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चंडीगढ़4 घंटे पहले
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फाइल फोटो
- मेडिकल के फील्ड में करियर बनाने के इच्छुक स्टूडेंट्स के लिए रविवार का दिन खुशखबरी वाला रहा…
मेडिकल के फील्ड में अपना करियर बनाने के इच्छुक स्टूडेंट्स के लिए रविवार का दिन खुशखबरी वाला रहा, क्योंकि देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों ने वह रैंक घोषित किए, जिन्हें वे अपने संस्थान में एडमिशन देना चाहते हैं। देश के टॉप मेडिकल कॉलेज यानी एम्स नई दिल्ली में ट्राईसिटी के चार स्टूडेंट्स ने जगह बनाई है।
इनमें शामिल रहे ऑल इंडिया रैंक 15 ला चुके गुरकीरत, ऑल इंडिया रैंक 24 लानी वाली ईशिता गर्ग, अॉल इंडिया रैंक 47 लाने वाले कार्तिक और ऑल इंडिया रैंक 201 लाने वाले तरुण चौधरी। एम्स में एमबीबीएस के लिए सिर्फ 100 सीटें हैं और इनमें से चार स्टूडेंट्स ट्राईसिटी के रहे।
पढ़ाई की कोई लिमिट नहीं होती…
सेंट पीटर्स स्कूल सेक्टर-37 से 12वीं कर चुके गुरकीरत सिंह ने ट्राईसिटी में टॉप किया था। गुरकीरत सिंह ने बताया कि 10वीं क्लास तक उसे सोशल मीडिया की बहुत आदत थी। हर रोज 6 से 7 घंटे मोबाइल में ही बिताता था। मूलरूप से सिरसा के निवासी गुरकीरत 2018 में चंडीगढ़ पढ़ने आए।
सेंट पीटर्स स्कूल सेक्टर-37 में एडमिशन लिया और हॉस्टल में रहे तो मोबाइल रखने की इजाजत नहीं थी, इसलिए धीरे-धीरे आदत बदली और पढ़ाई पर फोकस शुरू हुआ। गुरकीरत का मानना है कि सेल्फ कंट्रोल बहुत जरूरी है और हर रोज का काम रोज करें, वरना पिछड़ जाएंगे। पढ़ाई की कोई लिमिट नहीं होनी चाहिए और ऐसा सोचना गलत है कि आज हमें इतना ही पढ़ना है।
एम्स दिल्ली में एडमिशन लेने के इच्छुक गुरकीरत के पिता विजय सिंह मोंगा इनकम टैक्स में इंस्पेक्टर हैं, जबकि मां इकबाल कौर साइंस टीचर हैं। बहन नवप्रीत ने भी एम्स क्रैक किया था और वह अमृतसर में इंटर्नशिप कर रही है।
चंडीगढ़ में कोचिंग ले चुके पंजाब के इन दोनों स्टूडेंट्स को भी मिलेगी एम्स में एडमिशन…
ईशिता ने चंडीगढ़ के एक इंस्टीट्यूट से कोचिंग की थी। नाभा के श्री ऊषा माता पब्लिक स्कूल से 12वीं कर चुकी ईशिता गर्ग के नीट एग्जाम 706 मार्क्स आए थे और उन्हें ऑल इंडिया रैंक 24 मिला था और इस वजह से ईशिता ने पूरे पंजाब में नंबर 1 पोजिशन भी हासिल की थी। उनके पिता डॉ. सुमित गर्ग नाभा में ही सर्जन हैं।
नीट एग्जाम में 705 मार्क्स आए थे, ऑल इंडिया रैंक 47 आया था कार्तिक का…
कार्तिक ने चंडीगढ़ के एक इंस्टीट्यूट से कोचिंग की लेकिन चे पंजाब के संगरूर के खनौरी कस्बे के निवासी हैं। नीट एग्जाम में 705 मार्क्स आए थे और ऑल इंडिया रैंक 47 आया था। कार्तिक ने अात्माराम काॅन्वेंट स्कूल से 12वीं की है। पिता अशोक कुमार संगरूर में ही केमिस्ट हैं।
पिछली बार आया था 21 हजार से ज्यादा रैंक
अगर इस बार भी अच्छा रैंक नहीं आता तो शायद मैं लाइन ही बदल लेता, यह कहना था कालका के गांव टगरा हंसुआ के रहने वाले तरुण चौधरी का। दूसरी बार तरुण ने नीट का एग्जाम दिया था। तरुण ने 2019 में भी नीट की परीक्षा दी थी तब उनका रैंक 21 हजार आया था। इसके बाद उसके परिवार वालों ने उसे एक बार दोबारा ट्राई करने को कहा था।
तरुण ने कहा कि नीट की परीक्षा पास करने के लिए बायोलॉजी व केमिस्ट्री के लिए एनसीईआरटी की किताबें पढ़नी चाहिए। इसके साथ ही पहले हो चुके नीट के पेपर्स पर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि उस ही पैटर्न पर पेपर आता है। तरुण ने बताया कि वह दिन में 8 घंटे पढ़ाई करते थे और इस दौरान लॉकडाउन का समय भी आया ऑनलाइन क्लासेज के साथ-साथ घर में भी पढ़ाई करते थे।
वह पढ़ाई करने के बाद जब थक जाते थे तो वह अपने घर की छत पर जाकर अपने भाई के साथ क्रिकेट खेलते थे, जिससे वह खुद को फ्रेश महसूस करते थे। तरुण के पिता हंसराज का ट्रांसपोर्ट का परवाणू में बिजनेस है। वहीं मां सीमा कौर हाउसवाइफ हैं, जबकि जुड़वा भाई कनाडा में पढ़ रहा है।
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