पीलीभीत, उत्तर प्रदेश का एक खूबसूरत क्षेत्र, जो प्राकृतिक सुंदरता और वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध है, अब एक गंभीर समस्या का सामना कर रहा है। माला रेंज के आसपास बाघों के हमलों की बढ़ती घटनाएं स्थानीय निवासियों के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। पिछले डेढ़ साल से यह इलाका बाघों के हमलों का हॉटस्पॉट बना हुआ है, जहां इंसानों पर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व: एक संक्षिप्त अवलोकन
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पीलीभीत टाइगर रिजर्व 730 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है, जो पांच रेंज में विभाजित है: माला, महोफ, बाराही, दयुरिया, और हरिपुर। टाइगर रिजर्व की स्थापना के बाद से संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिसके फलस्वरूप जंगली जीवों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है। यह रिजर्व राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है।
हालांकि, जंगली जानवरों की बढ़ती संख्या के कारण जंगल के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यह समस्या खासकर माला रेंज के आस-पास के गांवों में महसूस की जा रही है, जहां बाघों के हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं।
बाघ के हमले: आंकड़े और गंभीरता
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पिछले दो वर्षों में, बाघों के हमलों में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 2023 में सात लोगों की मौत हुई, जबकि 2024 में अब तक छह लोग बाघ के हमले का शिकार हो चुके हैं। ये घटनाएं मुख्य रूप से माला रेंज के आसपास के गांवों में हुई हैं, और इनमें से अधिकांश मृतकों के शव अधखायी अवस्था में मिले हैं। यह स्थिति न केवल स्थानीय निवासियों के लिए खतरनाक है, बल्कि यह बाघों की प्रवृत्ति के बारे में गंभीर सवाल भी उठाती है।
क्या एक ही बाघ है जिम्मेदार?
जानकारों और स्थानीय निवासियों का मानना है कि बाघों के हमलों की इन घटनाओं के पीछे शायद एक ही बाघ का हाथ है। कई बार बाघों की प्रवृत्ति इंसानों को शिकार बनाने की होती है, और जब उनकी भोजन की उपलब्धता कम होती है, तो वे इंसानों की ओर मुड़ते हैं। वन विभाग के सूत्र भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि एक ही बाघ संभवतः इन हमलों के पीछे है।
वन विभाग की पहल
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हाल ही में हुए हमलों की घटनाओं के बाद, वन विभाग ने उस बाघ को पकड़ने की अनुमति मांगी है, जो इन हमलों के लिए जिम्मेदार हो सकता है। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है और विभाग स्थानीय निवासियों को सुरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। पीलीभीत टाइगर रिज़र्व के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि जंगल से सटे इलाकों में वन्यजीवों का मूवमेंट देखा जा रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए 25 किलोमीटर की चेनलिंक फेंसिंग की गई है, और अन्य संवेदनशील इलाकों में भी जल्द से जल्द फेंसिंग कराने की योजना बनाई जा रही है।
समाधान की दिशा में कदम
बाघों के हमलों की घटनाओं को रोकने के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए:
- चेनलिंक फेंसिंग: जैसा कि वन विभाग ने 25 किलोमीटर की चेनलिंक फेंसिंग की है, इसे और बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि वन्य जीव गांवों में प्रवेश न कर सकें।
- स्थानीय निवासियों को जागरूक करना: ग्रामीणों को बाघों के व्यवहार और सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है, ताकि वे जंगल में जाने से पहले सतर्क रहें।
- खाद्य स्रोत का प्रबंधन: बाघों के लिए भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए वनों के भीतर शिकार की संख्या का प्रबंधन किया जाना चाहिए।
- अधिक निगरानी: बाघों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए कैमरा ट्रैप्स और अन्य तकनीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, ताकि हमलों की संभावना को कम किया जा सके।
- संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान: उन क्षेत्रों की पहचान की जानी चाहिए जहां बाघों का मूवमेंट अधिक है और वहां सुरक्षा उपाय लागू किए जाने चाहिए।
पीलीभीत के माला रेंज में बाघों के हमलों की बढ़ती घटनाएं न केवल स्थानीय निवासियों के लिए खतरा हैं, बल्कि यह वन्य जीवन के संरक्षण के लिए भी एक चुनौती पेश करती हैं। समस्या की गंभीरता को समझते हुए, आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है ताकि मानव और वन्य जीवन के बीच संतुलन बना रहे। यदि उचित उपाय किए गए, तो हम एक सुरक्षित और संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
इस स्थिति में, सभी संबंधित पक्षों का सहयोग अत्यंत आवश्यक है, ताकि हम न केवल इंसानों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें, बल्कि बाघों का संरक्षण भी कर सकें।
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