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शोधकर्ताओं का मानना है कि धार्मिक जगहों पर जाने से सामाजिक समर्थन
बढ़ता है, धूम्रपान और शराब को तवज्जो नहीं मिलती, अवसाद कम हो जाते हैं,
और लोगों के जीवन में ज्यादा आशावादी दृष्टिकोण विकसित होता है।
शास्त्रों
के अनुसार पूजा पाठ से इंसान अपने मन के भावों को ईश्वर तक पहुंचा सकता
है। पूजा करने से आप के मन को शांति मिलती है, क्योंकि इससे आप खुद को
ईश्वर से जुड़ा महसूस करते हैं। ये भी कहा जाता है कि ईश्वर की उपासना करने
से ईश्वर का आशीर्वाद आप पर बना रहता है, और सारे संकट टल जाते हैं।
कहा
तो ये भी जाता है कि ईश्वर को पाने का एक ही रास्ता होता है वो है ईश्वर
भक्ति में लीन होना, पर अब तो साइंस ने भी ये बात मान ली है कि ईश्वर की
आराधना करने से उम्र बढ़ती है।
जो महिलाएं सप्ताह में एक बार पूजा करती हैं उनमें जल्दी मरने की संभावनाएं
25% कम होती हैं. जो महिलाएं सप्ताह में एक बार पूजा करती हैं, या आराधना
स्थल जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि में जाती हैं तो उनमें दिल की बीमारी,
और कैंसर से होने वाली मौत का खतरा कम होता है. वो बाकियों के मुकाबले
ज्यादा उम्र तक जीती हैं।
हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर
डॉ.टायलर वंडरविले ने करीब 75,000 महिलाओं पर एक शोध किया है, जिसमें वो
धार्मिक महिलाओं और महिलाओं की मौत पर शोध कर रहे थे। सन 1992 और 2012 के
बीच प्रश्नावली की सहायता से मूल्यांकन किया गया था, और इन 20 सालों की
जांच के आधार पर ये नतीजे निकाले गए कि आशावाद और समुदाय की भावना से तनाव
और अवसाद के प्रभावों से निपटा जा सकता है, जिसका नतीजा वो लंबी उम्र तक
जीती हैं।
शोधकर्ताओं का मानना है कि धार्मिक जगहों पर जाने से सामाजिक
समर्थन बढ़ता है, धूम्रपान और शराब को तवज्जो नहीं मिलती, अवसाद कम हो जाते
हैं, और लोगों के जीवन में ज्यादा आशावादी दृष्टिकोण विकसित होता है।
इस
शोध के नतीजों के अनुसार जो महिलाएं सप्ताह में एक बार पूजा करती हैं,
उनमें 26% और जो एक सप्ताह से कम बार पूजा करती हैं उनमें मौत का 13% कम
खतरा होता है। वो महिलाएं जो कभी पूजा नहीं करतीं, उनके मुकाबले सप्ताह में
एक बार से ज्यादा पूजा करने वाली महिलाओं में, दिल की बीमारी से होने वाली
मौत में 27% और कैंसर से होने वाली मौत में 21% कम खतरा होता है।
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