नई दिल्ली: भारतीय शेयर बाजार में हर बार कोई नई आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) निवेशकों का ध्यान खींचता है। इस बार हुंडई मोटर इंडिया एक बड़ा आईपीओ लेकर आ रही है, जिसकी कुल वैल्यू 27,870.16 करोड़ रुपये है। यह आईपीओ 15 अक्टूबर को खुलने वाला है और 17 अक्टूबर तक निवेशक इसके शेयरों के लिए बोली लगा सकेंगे। लेकिन इस बार निवेशकों को सतर्क रहना होगा, क्योंकि ग्रे मार्केट में हुंडई आईपीओ का जीएमपी (ग्रे मार्केट प्रीमियम) लगातार गिरता जा रहा है, जिससे निवेश के रिस्क के बारे में सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
जीएमपी में गिरावट: क्या है इशारा?
जीएमपी एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है, जो यह दर्शाता है कि किसी आईपीओ के शेयर लिस्टिंग के समय कितने प्रीमियम पर ट्रेड कर सकते हैं। हाल ही में, हुंडई आईपीओ का जीएमपी 65 रुपये के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है, जो 9 अक्टूबर के बाद से लगातार गिरता जा रहा है। इससे यह संकेत मिलता है कि निवेशकों का उत्साह इस आईपीओ के प्रति कम हो रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि जीएमपी में गिरावट कुछ ऐसे रिस्क का संकेत है जो हुंडई आईपीओ में निवेश करने वालों के मुनाफे को प्रभावित कर सकते हैं। यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही, तो लिस्टिंग के समय निवेशकों को वह लाभ नहीं मिल सकता, जिसकी उन्होंने उम्मीद की थी।
निवेशकों की प्रतिक्रियाएँ
कुछ ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि हुंडई आईपीओ में लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करना फायदेमंद हो सकता है। फर्मों जैसे आनंद राठी, केनरा बैंक सिक्योरिटीज और बजाज ब्रोकिंग ने निवेशकों को लॉन्ग टर्म में पैसा लगाने की सलाह दी है। हालांकि, यह सलाह ऐसे समय में आई है जब जीएमपी में गिरावट और संभावित जोखिम भी देखे जा रहे हैं।
संभावित रिस्क का विश्लेषण
- ईवी रणनीति पर अनिश्चितता: विश्लेषकों का कहना है कि हुंडई अपनी इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) रणनीति को किफायती तरीके से पेश करने में सक्षम हो पाएगी या नहीं, इस पर कोई भरोसा नहीं है। ईवी के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है और अगर हुंडई ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह उसके मुनाफे पर असर डाल सकता है।
- आपूर्ति श्रृंखला की निर्भरता: एसबीआई सिक्योरिटीज के मुताबिक, कंपनी कुछ प्रमुख स्प्लायर्स पर बहुत अधिक निर्भर है। वित्त वर्ष 2024 में कुल रॉ मैटेरियल की सप्लाई में 5 स्प्लायर्स की हिस्सेदारी 44 फीसदी के करीब थी। यदि इनमें से कोई भी स्प्लायर समस्याओं का सामना करता है, तो यह कंपनी की उत्पादन क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
- एसयूवी बिक्री पर निर्भरता: आईडीबीआई कैपिटल का कहना है कि कंपनी की सफलता भारत में मुख्यतः एसयूवी बिक्री पर निर्भर करती है। यदि बाजार में डिमांड में कमी आती है या उत्पादन में कोई बाधा आती है, तो इसका कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन पर बुरा असर पड़ सकता है।
आईपीओ की मुख्य बातें
हुंडई आईपीओ में कोई फ्रेश शेयर जारी नहीं किए जाएंगे। यह पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत होगा। आईपीओ का प्राइस बैंड 1865 से 1960 रुपये के बीच तय किया गया है। एक लॉट में 7 शेयर होते हैं, और एक रिटेल निवेशक अधिकतम 14 लॉट बुक करा सकता है।
इस आईपीओ का अलॉटमेंट 18 अक्टूबर को होगा, जबकि इसकी लिस्टिंग 22 अक्टूबर को होने की संभावना है।
हुंडई आईपीओ एक ऐसा मौका है, जिसे निवेशकों को ध्यान से देखना चाहिए। जीएमपी में गिरावट और अन्य संभावित जोखिमों के बीच यह तय करना कि निवेश करना चाहिए या नहीं, एक चुनौती हो सकती है। हालांकि, कुछ ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि लॉन्ग टर्म में यह निवेश फायदेमंद हो सकता है।
यदि आप इस आईपीओ में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप पहले सभी पहलुओं पर विचार करें। हमेशा एक सर्टिफाइड इनवेस्टमेंट एडवाइजर से सलाह लेने की सलाह दी जाती है ताकि आप अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार सही निर्णय ले सकें।
(Disclaimer: आईपीओ में किया गया निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। यदि आप इनमें से किसी में भी पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श कर लें।)