हरियाणा की राजनीतिक पृष्ठभूमि में इन दिनों हलचल मची हुई है, खासकर कांग्रेस पार्टी में। हाल ही में, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा अंबाला और घरौंड़ा में होने वाली रैलियों को स्थगित करने की घोषणा ने सबको चौंका दिया है। स्वास्थ्य कारणों से रैलियों का स्थगन हुआ है, लेकिन इसके पीछे की कहानी कहीं और छिपी हुई है। क्या यह सिर्फ स्वास्थ्य समस्या है, या कुमारी शैलजा की नाराजगी का भी असर है?
स्वास्थ्य या राजनीति?
मल्लिकार्जुन खरगे के स्वास्थ्य को लेकर रिपोर्ट्स में कहा गया है कि डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है। लेकिन इस स्थिति ने कांग्रेस में चल रहे अंतर्द्वंद्व को और बढ़ा दिया है। पिछले कुछ समय से हरियाणा कांग्रेस के दो प्रमुख नेताओं, कुमारी शैलजा और भूपिंदर सिंह हुड्डा के बीच मनमुटाव की चर्चा चल रही है। शैलजा ने टिकट बंटवारे में अपने समर्थकों के लिए ढाई दर्जन से अधिक सीटों की मांग की थी, लेकिन पार्टी के अंदरुनी खेल ने उन्हें सिर्फ 4-5 सीटें ही मिलवाने में सफल बनाया।
टिकट बंटवारे की राजनीति
कांग्रेस की रणनीति में टिकट बंटवारा एक महत्वपूर्ण पहलू है, और हरियाणा में इसने कई बार विवाद खड़े किए हैं। 12 सितंबर को कांग्रेस ने अपनी अंतिम सूची जारी की थी, जिसके बाद से कुमारी शैलजा की चुप्पी चर्चा का विषय बन गई है। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि उनकी नाराजगी का कारण जातिगत टिप्पणियाँ हैं, जो उनके समर्थकों के खिलाफ की गई हैं। ऐसे में, शैलजा की चुप्पी और उनके रुख से हरियाणा में कांग्रेस की स्थिति को खतरा हो सकता है।
दलित वोटों का महत्व
हरियाणा में दलित वोटों की संख्या लगभग 20 फीसदी है, और यह कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण जनसमूह है। कुमारी शैलजा, जो कि दलित समुदाय की एक प्रमुख नेता मानी जाती हैं, का प्रभाव सिरसा और फतेहाबाद जैसे क्षेत्रों में काफी मजबूत है। यदि शैलजा की नाराजगी जारी रहती है, तो इसका सीधा असर कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं पर पड़ सकता है। उन्हें नजरअंदाज करना पार्टी के लिए महंगा साबित हो सकता है।
हरियाणा में कांग्रेस की स्थिति
राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में 17 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। ऐसे में, यदि कांग्रेस दलित समुदाय का समर्थन खोती है, तो यह उसके लिए एक गंभीर संकट हो सकता है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि हाल के रुझान बताते हैं कि कांग्रेस हरियाणा में एक मजबूत स्थिति में है, लेकिन शैलजा के रुख ने हुड्डा खेमे में चिंता बढ़ा दी है।
हरियाणा में कांग्रेस की रैलियों का स्थगन केवल स्वास्थ्य समस्या का परिणाम नहीं है, बल्कि यह एक जटिल राजनीतिक स्थिति को भी उजागर करता है। कुमारी शैलजा की नाराजगी और टिकट बंटवारे को लेकर उठे विवाद ने पार्टी में असंतोष को जन्म दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस इस स्थिति को संभाल पाएगी और आगामी चुनावों में दलित समुदाय का समर्थन प्राप्त कर सकेगी।
आखिरकार, हरियाणा की राजनीति में यह घटनाक्रम एक चेतावनी है कि असंतोष और अंतर्द्वंद्व पार्टी की मजबूती को कमजोर कर सकते हैं। मल्लिकार्जुन खरगे को अपनी स्वास्थ्य स्थिति के साथ-साथ पार्टी की आंतरिक राजनीति को भी ध्यान में रखना होगा, अन्यथा कांग्रेस की चुनावी संभावनाएँ खतरे में पड़ सकती हैं।
हरियाणा में कांग्रेस की रैलियां रद्द: मल्लिकार्जुन खरगे की स्वास्थ्य स्थिति या कुमारी शैलजा की नाराजगी?http://हरियाणा में कांग्रेस की रैलियां रद्द: मल्लिकार्जुन खरगे की स्वास्थ्य स्थिति या कुमारी शैलजा की नाराजगी?