Amritpal Singh: पंजाब के मोगा का रोडे गांव। जो जानते हैं, वो जानते हैं कि ये पंजाब के उग्रवादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले का गांव है। वही भिंडरांवाले जिसने 1980 के दशक में सिखों के लिए अलग देश ख़ालिस्तान की मांग उठाते हुए पूरे पंजाब में कोहराम मचा दिया था। इसी गांव में भिंडरावाले की स्मृति में बना एक गुरुद्वारा है – गुरुद्वारा संत खालसा। गुरुद्वारे के पास एक मंच बना है, और मंच के सामने शामियाना तना हुआ है। मंच पर एक 29 साल का नौजवान खड़ा है। सामने भीड़ है। नौजवान की अभी अभी दस्तारबंदी की गई है, यानी उसे सिखों वाली पगड़ी बांधी गई है। सिर पर तुलनात्मक रूप से भारी पगड़ी बांधे हुए ये नौजवान वहां जुटी भीड़ से मुख़ातिब है। ‘वारिस पंजाब दे’ नाम के एक संगठन में हाल ही में अमृत पाल सिंह की दस्तारबंदी हुई है यानी वो इस संगठन का हेड बनाया गया है। ‘वारिस पंजाब दे’ एक प्रेसर ग्रुप है। इसे बीते साल पंजाब के एक्टर और एक्टिविस्ट दीप सिद्धू ने बनाया था। बाद में दीप सिद्धू की एक सड़क हादसे में मौत हो गई गई थी।
कौन हैं अमृतपाल सिंह?
अचानक प्रकट हुए अमृत पाल सिंह के बारे में बहुत जानकारियां नहीं थीं। खोजने पर पता चला कि वो अमृतसर के जल्लूपुर खेड़ा गांव का रहने वाला है। पढ़ाई कक्षा 12 तक की। ख़ालिस्तान, भिंडरावाले और इससे जुड़ा तमाम ज्ञान इंटरनेट की बदौलत हासिल किया। अमृतपाल कुछ ही समय पहले दुबई से भारत आया है। दुबई में वह अपने परिवार के ट्रांसपोर्ट बिजनेस में हाथ बंटाता था। लेकिन आते ही अमृतपाल अपनी दमदार भाषण शैली के कारण चर्चा का कारण बन गया। उसने दावा किया कि वह पंजाब के युवाओं को ड्रग्स के जाल से मुक्त करवाएगा और पंथ का मार्ग प्रशस्त करेगा। अब वह खालिस्तानी समर्थक दीप सिद्धू के संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ का मुखिया है। दीप सिद्धू की हाल ही में एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। किसान आंदोलन के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के लिए भी उन्हें जिम्मेदार ठहराया गया था। मिड़िया की एक रिपोर्ट के मुताबिक खालिस्तान आंदोलन चलाने वाले जरनैल सिंह भिंडरावाले के समर्थक हैं। स्वयंभू खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह एक अलग सिख राज्य की मांग करते हैं और इसके बारे में भड़काऊ बयान देते हैं।
भिंडरावाले को मानता है आदर्श
अमृतपाल ने भिंडरावाले को अपना आदर्श बताया। भिंडरावाले से अपनी तुलना पर अमृतपाल ने साफ कहा कि वह उनके (भिंडरावाले के) पैरों की धूल भी नहीं है। अमृतपाल ने कहा कि वह सिर्फ भिंडरावाले के दिखाए रास्ते पर चलेगा। अमृत पाल बिल्कुल भिंडरावले की तरह कपड़े पहनता है और हाव-भाव भी उसी तरह के प्रदर्शित करने की कोशिश करता है।
रोडे में सभा को संबोधित करता अमृतपाल सिंह
वापिस चलते हैं रोडे गांव। अब जब अमृत पाल सिंह की दस्तारबंदी भिंडरांवाले के गांव रोडे में की गई तो सवाल उठने लाजिमी थे। भिंडरावाले जैसा भेष धरे अमृत पाल सिंह स्टेज से कह रहा था कि दीप सिद्धू जैसे लोग मरते नहीं हैं। उसने इशारे ही इशारे में सिद्धू की मौत के कारणों पर शक ज़ाहिर करते हुए कहा,
“क्या तिरंगा हमारा झंडा है हमारा यानी कि सिखों का? तिरंगा हमारा झंडा नहीं है। अगर हमारा झंडा होता तो दरबार साहब पर हमला करके सिखों के झंडे को उतारकर तिरंगा क्यों लहराया गया? सिखों के ऊपर हमले किए गए। सिखों का कत्लेआम किया गया। इस झंडे ने हमारे ऊपर बेइंतहा जुल्म किए। हमारे 9 जवानों को मार दिया गया। 15 अगस्त को जिस तरीके से सरकार ने लोगों को लाखों तिरंगे भेजे, वैसे ही हम लोगों से आग्रह करते हैं कि वह अपने घर के ऊपर निशान साहब लगाएं।”
इसके पहले 1 अगस्त को भी एक पोस्ट अमृतपाल सिंह ने अपलोड की है। इसमें एक फ़ोटो है। बाईं तरफ़ है स्वर्ण मंदिर उर्फ़ दरबार साहिब की फ़ोटो साल 1984 की, जिसमें शिखर पर तिरंगा झंडा फहराता दिखाई दे रहा है। दूसरी तरफ़ है साल 2021 की लाल क़िले की फ़ोटो, जिस पर खालसा ध्वज फहराता दिखाई दे रहा है। साथ अमृतपाल सिंह ने लिखा है,