की कहानी
https://thenationtimes.in/wp-content/uploads/2024/10/image-1368.png

बचपन की कठिनाइयाँ

कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर 1937 को अफगानिस्तान में हुआ था। मात्र एक वर्ष की उम्र में, उनके माता-पिता अफगानिस्तान से भारत आ गए और मुंबई के एक स्लम में बस गए। हालात बेहद कठिन थे। परिवार के बंटवारे और माता-पिता के तलाक ने कादर के जीवन को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया। कादर खान की मां ने दूसरी शादी कर ली, जिसके बाद उनका सौतेला पिता उन्हें प्रताड़ित करता था। कई बार कादर को अपने पिता से पैसे मांगने के लिए 10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था, और कई बार उन्हें मस्जिद के बाहर भीख भी मांगनी पड़ती थी।

ऐसे कठिन समय में, कादर खान का परिवार हफ्ते में केवल तीन दिन ही खाना खा पाता था। ऐसे में, शिक्षा का महत्व समझने में उन्हें कठिनाई महसूस हुई। एक बार जब उन्होंने दोस्तों की बातें सुनकर अपनी किताबें जला दीं, तब उनकी मां ने उन्हें समझाया कि पढ़ाई से ही गरीबी का अंत होगा। कादर ने अपनी मां से वादा किया कि वे पढ़ाई में अच्छा करेंगे और एक बड़ा आदमी बनेंगे।

image 1371

शिक्षा और संघर्ष का सफर

कादर ने अपनी मां के कहे पर अमल किया और पढ़ाई में ध्यान दिया। उन्होंने मुंबई के एमएच साबू सिद्दीक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की और बाद में उसी कॉलेज में प्रोफेसर बन गए। लेकिन कादर का मन हमेशा थिएटर की ओर था।

उनके एक ड्रामा “ताश के पत्ते” ने बड़ी धूम मचाई। इस नाटक की ख्याति इतनी फैली कि यह दिलीप कुमार के कानों तक पहुंच गई। दिलीप कुमार ने उन्हें फोन किया और इस नाटक को देखने की इच्छा जताई। यह क्षण कादर के लिए एक नई दिशा का संकेत था।

फिल्मी करियर की शुरुआत

ड्रामा देखने के बाद दिलीप कुमार ने तुरंत ही कादर खान को फिल्म में काम देने की घोषणा की। इसके बाद, कादर खान ने दो फिल्मों में काम किया, जिसमें “दाग” (1973) और “सत्यम शिवम सुंदरम” जैसी फ़िल्में शामिल थीं।

इसके बाद कादर खान ने अपनी स्क्रिप्ट लेखन की प्रतिभा को भी निखारा। उन्होंने 200 से अधिक फिल्मों के लिए डायलॉग्स लिखे, जो बॉलीवुड की कई सफलताओं का हिस्सा बने। उनकी लेखनी में ऐसा जादू था कि दर्शकों को उनकी फिल्में देखने के लिए मजबूर होना पड़ता था।

सफलता के शिखर पर

1970 के दशक के अंत से 90 के दशक तक, कादर खान ने कई प्रकार के किरदार निभाए। वे न केवल एक अद्वितीय अभिनेता थे, बल्कि उनके संवाद भी दर्शकों में गूंजते रहे। उनकी कॉमेडी और ड्रामा का मेल उन्हें विशेष बनाता था।

कादर खान का योगदान केवल अभिनय तक सीमित नहीं था। उन्होंने हिंदी सिनेमा में कुछ बेहतरीन गाने भी लिखे। उनकी फिल्म “कुली” में लिखा गया गाना “मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू” आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है।

image 1370

अंतिम वर्षों में विरासत

कादर खान ने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में भी सिनेमा से जुड़े रहे, लेकिन उनकी स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ती गईं। 2018 में, उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी यादें आज भी उनके चाहने वालों के दिलों में जिंदा हैं।

कादर खान का जीवन संघर्ष और सफलता की एक अद्वितीय कहानी है। उन्होंने अपने जीवन में जितनी कठिनाइयाँ देखीं, उतनी ही दृढ़ता से उन्होंने उन्हें पार किया। उनकी मां के प्रति वादा निभाने के लिए उन्होंने अपनी शिक्षा को प्राथमिकता दी और अंततः भारतीय सिनेमा में अपनी एक खास पहचान बनाई।

कादर खान की कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाईयों का सामना करते हुए भी लक्ष्य के प्रति निरंतरता रखनी चाहिए। उनकी मेहनत, लगन और संघर्ष ने उन्हें उस स्थान तक पहुंचाया, जहां आज उन्हें एक महान कलाकार के रूप में याद किया जाता है। कादर खान का जीवन यह साबित करता है कि अगर मन में संकल्प हो और मेहनत की जाए, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती। उनकी अदाकारी और लेखनी के माध्यम से, वे हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here