एचएयू वैज्ञानिकों द्वारा विकसित फल और सब्जी छेदक पेडल ऑपरेटेड मशीन को मिला पेटेंट

0

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक और उपलब्धि को विश्वविद्यालय के नाम किया है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा अविष्कार की गई फल और सब्जी छेदक पेडल ऑपरेटेड मशीन को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय की ओर से पेटेंट मिल गया है।

विश्वविद्यालय के कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह मशीन छोटे और मध्यम स्तर के फूड प्रोसेसर और नवोदित उद्यमियों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी। मशीन का अविष्कार महाविद्यालय के प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी विभाग के डॉ. नितिन कुमार, डॉ. डी.के. शर्मा व सेवानिवृत्त डॉ. एम.के. गर्ग की अगुवाई में किया गया। इस मशीन को भारत सरकार की ओर से इसका प्रमाण-पत्र मिल गया है जिसकी पेटेंट संख्या 406360 है।

वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का नतीजा है विश्वविद्यालय की उपल्धियां : प्रो. बी.आर. काम्बोज

कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि विश्वविद्यालय को लगातार मिल रहीं उपल्धियां यहां के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का ही नतीजा हैं। वैज्ञानिकों द्वारा विकसित इस नई तकनीक के लिए पेटेंट मिलने पर उन्होंने सभी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस तरह की तकनीकों के विकास में सकारात्मक प्रयासों को विश्वविद्यालय हमेशा प्रोत्साहित करता रहता है और यह विश्वविद्यालय के लिए बहुत ही गौरव की बात है। उन्होंने वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए भविष्य में भी इसी प्रकार निरंतर प्रयास जारी रखने की अपील की।

रख-रखाव खर्च व लागत कम जबकि कार्यक्षमता अधिक

कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. बलदेव डोगरा के अनुसार इसका प्रयोग किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद होगा। छोटे और मध्यम स्तर के फूड प्रोसेसर और नवोदित उद्यमियों के लिए पेडल संचालित फल और सब्जी में छेद वाली मशीन के विकास से संबंधित है। प्रिजर्व या मुरब्बा और अचार तैयार करने के लिए, फलों और सब्जियों को आगे की प्रक्रिया से पहले उनमें छेद करना पड़ता है, जो इस मशीन का उपयोग करके आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।

2

भारतीय पुरुषों और महिलाओं के एंथ्रोपोमेट्रिक मापों को ध्यान में रखते हुए इस मशीन को श्रमदक्षता शास्त्र के अनुरूप डिजाइन किया गया है। मशीन लिंग के प्रति तटस्थ है जिससे ये, पुरुष और महिला श्रमिकों के लिए एर्गोनॉमिक रूप से डिज़ाइन किया गया है। इसमें ऊंचाई और निकासी समायोज्य तंत्र हैं। इसलिए, इसका उपयोग पूर्व श्रेणीकरण की आवश्यकता के बिना आंवला, बेर, ककड़ी आदि जैसे कुछ फलों और सब्जियों के सभी आकारों और किस्मों में छेद करने के लिए किया जा सकता है।

अुनसंधान निदेशक डॉ. जीत राम शर्मा के अनुसार यह बिजली या ईंधन जैसे किसी अन्य स्रोत की आवश्यकता के बिना मैन्युअल रूप से 30 किग्रा/घंटा की क्षमता पर एक समान छेद करती है, इसलिए यह ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों के लिए सबसे उपयुक्त है जहां बिजली की आपूर्ति अभी भी एक समस्या है।

इसमें फल और सब्जियों में छेद करने पर अधिक प्रयास की आवश्यकता नहीं है। मशीन संख्या और गहराई दोनों में समान रूप से फल को छेदती है और स्व-समायोज्य है। इस मशीन के द्वारा फलों व सब्जियों को छेदने के दौरान निकले रस को एकत्र करने की भी व्यवस्था है। इस मशीन का उपयोग पूरी तरह से सुरक्षित और स्वच्छ है।

इस अवसर पर ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. मंजु महता, मीडिया एडवाइज़र डॉ. संदीप आर्य, आईपीआर सेल के इंचार्ज डॉ. विनोद सांगवान एवं कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के सभी विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक व कर्मचारी भी मौजूद रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here