दिल्ली के अस्पतालों में दागी डॉक्टरों का जाल: नई सरकार की चुनौती

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दिल्ली के अस्पतालों में दागी डॉक्टरों का जाल: नई सरकार की चुनौती

दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना के पदभार संभालते ही, दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की उम्मीदें एक बार फिर जाग उठी हैं। हाल के दिनों में दिल्ली के बड़े अस्पतालों में दागी डॉक्टरों की मौजूदगी ने स्वास्थ्य व्यवस्था को गंभीर संकट में डाल दिया है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आतिशी इन चिकित्सकों के खिलाफ सख्त कदम उठाएंगी या फिर स्थिति जस की तस बनी रहेगी।

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CVC गाइडलाइंस का उल्लंघन

दिल्ली के अस्पतालों में चिकित्सा निदेशकों (एमडी) और चिकित्सा अधीक्षकों (एमएस) की स्थिति बहुत ही गंभीर है। पिछले 3-4 सालों से कई अस्पतालों में ये अधिकारी अपनी जगह पर जमे हुए हैं, जिससे अस्पतालों की कार्यक्षमता पर गंभीर असर पड़ा है। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने इस संदर्भ में स्पष्ट निर्देश जारी किए थे कि संवेदनशील पदों पर तैनात अधिकारियों का समय-समय पर ट्रांसफर होना आवश्यक है। लेकिन दिल्ली में इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

सीवीसी के अनुसार, यदि अधिकारी लंबे समय तक एक ही पद पर बने रहते हैं, तो यह भ्रष्टाचार और निहित स्वार्थों के विकास का कारण बन सकता है। यह स्थिति दिल्ली के लोक नायक, जीबी पंत और दीन दयाल उपाध्याय जैसे बड़े अस्पतालों में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है, जहां न दवा मिल रही है और न ही मरीजों का सही उपचार हो रहा है।

अस्पतालों की दयनीय स्थिति

हालात इतने खराब हैं कि न तो दवाओं की उपलब्धता है और न ही मरीजों के लिए कोई विशेष सुविधा। लोक नायक अस्पताल में दवाओं की किल्लत से लेकर कोरोना काल में हुए घोटालों तक, सभी जगहों पर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, यहां तक कि एमडी डॉ. सुरेश कुमार को सीबीआई और एसीबी द्वारा कई बार पूछताछ का सामना करना पड़ा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार इन डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी?

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ट्रांसफर-पोस्टिंग की दिशा में क्या कदम उठाएंगे?

आतिशी की नई सरकार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर बड़ा निर्णय लेना होगा। दिल्ली में कई बड़े विभागों में सालों से ट्रांसफर-पोस्टिंग लंबित हैं, खासकर स्वास्थ्य विभाग में। यह आवश्यक है कि जो अधिकारी अपनी जगह पर जमे हुए हैं, उन्हें उनकी कुशलता के आधार पर बदलने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।

यदि अस्पतालों के प्रमुखों का समय-समय पर ट्रांसफर नहीं किया गया, तो न केवल अस्पतालों की कार्यक्षमता प्रभावित होगी, बल्कि जनता की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताएं भी पूरी नहीं हो पाएंगी।

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जनता की आवाज़

दिल्ली की जनता अब इस स्थिति से परेशान हो चुकी है। अस्पतालों में दवाओं की किल्लत और खराब चिकित्सा सेवाओं के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जनता अब चाहती है कि नई सरकार ठोस कदम उठाए और अस्पतालों की व्यवस्था को सुधारने के लिए तत्काल कार्रवाई करे।

आतिशी को इस स्थिति को समझना होगा और जनहित में सही निर्णय लेने होंगे। अगर वह सही दिशा में कदम उठाती हैं, तो इससे न केवल दिल्ली के अस्पतालों की स्थिति में सुधार होगा, बल्कि जनता का विश्वास भी बढ़ेगा।

दिल्ली के अस्पतालों में दागी डॉक्टरों की स्थिति एक गंभीर चिंता का विषय है। नई मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना के लिए यह एक चुनौती है कि वह इस समस्या का समाधान कैसे करती हैं। अगर वह सीवीसी गाइडलाइंस का पालन कराते हुए अस्पतालों की व्यवस्था में सुधार करने में सफल होती हैं, तो यह दिल्ली के नागरिकों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आएगा। अब समय है कि सरकार अपने वादों को पूरा करे और स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठाए।

आशा है कि नई सरकार इन गंभीर मुद्दों का ध्यान रखेगी और दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा को एक नई दिशा में ले जाएगी।

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