पंजाब सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ विधानसभा सत्र बुलाने के लिए तैयार, पंजाब-चंडीगढ़ समाचार हिंदी में

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पंजाब सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ विधानसभा सत्र बुलाने के लिए तैयार - पंजाब-चंडीगढ़ समाचार हिंदी में




चंडीगढ़ । पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने भरोसा दिया है कि उनकी सरकार इन काले और कठिन समय में मुज़ाहरा कर रहे किसानों की पूर्ण हिमायत करेगी। नए कृषि कानूनों के खि़लाफ़ कानूनी हल समेत सभी संभव कदम उठाएगी, जिसमें पंजाब विधान सभा का एक विशेष सत्र भी बुलाया जाना शामिल है, जिसके दौरान अगली रणनीति बनाने सम्बन्धी गहराई से विचार-विमर्श होगा।

मुख्यमंत्री ने 31 किसान जत्थेबंदियों के नुमायंदों के साथ इस मुद्दे पर उनके विचार जानने के लिए बुलाई गई मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए कहा कि वह आज अपनी कानूनी माहिरों की टीम के साथ इस मुद्दे को गंभीरता से विचारेंगे और आगे उठाए जाने वाले कदमों को अंतिम रूप देंगे, जिनमें इन कृषि कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना शामिल होगा। इस मौके पर किसानों के नुमायंदों के अलावा कुल हिंद कांग्रेस के जनरल सचिव और पंजाब मामलों संबंधी इंचार्ज हरीश रावत समेत कैबिनेट मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा, गुरप्रीत सिंह कांगड़, भारत भूषण आशु और विधायक राणा गुरजीत सिंह, पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान सुनील जाखड़ और एडवोकेट जनरल अतुल नन्दा भी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने किसान नेताओं को भरोसा देते हुए कहा, ‘‘हम केंद्र सरकार द्वारा राज्य के संघीय और संवैधानिक अधिकारों पर किए गए हमलो का जवाब देने के लिए हर मुमकिन कदम उठाएंगे और किसानों के हितों के लिए लड़ेंगे।’’ उन्होंने आगे कहा कि यदि कानूनी माहिरों की यह सलाह होती है कि केंद्रीय कानूनों का मुकाबला करने के लिए प्रांतीय कानूनों में संशोधन किया जाए, तो ऐसा करने के लिए तुरंत ही विधान सभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा।

उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यदि मौजूदा हालात में सबसे सही रास्ता यही है तो सरकार को विधान सभा सत्र बुलाने पर कोई ऐतराज़ नहीं है, परन्तु शिरोमणि अकाली दल प्रधान सुखबीर सिंह बादल द्वारा विधान सभा के विशेष सत्र की माँग को हलके स्तर की ड्रामेबाज़ी करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले तो महीनों तक अकालियों ने केंद्रीय कानूनों की खुलकर हिमायत की थी। उन्होंने प्रश्न के लहज़े में पूछा कि पिछले सत्र के दौरान अकाली कहाँ थे और क्यों सुखबीर ने सर्वदलीय मीटिंग में अन्य पक्षों की तरह हिमायत नहीं की।

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