2.70 crore box production, 30% less than last year, 3.75 crore box apple was produced last year | 2.70 करोड़ पेटी उत्पादन, पिछले साल से 30% कम, पिछले साल 3.75 करोड़ पेटी सेब का उत्पादन हुआ था

0

[ad_1]

शिमला10 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
5kuchamandeedwanapullout pg1 0 1604602102
  • फ्लावरिंग के समय मौसम ने मारा और जब फल आया ताे स्क्रैब रोग ने, न ढंग से फसल मिली और न ही कीमत
  • इस बार सबसे ज्यादा शिमला, किन्नौर और मंडी से देशभर में भेजा गया सेब, कोरोना के कारण लेबर न मिलने से भी हुई परेशानी

30 फीसदी कम पेटियाें के साथ प्रदेश में सेब सीजन खत्म हाे गया है। इस बार दाे कराेड़ 70 लाख सेब की पेटियां देशभर की विभिन्न मंडियाें में भेजी गई हैं। ये पिछले वर्ष के मुकाबले करीब एक कराेड़ पेटियां कम हैं। पिछले साल तीन कराेड़ 75 लाख सेब की पेटियाें का उत्पादन हुआ था।

इस वर्ष अभी तक 2 कराेड़ 75 लाख 30 हजार हजार 226 पेटियां विभिन्न मंडियाें में पहुंची हैं। इनमें से 20 किलाे की पैकिंग में 2 कराेड़ 65 लाख 65 हजार 207 और 10 किलाे की पैकिंग (हाफ पैक) में एक लाख 89 हजार 454 पेटियां भेजी गई हैं।

सेब की कम पैदावार के कारण बागवानाें काे इसका भारी नुकसान उठना पड़ा है। इस वर्ष राज्य से भेजे गए सेब की बात करें तो शिमला-किन्नाैर, मंडी समिति से देश की मंडियों में सबसे अधिक सेब गया है। यहां से अब तक एक कराेड़ 85 लाख 29 हजार 491 पेटियां (20 किलाे) बाजार में जा चुकी हैं।

साेलन मंडी समिति से 17 लाख 92 हजार 703, कुल्लू-लाहाैल स्पीति मंडी समिति से 19 लाख 65 हजार 034, ऊना मंडी समिति से 75, बिलासपुर मंडी समिति से 49 लाख 68 हजार 264 और चंबा मंडी समिति से 91,475 सेब की पेटियां बाजार में पहुंची हैं।

इस बार बागवानाें काे करना पड़ा दाेहरी मार का सामना

इस वर्ष राज्य के बागवानों को सेब को लेकर शुरुआत से ही काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है और ये सेब की मार्केटिंग तक जारी रहा, यानी सेब के पौधों पर फूल आने के बाद से ही कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

फ्लावरिंग के वक्त मौसम दगा दे गया और कई ऊंचाई वाले इलाकों में फसल को भारी नुकसान हुआ। उसके बाद ओलावृष्टि ने कसर पूरी और फिर जहां अच्छी फसल थी, वहां पर स्कैब रोग के हमले से नुकसान हो गया। इसके बाद बागवानों ने जैसे-तैसे सेब बाजार में पहुंचाया, लेकिन कम फसल के बाद भी बागवानों को उम्मीद के मुताबिक दाम नहीं मिले। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि बागवानों को इस वर्ष काफी नुकसान हुआ है।

कीमतें कम मिलने से बागवान हुए मायूस…
इस साल सेब सीजन के शुरुआत में बागवानों को सेब के अच्छे दाम मिले, लेकिन जब मध्यम ऊंचाई का सेब बाजार में आया, सेब के दाम भी गिरने लगे। इससे सेब बागवानों को मायूसी हाथ लगी। हालांकि बागवान उम्मीद में थे कि फसल कम होने के कारण दाम अच्छे मिलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

इस कारण बागवानों को नुकसान हुआ है। बागवानों को कोरोना संकट के दौरान पहले ही भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। उधर, प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड के प्रबंध निदेशक नरेश ठाकुर ने बताया कि प्रदेश में सेब सीजन 30 फीसदी की कमी के साथ समाप्त हाे गया है। इस साल गत वर्ष के मुकाबले एक कराेड़ कम सेब की पेटियां मार्केट में पहुंची है।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here