30-bed mother and child care center closed since inauguration, bunked baby boy outside the labor room | 30 बेड का मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर उद्घाटन के बाद से ही बंद, लेबर रूम के बाहर चारपाई लगा लेटा दिए जच्चा-बच्चा

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पठानकोट5 घंटे पहले

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  • सिविल अस्पताल के 3 बड़े प्रोजेक्ट, शुरू एक भी नहीं करवा पाया सेहत विभाग
  • 3.90 करोड़ से बनी बिल्डिंग का 20 जून को सेहतमंत्री ने किया था उद्घाटन

सिविल अस्पताल में 3 बड़े प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाए हैं। 3.90 करोड़ से 30 बेड का एमसीएच सेंटर, ट्रामा सेंटर के ऊपर 45 लाख से 15 कमरे और 45 लाख से डायग्नोस्टिक बिल्डिंग बनाई गई है। पर मदर चाइल्ड हेल्थ केयर सेंटर (एमसीएच) में जच्चा बच्चा को बेहतर सुविधाएं देने की बजाय उसे कोविड वार्ड में तबदील कर दिया है। इसके चलते छोटे से लेबर रूम में 11 बेड समेत चारपाई लगा महिला की डिलीवरी के बाद नवजात व मां को ओपन में भर्ती किया जा रहा है। वहीं, पठानकोट विकास मंच ने वर्ष पहले ट्रामा सेंटर की बिल्डिंग पर 45 लाख से 15 कमरे बनवाए थे। पर रैंप न बनने से शुरू ही नहीं हो पाए।

तीसरे प्रोजेक्ट में सरकार ने 2014 में डायग्नोस्टिक सेंटर में लोगों को सस्ते रेट पर एमआरआई, सिटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड समेत सेहत सुविधा देने के मकसद से 45 लाख खर्च कर बिल्डिंग बनाई थी। पर यह डायग्नोस्टिक सेंटर शुरू न होने से बिल्डिंग खंडहर का रूप धारण कर रही है। सिविल अस्पताल परिसर में जच्चा-बच्चा को बेहतर सुविधाएं देने के मकसद से 3 करोड़ 90 लाख की लागत से बनाए 30 बेड का मदर चाइल्ड एंड केयर सेंटर (एमसीएच) का कोरोना काल के बीच ही 20 जून को सेहत मंत्री बलवीर सिंह सिद्धू ने उद्घाटन किया था और कहा था कि एक ही छत के नीचे जच्चा-बच्चा को बेहतर सुविधा मिलेगी, लेकिन एमसीएच शुरू ही नहीं हो सका। इसके बाद से एमसीएच बिल्डिंग के दरवाजे पर ताले लटके हैं और दूसरे रास्ते से कोरोना पॉजिटिव लेबल-2 के मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। बता दें कि सिविल अस्पताल में एक महीने में 350 से 400 डिलीवरी होती है।

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जच्चा-बच्चा को अलग कमरे में रखना चाहिए : रोशनी

पहाड़ी खड की शिमलो देवी ने बताया कि बहु जीवन ज्योति की डिलीवरी करवाई। फिर लेबर रूम के बाहर ओपन में चारपाई लगाकर बहु व नवजात को रखा गया। सुबह दूसरे मरीज के साथ बेड पर लेटा दिया गया। वहीं, करोली की रोशनी देवी ने कहा कि पहले तो भाभी को किसी दूसरे मरीज के साथ बेड पर लेटा दिया गया। उसके बाद लेबर रूम में बड़ी मुश्किल से बेड मिला। उन्होंने कहा कि महिला व बच्चे को डिलीवरी के बाद वार्ड या अलग कमरे में रखना चाहिए, ताकि एक दूसरे से इंफेक्शन न फैले।

सरकार के आदेश पर एमसीएच शुरू करेंगे : एसएमओ
एसएमओ डॉ.भूपिंद्र सिंह का कहना है कि सरकार के आदेश पर कोरोना के चलते एमसीएच बिल्डिंग में कोविड के पॉजिटिव मरीजों के लिए 50 बेड लगाकर आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। सरकार के आदेश के बाद एमसीएच शुरू किया जाएगा।

रैंप बनाने का हो चुका है टेंडर
एसडीओ कंस्ट्रक्शन विंग सुनील ने कहा कि ट्रामा सेंटर पर बने कमरों को जाने वाले रास्ते पर रैंप बनाने का 2 बार टेंडर लगाया था। पर कोई एजेंसी नहीं आई। अब 5 लाख 98 हजार का टेंडर हो गया है। जल्द काम शुरू होगा।

एक साल से 15 कमरे हैं तैयार, ऊपर जाने को रैंप नहीं बनवा पाया विभाग
सिविल में कम पड़ रहे बेडों के चलते पठानकोट विकास मंच ने शहर के लोगों के सहयोग से करीब 2 वर्ष पहले ट्रामा सेंटर पर 45 लाख से 15 कमरे बनाए थे। एक वर्ष से कमरे तैयार हैं, पर सेहत विभाग बिल्डिंग पर जाने के लिए रैंंप ही नहीं बनवा सका। उधर, अधिकारियों का कहना है कि 3 बार टेंडर लगाया था, लेकिन सिरे नहीं चढ़ा। अब टेंडर लग गया है।

डायग्नोस्टिक सेंटर भी नहीं खुला
2014 में 45 लाख रुपए खर्च कर डायग्नोस्टिक सेंटर के लिए बिल्डिंग बनाई गई थी। यहां एक छत के नीचे, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड और सिटी स्कैन सुविधा देने की योजना थी। मकसद 700 रुपए में सिटी स्कैन, एमआरआई एक हजार, अल्ट्रासाउंड 250 रुपए सुविधा देना था। पर सेंटर शुरू नहीं हो पाया।

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TheNationTimes

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