राजस्थान क्राइम फाइल्स पार्ट -1 में आपने पढ़ा कि 90 के दशक में ‘चोर जमाई राजा’ के नाम से कुख्यात 20-22 साल का क्रिमिनल कैसे दामाद बनकर नव विवाहित महिलाओं के पीहर में घुस जाता। वहां खुद को पति बताकर विवाहिता से रेप करता और सुबह होते ही गहने और रुपए लेकर फरार हो जाता।
असली जमाई की भी जांच होती
लड़की के पीहर वालों को सच का पता भी चल जाता तो भी लोक लाज के डर से पुलिस में रिपोर्ट तक दर्ज नहीं कराते। साल 1988 आते-आते पुलिस के सामने उसके खिलाफ चोरी के ही सही, लेकिन दो मामले दर्ज हो गए थे।
लेकिन पुलिस के हाथ अभी भी खाली थे। पुलिस हैरान-परेशान थी कि आखिर कौन शख्स है जो इन वारदातों को अंजाम दे रहा था?
‘चोर जमाई राजा’ का खौफ इतना बढ़ गया था कि ससुराल पहुंचने पर दामाद का सत्यापन करवाया जाता। रात में वो अपनी पत्नी के साथ भी नहीं रह सकता था।
कोई दामाद ससुराल जाता और घर में सिर्फ महिलाएं होती तो पहले इस बात की तसल्ली की जाती कि जो शख्स आया है, वह असली दामाद ही है।
अब जो हम आपको बताने जा रहे हैं ये किसी पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है, लेकिन बाड़मेर जिले के निंबलकोट के बुजुर्ग उसकी तस्दीक करते हैं। इतना ही नहीं जिले के कई थानों की पुलिस भी मौखिक तौर पर इसे स्वीकार करती है…
24 अगस्त 1988 में दूसरा मामला दर्ज होने के दो दिन बाद ही चौहटन पुलिस को सूचना मिली कि एक शख्स ने फर्जी दामाद बन इलाके के एक घर में घुसने का प्रयास किया था।
इस बार लोगों ने पहचान लिया था कि ये उनका दामाद नहीं है। लोगों ने उसे खूब पीटा और रातभर बंधकर बनाकर रखा। अगली सुबह उसे पुलिस को सौंप दिया गया था।
चौहटन पुलिस की पूछताछ में उस शख्स ने अपना नाम जियाराम जाट निवासी निंबलकोट बताया था। सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने चौहटन थाने में दर्ज दोनों मामलों में अपनी भूमिका स्वीकार कर ली।
उसने पुलिस पूछताछ में कबूल किया कि इससे पहले भी ऐसी कई वारदातों को अंजाम दे चुका है। हालांकि उसके खिलाफ महज चोरी के ही मामले दर्ज होने से पुलिस ने 31 अगस्त 1988 को उसके खिलाफ चालान पेश कर उसे जेल भेज दिया।
जेल से निकलते ही दोबारा शुरू कर दी वारदातें
कुछ दिन बाद वो जेल से छूटकर बाहर आ गया उसने ‘चोर जमाई राजा’ बनकर वारदातें करना जारी रखी। कई बार उसके खिलाफ मामले भी दर्ज हुए, जेल भी गया लेकिन छूटते ही फिर वारदातों का सिलसिला शुरू हो जाता।
पुलिस रिकॉर्ड में उसके खिलाफ साल 2009 तक चौहटन और सिणधरी थाने में 4-4, बाड़मेर के कोतवाली थाने में 3, समदड़ी, धोरीमन्ना, बालोतरा, जोधपुर के सरदारपुरा, गुड़ामालानी और बीजराड़ थाने में 1-1 मामला दर्ज हुआ था। पुलिस ने उसकी हिस्ट्रीशीट भी खोली थी।
पुलिस पूछताछ में कबूली 250 से ज्यादा रेप की बात
