क्या है सुंदरकांड के पीछे छुपा राज, जाने

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महर्षी वाल्‍म‍िकी कृत रामायण में 5वा अध्‍याय है सुंदरकांड, ज‍िसकी ह‍िंदू धर्म में बड़ी मान्‍यता है. अक्‍सर घरों में सुंदरकांड का पाठ क‍िया जाता है. ऐसा माना जाता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से गृह क्‍लेश, भूत-प‍िशाच, तंत्र-मंत्र जैसी अला-बलाओं से छुटकारा म‍िलता है. सारी काली शक्‍तियों को दूर करने वाले हनुमान जी की कहानी कहने वाले इस सुंदरकांड को गाने का युवाओं में भी खासा प्रचलन है. लेकिन ये सवाल उठता है कि आखिर सुंदरकांड को ‘सुंदर’ क्‍यों कहा जाता है? रामायण के इस अध्‍याय में न तो राम और सीता का म‍िलन हुआ था और न ही रावण को ही गत‍ि म‍िली थी. फिर आखिर इस अध्‍याय का नाम ‘सुंदर’ क्‍यों है. जानिए कथा वाचक रसराज जी महाराज से कि आखिर वो कौनसी वजह है कि ‘सुंदरकांड’ के ल‍िए सुंदर शब्‍द का इस्‍तेमाल क‍िया गया है.

रामायण में हैं 7 अध्‍याय

रामायण में कुल 7 कांड हैं. ये हैं 1. बालकाण्‍ड, 2. अयोध्‍याकाण्‍ड, 3. अरण्‍यकाण्‍ड, 4 क‍िष्‍किन्‍धाकाण्‍ड, 5 सुंदरकांड, 6, लंकाकाण्‍ड और 7 उत्तरकाण्‍ड. रसराज जी महाराज बताते हैं कि 7 काण्‍ड तुलसी दास जी ने लि‍खे. उन्‍होंने इसके लि‍ए सोपान शब्‍द का इस्‍तेमाल क‍िया था. वाल्‍मीकि जी ने इसे काण्‍ड कहा. सुंदरकाण्‍ड में श्री हनुमान जी की मुख्‍य भूम‍िका है और शायद यही वजह है कि ये भक्‍तों में बहुत लोकप्र‍िय है. वैसे राम चरित मानस में क‍िष्‍क‍िंधाकाण्‍ड से ही हनुमान जी का आगमन हो जाता है. सुंदरकाण्‍ड में कुछ 60 दोहे हैं. शन‍िवार और मंगलवार को सुंडरकाण्‍ड का पाठ करना अति फलदायी माना जाता है.

आख‍िर क्‍यों है इसका नाम ‘सुंदरकांड’

जब हनुमान जी लंका जात हैं तो माता सीता को अशोक वाटिका में देखते हैं, लंका का दहन भी इसी दौरान करते हैं. रामायण के इसी अध्‍याय को सुंदरकाण्‍ड कहा जाता है. इस पर कथावाचक और संगीतकार रसराज जी महाराज बताते हैं कि दरअसल पूरे सुंदरकाण्‍ड में ‘सुंदर’ शब्‍द का प्रयोग 8 बार हुआ है. ज‍िस भूतल पर पैर रखकर हनुमानजी ने लंका में छलांग लगाई उसका नाम ‘सुंदर’ कहा गया. इसके अलावा जब जनुमानजी पेड़ पर बैठकर माता सीता के आगे प्रभू श्री राम की मुद्र‍िका ग‍िराते हैं, तब भी मुद्रिका ल‍िखा राम नाम ‘सुंदर’ ही कहकर संबोध‍ित क‍िया गया है. यानी ऐसा 8 बार हुआ है. इसके अलावा रावण द्वारा हरण करने के बाद यही वह पहला मौका था, जब माता सीता को सकारात्‍मक ‘सुंदर’ संदेश म‍िला था. इसल‍िए भी इस अध्‍याय को सुंदरकाण्‍ड कहते हैं.

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