बॉलीवुड के लोकप्रिय सितारे सनी देओल ने हमेशा हीरो के रूप में दर्शकों के दिलों में जगह बनाई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने पर्दे पर विलेन बनकर भी दर्शकों को प्रभावित किया है? सनी देओल का खलनायक बनना एक नई परिभाषा को जन्म देता है, और उनकी ये भूमिकाएं अक्सर दर्शकों को चौंका देती हैं। आइए जानते हैं उन फिल्मों के बारे में जहां सनी देओल ने खलनायक की भूमिका निभाई है।
1. फॉक्स (2009)
सनी देओल की फिल्म “फॉक्स” में वे विलेन के किरदार में नजर आए। इस फिल्म में उनके साथ अर्जुन रामपाल, उदिता गोस्वामी और सागरिका घाटगे भी थे। कहानी में सनी का चरित्र न केवल खलनायक था, बल्कि उसके पास एक गहरी पृष्ठभूमि भी थी। उनकी दहशत और अभिनय ने इस फिल्म को दर्शकों के बीच एक यादगार अनुभव बना दिया। सनी देओल ने दिखाया कि वे न केवल एक हीरो, बल्कि एक प्रभावशाली विलेन भी हो सकते हैं।
2. ढिश्कियाऊं (2014)
“ढिश्कियाऊं” में सनी देओल ने एक गैंगस्टर की भूमिका निभाई, जो प्यार में उलझा हुआ है। इस फिल्म में हरमन बवेजा और शिल्पा शेट्टी ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई। सनी का किरदार एक कन्फ्यूज्ड गैंगस्टर था, जो अपने प्यार और करियर के बीच फंस जाता है। इस फिल्म में उन्होंने अपने डायलॉग्स और अदाकारी से दर्शकों को प्रभावित किया। सनी की खलनायकी ने फिल्म को एक अलग दिशा दी, जो दर्शकों के लिए मनोरंजक थी।
3. राइट या रॉन्ग (2009)
“राइट या रॉन्ग” एक ऐसी फिल्म थी जिसमें सनी देओल का किरदार न तो हीरो था और न ही विलेन। इस फिल्म में उन्होंने एक डार्क कैरेक्टर निभाया, जो लगातार परिस्थितियों के जाल में उलझा रहता है। दर्शक पूरे समय कन्फ्यूज रहते हैं कि सनी का किरदार सही है या गलत। इस फिल्म ने सनी की अदाकारी को एक नए आयाम पर पहुंचाया और दिखाया कि वे कितने विविधतापूर्ण अभिनेता हैं।
4. अर्जुन पंडित (1999)
“अर्जुन पंडित” में सनी देओल ने एक जटिल चरित्र निभाया। फिल्म में उनकी भूमिका एक आम आदमी से गैंगस्टर में बदलने की थी, जो प्यार में धोखा खाने के बाद खलनायक बन जाता है। इस फिल्म ने सनी को एक ऐसा स्टार बना दिया जो सिर्फ एक्शन नहीं, बल्कि भावनात्मक दृश्यों में भी पारंगत हैं। “अर्जुन पंडित” ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया और यह सनी की करियर की सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जाती है।
सनी देओल की खलनायकी का जादू
सनी देओल की खलनायक की भूमिकाएं उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई हैं। उनकी दहशत और अदाकारी ने दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि वे केवल एक हीरो नहीं, बल्कि एक अद्भुत विलेन भी हैं। उनका व्यक्तित्व और संवाद अदायगी ने उन्हें एक अलग पहचान दी है।
सनी की खलनायकी ने यह साबित किया है कि एक अभिनेता के रूप में उनकी क्षमता कितनी विशाल है। जब वे पर्दे पर विलेन बनते हैं, तो वे अपनी नकारात्मकता को ऐसे पेश करते हैं कि दर्शक उनकी कहानी में खुद को शामिल कर लेते हैं।
सनी देओल की खलनायकी का सफर उनकी अदाकारी की गहराई को दर्शाता है। चाहे वे “फॉक्स”, “ढिश्कियाऊं”, “राइट या रॉन्ग” या “अर्जुन पंडित” में हों, सनी ने हमेशा अपनी भूमिकाओं को न केवल निभाया है, बल्कि उन्हें जिया है। दर्शकों के दिलों में उनके प्रति एक अलग स्नेह और सम्मान है, जो उनकी विभिन्न भूमिकाओं के कारण और भी मजबूत हुआ है।
उनकी खलनायकी ने यह साबित किया है कि एक अभिनेता के लिए सीमाएँ नहीं होनी चाहिए। सनी देओल ने साबित किया है कि जब बात अदाकारी की हो, तो वे हर रूप में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह, सनी देओल का खलनायक बनना केवल एक भूमिका नहीं, बल्कि उनके करियर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।