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कुरुक्षेत्र15 मिनट पहले
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- कोविड-19 को देखते हुए स्पष्ट नहीं हो पा रहे आयोजन
इंटरनेशनल गीता महोत्सव मनाने का फैसला केडीबी व सरकार ले चुकी है। गीता जयंती में अब 44 दिन बाकी हैं, लेकिन अभी तक महोत्सव का स्वरूप कैसा होगा, यह प्रपोजल ही तैयार नहीं हो पाया। इसे लेकर अभी तक फाइलों में ही काम चल रहा है। हालांकि इस पर मंथन जरूर हो रहा है। कोविड को ध्यान में रखते हुए ही प्रपोजल तैयार किया जाना है। केडीबी अभी कोरोना को लेकर स्थितियां भी देख रही है। इसी रुख से इंटरनेशनल गीता महोत्सव का स्वरूप तय होगा।
50 से ज्यादा रहते हैं आयोजन
गौरतलब है कि इंटरनेशनल गीता महोत्सव में छोटे बडे़ 50 से ज्यादा आयोजन होते हैं । इनमें मुख्य शिल्प मेला, मुख्य पंडाल में मुख्य सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनियां, रंगोली, प्रश्नोत्तरी जैसी प्रतियोगिताएं, धार्मिक संवाद, संत सम्मेलन, भागवत कथा व रासलीला जैसे आयोजन शामिल रहते हैं। इन पर करोड़ों रुपए का बजट खर्च होता है। पिछले महोत्सव में करीब 10 करोड़ खर्च हुए थे।
पांच साल पहले हुई थी जयंती की घोषणा
बता दें कि करीब पांच साल पहले सरकार ने गीता जयंती को इंटरनेशनल स्तर पर मनाने की घोषणा की थी। इसके बाद इसका दर्जा राष्ट्रीय महोत्सव से बढ़ाकर इंटरनेशनल किया गया। पिछले तीन उत्सव इसी दर्जे से मनाए गए। परंपरानुसार इंटरनेशनल महोत्सवों में कंट्री व स्टेट पार्टनर भी बनाए जाते हैं। पिछले साल घोषणा हुई थी कि 2020 की गीता जयंती का इंटरनेशनल दर्जा और मजबूत होगा, लेकिन इसी बीच कोरोना का संकट आ गया। अभी तक कंट्री व स्टेट पार्टनर को लेकर भी कुछ तय नहीं हुआ। हालांकि यदि कोरोना को लेकर यही हालात रहे तो अबके किसी भी देश को कंट्री पार्टनर नहीं बनाया जाएगा।
सीईओ का ट्रांसफर, नए का इंतजार
केडीबी के सीईओ कपिल शर्मा का तबादला हो गया है। उनकी जगह फिलहाल नए सीईओ नहीं आए हैं। हालांकि अभी कपिल शर्मा ही जिम्मा संभाले हुए हैं। प्रपोजल तय करने में सीईओ की मुख्य भूमिका रहेगी। लिहाजा केडीबी अभी नए सीईओ का इंतजार कर रहा है।
गाइडलाइन के अनुसार होगा आयोजन
केडीबी मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा का कहना है कि प्रशासन व केडीबी मिलकर प्रपोजल तैयार कर रही है। इसमें धार्मिक, सामाजिक संस्थाओं से भी सुझाव ले रहे हैं। गीता जयंती पर कोरोना से बचाव और गाइडलाइन के मुताबिक ही आयोजन होंगे।
मेले से पर्यटन उभरने की उम्मीद
कोरोना की वजह से देश के साथ-साथ कुरुक्षेत्र में पर्यटन बुरी तरह से प्रभावित हुआ। जानकारों का मानना है कि अब इंटरनेशनल गीता महोत्सव जैसे आयोजन पर्यटन को उभार सकते हैं। केडीबी सदस्य उपेंद्र सिंघल के मुताबिक उत्सव में शिल्प मेला ही मुख्य आकर्षण रहता है। लोग चाहते हैं कि अबके भी शिल्प मेला लगे। वहीं कोरोना से प्रभावित शिल्पकार भी चाहते हैं कि अब किसी बडे़ आयोजन में भागीदारी हो, क्योंकि उनका रोजगार भी इसी पर टिका होता है। वहीं जयंती पर गीता पर आधारित कार्यक्रम भी कराए जाएं।
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