साल 2013 में एक मामले में जब बाड़मेर पुलिस ने जियाराम को गिरफ्तार किया तो उसने पुलिस को खुद बताया था कि वो अब तक 250 से ज्यादा लड़कियों का पति बनकर उनके पीहर में उनके साथ रात गुजार चुका है।
पुलिस में तो उसके खिलाफ ये चंद मामले ही दर्ज हुए हैं। अपने इन घिनौने अपराधों को वो अपनी आर्ट बताता था और इस पर गुमान भी करता था।
आखिरी बार ‘चोर जमाई राजा’ जियाराम जाट को सिणधरी पुलिस ने पकड़ा था। तब उसे संदिग्ध हालत में बाड़मेर के पटौदी एरिया में घूमते हुए पकड़ा गया था।
उसे पुलिस ने वहां आने का कारण पूछा तो उसने कोई जवाब नहीं दिया था। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर तहसीलदार के सामने पेश किया गया था।
तहसीलदार को जब उसके पुराने क्राइम रिकॉर्ड की जानकारी दी गई तो उन्होंने उसे जमानत पर छोड़ने से इनकार करते हुए जेल भेज दिया था।
SHO बोले- पूछताछ में खुद ने बताई थी ‘चोर जमाई राजा’ बनने की कहानी
जियाराम को आखिरी बार पकड़ने वाले तत्कालीन सिणधरी SHO और हाल में जोधपुर जिले के झंवर थाने के सीआई मूलाराम चौधरी ने बताया कि पुलिस पूछताछ में जियाराम ने बताया कि वो ऐसे घर ढूंढता था, जहां विवाहित लड़की का गौना होना बाकी हो।
ऐसे घर ढूंढकर वो रात नौ-दस बजे दामाद बन कर पहुंच जाता। उस समय ज्यादातर ढाणियों में बिजली नहीं थी, ऐसे में लड़की के पीहर वाले उसे पहचान नहीं पाते।
वो लोग दामाद समझकर उसकी जमकर खातिरदारी करते तथा लड़की और दामाद को एक कमरे में रुकवा देते। जियाराम का पति बनकर उसके साथ रेप करता और फिर उसे अपनी बातों में फांसकर सभी गहने ले लेता था।
जियाराम ने लड़की से कहता था- तुम्हारे गहने छोटे हैं और इनकी डिजाइन अच्छी नहीं है। ये मुझे दे दो और जब अगली बार आऊंगा तो बड़े व नई डिजाइन वाले गहने ले आऊंगा।
लड़की उसकी बातों में आ जाती और अपने गहने उसे दे देते। इसके बाद सुबह होते-होते वो वहां से फरार हो जाता था।
अपने गांव में नहीं किया कोई अपराध
चोर जमाई राजा के नाम से कुख्यात जियाराम जाट निंबलकोट गांव का रहने वाला था। निंबलकोट के सरपंच नगाराम ने बताया कि जियाराम पढ़ा लिखा नहीं था और उसके पिता पूराराम की भी जल्दी ही मौत हो गई थी। मां ने ही उसे पाला था।
जब शुरुआत में उसके अपराधों की जानकारी उसकी मां और गांव के लोगों को लगी तो उसे खूब पीटा गया। समझाया भी, लेकिन वो थोड़े दिन बाद नया कांड कर देता था।
हालांकि उसने अपने गांव निंबलकोट में कभी कोई अपराध नहीं किया। उसकी मां मजदूरी कर घर चलाती थी।
साल 2016 में घर में संदिग्ध परिस्थितियों में मिली लाश
साल 2016 में 46 साल की उम्र में जियाराम का शव बाड़मेर के खारिया खुर्द की सरहद स्थित एक ढाणी में मिला। सूचना पर पहुंची पुलिस ने उसके शव का पोस्टमार्टम करवाया तो पता चला था कि उसके फेफड़े पूरी तरह खराब हो चुके थे।
वो अपने पिता का इकलौता बेटा था। पिता की काफी समय पहले मौत हो गई थी। उसकी बूढ़ी मां आज भी निंबलकोट गांव में ही रहती है।
SOURCE- DAINIK BHASKAR