हाथरस भगदड़: ‘भोले बाबा’ के फरार होने की पूरी कहानी

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121 लोगों की मौत के बाद बाबा की कॉल डिटेल से चौंकाने वाला खुलासा

उत्तर प्रदेश के हाथरस में भगदड़ मचने के बाद नारायण साकार हरि उर्फ ‘भोले बाबा’ के सत्संग ने 121 लोगों की जान ले ली। इस घटना ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया और बाबा के फरार होने ने इसे और भी रहस्यमय बना दिया। इस हादसे के बाद बाबा का फरार होना और उसके कॉल डिटेल्स से हुई चौंकाने वाली खुलासे ने इस मामले को और पेचीदा बना दिया है।

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भगदड़ की विभीषिका

हाथरस के फुलरई गांव में मंगलवार को ‘भोले बाबा’ के सत्संग में लगभग एक लाख अनुयायी एकत्र हुए थे। सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक सत्संग चला। इस दौरान सुरक्षा का जिम्मा बाबा की प्राइवेट आर्मी यानी सेवादारों पर था। सत्संग खत्म होने के बाद बाबा का काफिला सत्संग स्थल से बाहर जा रहा था। इसी दौरान अनुयायियों का हुजूम उनकी गाड़ी के पीछे भागने लगा। भीड़ का ऐसा सैलाब आया कि लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे और दम तोड़ने लगे। कुछ ही पलों में लाशें बिछ गईं और पूरे इलाके में कोहराम मच गया।

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भगदड़ के बाद का रहस्य

सत्संग के बाद भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई और उसी समय से बाबा फरार हो गए। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आयोजकों और बाबा के सेवादारों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू की। बाबा की कॉल डिटेल्स चेक करने पर पता चला कि भगदड़ के तुरंत बाद बाबा ने कई लोगों से बात की थी, जिससे कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।

बाबा के कॉल डिटेल्स का खुलासा

घटना के दिन दोपहर 1:40 बजे बाबा घटनास्थल से निकल गए थे। पुलिस की जांच में पता चला कि 2:48 बजे आयोजक देवप्रकाश मधुकर ने बाबा को फोन किया। दोनों के बीच 2 मिनट 17 सेकंड की बात हुई। इसके बाद बाबा की फोन लोकेशन 3 बजे से 4:35 बजे तक मैनपुरी के आश्रम में मिली। इस दौरान बाबा ने तीन नंबरों पर बात की:

  1. महेश चंद्र: 3 मिनट की बात हुई।
  2. संजू यादव: 40 सेकंड की बात हुई।
  3. रंजना (आयोजक देवप्रकाश की पत्नी): 11 मिनट 33 सेकंड की बात हुई।

रंजना के फोन से संभवतः देवप्रकाश ने ही बात की थी। अन्य दो नंबर भी आयोजक समिति से जुड़े लोगों के थे। 4:35 बजे के बाद बाबा का फोन बंद हो गया और अब तक बंद ही है।

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पुलिस की कार्यवाही

पुलिस ने बाबा के मैनपुरी वाले आश्रम पर छापेमारी की, लेकिन बाबा वहां नहीं मिला। पुलिस टीम ने आश्रम के अंदर 1 घंटे से ज्यादा समय बिताया और बाहर निकलकर कहा कि वे सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था देखने आए थे। उन्होंने बाबा की उपस्थिति की बात को नकार दिया। यह छापेमारी कई सवाल खड़े कर गई।

हादसे की जांच

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद घटनास्थल पर पहुंचे और हादसे की पूरी जानकारी ली। उन्होंने जांच कमेटी गठित की, जो जल्द ही रिपोर्ट सबमिट करेगी। हादसे के बाद मृतकों के परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की गई है और घायलों का इलाज सरकारी खर्चे पर किया जा रहा है।

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भविष्य की चुनौती

हाथरस की यह घटना एक महत्वपूर्ण सबक है कि ऐसे बड़े आयोजनों में सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण कितना महत्वपूर्ण होता है। ‘भोले बाबा’ के फरार होने और उनके कॉल डिटेल्स के खुलासे ने मामले को और भी जटिल बना दिया है। अब देखना होगा कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में कितनी जल्दी और प्रभावी कार्रवाई कर पाते हैं।

इस हादसे ने न केवल 121 निर्दोष लोगों की जान ली, बल्कि उन परिवारों के जीवन को भी हमेशा के लिए बदल दिया है। अब आवश्यकता है कि ऐसे हादसों से सीख ली जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।

क्या सीखें हम?

  1. सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण: ऐसे बड़े आयोजनों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होना चाहिए और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए।
  2. संवेदनशीलता: प्रशासन को संवेदनशीलता के साथ काम करना चाहिए और ऐसे हादसों के बाद तुरंत और प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए।
  3. जिम्मेदारी: आयोजकों और संबंधित व्यक्तियों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए और उन्हें कानूनी प्रक्रिया का सामना करना चाहिए।

इस हादसे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब तक हम सजग और सतर्क नहीं रहेंगे, तब तक ऐसी त्रासदियाँ हमारे समाज का हिस्सा बनती रहेंगी। अब समय है कि हम मिलकर इसके खिलाफ कदम उठाएं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए संकल्पित हों।

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