न्यायपालिका में नया युग: Biden के सुधार प्रस्तावों से बदल सकती है अमेरिकी Supreme Court की तस्वीर

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न्यायपालिका में नया युग: Biden के सुधार प्रस्तावों से बदल सकती है अमेरिकी Supreme Court की तस्वीर

टर्म लिमिट्स और नैतिक आचार संहिता की मांग, राजनीतिक और कानूनी चुनौतियों का सामना करने को तैयार राष्ट्रपति Biden 

अमेरिकी राष्ट्रपति जो Biden अमेरिकी Supreme Court में महत्वपूर्ण परिवर्तनों की योजना बना रहे हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए एक अनिवार्य नैतिक आचार संहिता की मांग की है, साथ ही नियमों की सीमा भी। यदि ये सुधारों को लागू किया जाता है, तो अमेरिकी न्याय प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव होगा। लेकिन, इस तरह के प्रस्तावों को पारित करने के लिए वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में बहुत कठिन है, क्योंकि संविधान संशोधन या कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत होगी। आइए जानते हैं पूरी कहानी।

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प्रस्तावित बदलाव: क्या और क्यों?

Biden के प्रस्तावित बदलावों में सबसे प्रमुख हैं:

  1. टर्म लिमिट्स: वर्तमान में, सुप्रीम कोर्ट के जज जीवनभर के लिए नियुक्त होते हैं। बाइडेन का प्रस्ताव है कि जजों की सेवा अवधि को सीमित किया जाए ताकि न्यायपालिका में नयापन और बदलाव आ सके।
  2. नैतिक आचार संहिता: जजों के लिए एक अनिवार्य नैतिक आचार संहिता बनाई जाए, ताकि वे नैतिकता और पारदर्शिता के उच्च मानकों का पालन करें।

Biden का नया दृष्टिकोण

राष्ट्रपति बाइडेन ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के विस्तार का विरोध किया था, लेकिन अब वे सुप्रीम कोर्ट में सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं। उनके प्रस्तावों में मुख्य रूप से दो बड़े बदलाव शामिल हैं: जजों के लिए टर्म लिमिट्स और एक अनिवार्य नैतिक आचार संहिता।

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नैतिक आचार संहिता की आवश्यकता

हाल के वर्षों में सुप्रीम कोर्ट के जजों पर कई नैतिक विवाद उठे हैं, जैसे कि जस्टिस क्लेरेंस थॉमस द्वारा एक कंजर्वेटिव मेगा डोनर से उपहार स्वीकार करना और जस्टिस सैम्युअल अलिटो की पत्नी द्वारा ट्रम्प समर्थक प्रतीकों का प्रदर्शन करना। इन घटनाओं ने न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।

प्रगतिशील दबाव और Biden का रुख

बाइडेन पर प्रगतिशील धड़े का दबाव बढ़ता जा रहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट में सुधार करें। सुप्रीम कोर्ट में हाल के विवादों के बाद, जैसे कि जस्टिस क्लेरेंस थॉमस का विवादास्पद उपहार स्वीकार करना और जस्टिस सैम्युअल अलिटो का चरमपंथी धड़े के साथ संबंध, ने इस मुद्दे को और भी तूल दे दिया है। बाइडेन ने भी अपने चुनाव अभियान में सुप्रीम कोर्ट में सुधार की बात की थी, लेकिन उन्होंने कोर्ट के विस्तार का समर्थन नहीं किया था।

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कांग्रेस की भूमिका और राजनीतिक चुनौती

बाइडेन के प्रस्तावों को लागू करने के लिए कांग्रेस की मंजूरी या संविधान संशोधन की आवश्यकता होगी। यह कार्य आसान नहीं होगा, क्योंकि वर्तमान राजनीतिक माहौल में किसी भी तरह का बड़ा सुधार पारित कराना मुश्किल है। दोनों दलों के बीच की खाई और मतभेद इस प्रक्रिया को और भी जटिल बना देते हैं।

जनता की राय और समर्थन

फिक्स द कोर्ट्स के कार्यकारी निदेशक, गेब रॉथ के अनुसार, “देश के विशाल बहुमत का मानना है कि जजों को जीवनभर के लिए नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए और उन्हें कांग्रेस और कार्यकारी शाखा की तरह बुनियादी निगरानी के अधीन होना चाहिए।” यह दिखाता है कि जनता के बीच भी इन प्रस्तावों को लेकर समर्थन है, भले ही राजनीतिक माहौल कठिन हो।

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Supreme Court की वर्तमान स्थिति

वर्तमान में, Supreme Court में 6-3 का कंजर्वेटिव बहुमत है। डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने कार्यकाल के दौरान तीन जजों को नियुक्त किया, जिससे यह बहुमत और मजबूत हो गया। बाइडेन के प्रस्तावित बदलावों का उद्देश्य इस असंतुलन को ठीक करना है और न्यायपालिका में अधिक पारदर्शिता और नैतिकता लाना है।

भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियाँ

Biden के प्रस्तावों के सामने कई चुनौतियाँ हैं। सबसे बड़ी चुनौती है कांग्रेस में समर्थन जुटाना। इसके अलावा, संविधान संशोधन की प्रक्रिया भी बेहद जटिल और समय लेने वाली होती है। लेकिन, अगर बाइडेन इन बदलावों को लागू करने में सफल होते हैं, तो यह अमेरिकी न्यायपालिका में एक बड़ा और सकारात्मक बदलाव हो सकता है।

Biden का प्रस्तावित बदलाव अमेरिकी न्यायपालिका में एक नया अध्याय बना सकता है। लेकिन इसके लिए उन्हें जनता की आवाज और कांग्रेस का समर्थन चाहिए। यह देखना दिलचस्प होगा कि बाइडेन यह साहसिक कदम उठाते हैं या नहीं। हालाँकि, अगले कुछ महीनों में अमेरिकी राजनीति में यह मुद्दा एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन सकता है।

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