कोविड रोधी दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) तैयार करने वाले डीआरडी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. सुधीर चांदना ने हिसार के एचएयू से वर्ष 1989 में की थी जेनेटिक्स साइंस से एमएससी, पिछले 13 माह से दवाई तैयार करने में लगे थे

कोविड रोधी दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) तैयार करने वाले डीआरडी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. सुधीर चांदना ने हिसार के एचएयू से वर्ष 1989 में की थी जेनेटिक्स साइंस से एमएससी, पिछले 13 माह से दवाई तैयार करने में लगे थे

हिसार के सेक्टर 13 में रहता है परिवार
: एचएयू में हाेनहार स्टूडेंट में हाेती थी गिनती डा. सुधीर चांदना की पिता हिसार काेर्ट में ही रहे सेशन जज

कोविड रोधी दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) काे तैयार करने वाले दिल्ली के इंस्टीट्यूट अाॅफ नूक्लीयर मैडिसन एंड एलाइड साइंस के अपर निदेशक और वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. सुधीर चांदना हिसार के सेक्टर 13 के रहने वाले है। उनके पिता स्व. जेडी चांदना भी हिसार के सेशन जज रहे थे। खास बात यह है कि डा. सुधीर चांदना वर्ष 1989 में एचएयू के स्टूडेंट रहें है। उन्हाेंने एचएयू के कालेज अाॅफ बेसिक साइंस से जेनेटिक्स साइंस से एमएससी की थी तथा हाेनहार स्टूडेंट में उनकी गिनती की जाती थी। उनके द्वारा तैयार दवाई काे इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बाद हिसार के साथ साथ प्रदेश के लाेगाें के भी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। साेशल मीडिया पर मैसेज भेजकर लाेगाें ने डा. सुधीर अाैर उनके परिवार काे बधाई दी।
डा. सुधीर चांदना ने बताया कि वर्ष 2020 अप्रैल माह में जब काेराेना के केसाें की संख्या धीरे धीरे बढ़नी शुरू हुई थी ताे तभी उन्हाेंने हैदराबाद की डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज की सहायता से दवाई बनाने का कार्य शुरू कर िदया था। हैदराबाद की लैब में एक्सपैरिमेंट िकया गया। हैदाराबाद में ही दवाई का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया गया। ड्रग कंट्राेलर से क्लीनिकल ट्रायल की अनुमित मिलने के बाद मई से लेकर अक्टूबर तक ट्रायल चला। जिसमें देखा गया कि दवाई से मरीज की की हालत में भी सुधार हाे रहा है। यहीं नहीं रिकवरी भी जल्दी हाे रही है। िवभिन्न अस्पतालाें में भर्ती 200 से अधिक मरीजाें पर किया गया प्रयाेग भी कारगर हुआ। फेज 2 के क्लीनिकल ट्रायल में 17 अस्पतालाें में भर्ती 200 से अधिक मरीजाें पर ट्रायल हुआ। इसके लिए भी पाॅजिटिव आए। फेज 3 के लिए क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति मिली। िदसंबर 2020 में 220 मरीजाें पर ट्रायल कर देखा गया। यह भी सफल रहा। अब उनके द्वारा तैयार कोविड रोधी दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंज़ूरी मिल गई है। डा. चांदना का कहना है िक यह हर िकसी भारतीय के लिए खुशी की बात है। लाेगाें के लगातार हाैंसला बढ़ाने अाैर प्यार अार्शीवाद से ही दवाई तैयार की जा सकी है। अब हैदराबाद की डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज ही दवाई काे व्यापक स्तर पर तैयार करेंगी।
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लाेगाें से अपील
डा. सुधीर चांदना ने लाेगाें से अपील की है िक काेराेना से बचाव के लिए मास्क बहुत ही जरूरी है। मास्क काे भी नाक से ऊपर तक पहनना चाहिए। तभी उसके लगाने का फायदा है।

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परिवार रहता है हिसार, साेशल मीडिया पर भी छाई दवाई
डा. सुधीर के बड़े भाई िवनीत चांदना अपने परिवार समेत शहर के सेक्टर 13 में रहते है। वह स्टेट बैंक अाॅफ इंडिया से रिटायर्ड है। सुधीर के तैयार दवाई के इस्तेमाल काे मंजूरी िमलने का जैसे ही शहर के लाेगाें काे पता चला ताे साेशल मीडिया पर भी लाेगाें ने मैसेज भेजकर उन्हें बधाई दी अाैर सराहना की।
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मरीज काे अाॅक्सीजन की भी नहीं हाेगी कमी
दवाई की खासियत यह है िक इस दवा से ऑक्सीजन की कमी भी नहीं होगी। जिन मरीज़ों को ऑक्सीजन की जरूरत है, उन्हें इसको देने के बाद फायदा होगा और वायरस की मौत भी होगी। जिससे इंफेक्शन का चांस कम होगा और मरीज़ जल्द से जल्द रिकवर होगा। विकसित ये दवा पाउडर के रूप में पैकेट में आती. मरीज़ को कोविड रोधी दवा 2-डीजी को पानी में घोल कर पीना होता है।
इस दवाई को हर तरह के मरीज़ को दिया जा सकता है। हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीज़ हो या गंभीर मरीज़, सभी को इस दवाई को दी जा सकेगी।

हाेनहार स्टूडेंट था सुधीर, गुरु ने साेशल मीडिया पर भी पाेस्ट की शेयर
डा. सुधीर काे पढ़ाने वाले एचएयू के िरटायर्ड प्राेफेसर डा. अारसी यादव ने दवाई तैयार करने पर सुधीर काे बधाई दी। बताया िक वर्ष 1989 में सुधीर उनका स्टूडेंट रहा। वह काफी हाेनहार था। अन्य स्टूडेंट काे भी मेहनत से पढ़ाई करने की अपील करता था।

 

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