228 days have passed since the coronary, no Bhandara in temples, seven years waiting in Tara Devi and one year waiting in Jakhu temple | कोरोनाकाल के हो गए 228 दिन, नहीं हुआ मंदिरों में कोई भंडारा, तारा देवी में सात साल और जाखू मंदिर में एक साल तक की वेटिंग

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शिमला12 दिन पहले

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जाखू मंदिर में श्रद्धालु तो पहुंच रहे हैं लेकिन अभी भंडारा शुरू नहीं हुआ है। हनुमानजी का आशीर्वाद लेकर श्रद्धालु लौट रहे हैं।

  • देव दर्शन के लिए मंदिर तो खुले हैं लेकिन भंडारे के लिए सरकार की मंजूरी के बाद ही अनुमति

(ब्रह्मानंद देवरानी) मनोकामना पूर्ण होने पर मंदिरों में भंडारा देने वाले श्रद्धालुओं को इस बार कोरोना ने लंबा इंतजार करवा दिया है। लेकिन काेरोनाकाल में भी लोगों की आस्था पर कोई असर नहीं हुआ है। सरकार ने प्रदेश के मंदिरों में केवल देवी -देवताओं के दर्शन करने की अनुमति दी है। भंडारे के आयोजन की मंजूरी नहीं दी है। इसलिए श्रद्धालुओं को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है।

मंदिर बंद हुए लगभग 228 दिन हो गए हैं, श्रद्धालुओं को अभी तक एसओपी आने तक प्रतीक्षा करनी होगी। प्रदेश के मुख्य मंदिरों में कोरोनाकाल में श्रद्धालु भंडारा देने के लिए अपना नाम रजिस्टर में दर्ज करवा रहे हैं। कोरोना के कारण मंदिरों में भी ताले लग गए थे। किसी श्रद्धालु को मंदिरों में जाने की अनुमति नहीं थी, भंडारा तो दूर की बात।

गौरतलब है कि देवभूमि हिमाचल में आज भी यह परंपरा है कि मन्नत पूर्ण होने पर श्रद्धालु मंदिरों में भंडारे का आयोजन करते हैं। यह पंरपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन कोेविड-19 ने इस परंपरा को भी अपनी बेड़ियों में कैद कर रखा है। राजधानी स्थित तारा देवी मंदिर में प्रत्येक रविवार, मंगलवार और राजपत्रित अवकाश पर भंडारे का आयोजन किया जाता है। लॉकडाउन से पहले भी यहां भंडारा देने वालों की वेटिंग चल रही है। मंदिर के प्रबंधक अनिल शांडिल कहते हैं कि लॉकडाउन से पहले ही यहां सात साल की वेटिंग चली हुई है। यानी की जिन्होंने सात साल पहले भंडारा देने के लिए अपना नाम रजिस्टर करवाया था।

उनका नंबर अभी तक नहीं आया है। हालांकि मंदिरों में भंडारे का आयोजन तो नहीं हो रहा है लेकिन भंडारा करवाने वाले अपना नाम अभी भी वहां के रजिस्टर में दर्ज करवा रहे हैं। यहां अंतिम भंडारा 17 मार्च को हुआ था। शिमला की जाखू की पहाड़ी पर स्थित हनुमान मंदिर में भी रविवार के अलावा मंगलवार और विषेश पर्व पर भंडारे का आयोजन किया जाता है।

मंदिर ट्रस्ट के सदस्य मदन कहते हैं कि यहां 10 मार्च को अंतिम भंडारे का आयोजन किया गया था। उसके बाद लॉकडाउन लग गया। अभी इस पर अभी और समय लग सकता है। यहां लगभग 100 भक्त वेटिंग में चल रहे हैं जिन्होंने अपनी मनोकामना पूरी होने पर यहां भंडारा दूंगा। श्रद्धालु अगला भंडारा देने के लिए रजिस्टर में नाम दर्ज करवा रहे हैं।

पहले करवानी होती है बुकिंगः

मंदिरों में भंडारा देने के लिए मंदिर प्रशासन के पास पहले ही नाम दर्ज करवाना पड़ता है। वहां से अभी तक की बुकिंग के हिसाब से ही तारीख दी जाती है। भंडारे के लिए सामान की व्यवस्था श्रद्धालु को ही करनी पड़ती है। तारा देवी मंदिर में अभी सात साल तक की वेटिंग चल रही है जबकि जाखू मंदिर में एक साल की वेटिंग चल रही है।

50 हजार रुपए खर्च आता है एक भंडारे परः

मंदिरों से मिली जानकारी के अनुसार एक भंडारे के आयोजन पर लगभग 50-60 हजार रुपए का खर्चा आ जाता है। भंडारे में श्रद्धालु अपनी मन पसंद का सात्विक भोजन दे सकता है। भंडारा सुबह लगभग 7-8 बजे से दोपहर बाद तक चलता रहता है।

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