गेराल्डिन वीज़ इतिहास की उन शुरुआती और चुनिंदा महान निवेशकों में शामिल हैं, जिनकी इन्वेस्टमेंट की दुनिया में बतौर स्टॉक गुरु तूती बोलती थी. बतौर महिला निवेशक वीज़ का लंबा सफर दिलचस्प, प्रेरणादायक और तमाम तरह के निवेश मंत्रों से भरा हुआ है. महिला होने के नाते फाइनेंस की दुनिया में उन्हें भी पितृसत्तात्मक भेदभाव का सामना करना पड़ा. वीज़ 1926 में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में जन्मी थीं. ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने इन्वेस्टमेंट की दुनिया में न सिर्फ कदम रखा बल्कि किताबों को पढ़कर और तमाम अन्य व्यावहारिक तरीकों के जरिए अपनी समझ विकसित की.
वीज़ को नौकरी नहीं देती थीं कंपनियां!
एक ऐसा भी दौर था जब कोई भी इन्वेस्टमेंट फर्म उन्हें हायर करना नहीं चाहती थी. तब उन्होंने अपना खुद का इन्वेस्टमेंट न्यूजलेटर शुरू किया, तब वह 40 की उम्र थीं. मर्द और औरत के भेदभाव के चलते उन्होंने शुरू में इस न्यूजलेटर को G. Weiss के तौर पर अंडरसाइन किया. लंबे समय तक महिला के तौर पर अपनी आइडेंटिटी छुपाई. सत्तर के दशक में उन्होंने खुद को जगजाहिर किया. उनकी वैल्यू-आधारित, डिवेंडेड पर फोकस करने वाली स्टॉक पिकिंग स्ट्रेटिजी हैरतअंगेज रूप से आउटपरफॉर्म करती थी. 37 साल तक उन्होंने अपना यह सुप्रसिद्ध लेटर जारी रखा.
निवेश करते समय ये ध्यान रखना जरूरी
वीज़ कहती थीं कि ऐसी कंपनियों में निवेश करें जो डिविडेंड का भुगतान करती हैं, और वह भी नियमित और विश्वसनीय तौर पर. टेलिग्राफ की रिपोर्ट बताती है कि वीज़ ने अपेक्षाकृत केंद्रित पोर्टफोलियो की भी वकालत की, जिसमें सुझाव दिया गया कि एक निवेशक को 10-20 से अधिक स्टॉक नहीं रखना चाहिए. वीज़ एक वैल्यू निवेशक थीं, लेकिन उनका मानना था कि लोगों को कमाई के बजाय लाभांश (डिविडेंड) पर ध्यान फोकस करना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि खातों में लाभ के आंकड़ों में हेरफेर करना बहुत आसान है.
वहीं तीसरा है कि नेट एसेट के दोगुने से भी कम वैल्यू पर ट्रेड करना. चौथा है 20 गुना से कम कमाई पर ट्रेडिंग. पांचवा मानदंड है कि उनकी कमाई लाभांश की कम से कम दोगुनी हो. छठा मानदंड है कि कुल मार्केट कैप से 50% कम कर्ज हो. सातवां और आखिरी, वित्तीय रूप से स्थिर हो और ब्लू चिप माने जाने वाले लंबे ट्रैक रिकॉर्ड के योग्य हो.