कहते हैं कि बड़े सपनों को पूरा करने के लिए जोखिम उठाना पड़ता है। जयपुर के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) और इंजीनियर कपल ने इस सिद्धांत को साकार करते हुए एक अद्भुत सफर तय किया है। यह कहानी है जयंत माहेश्वरी और उनकी पत्नी छवि माहेश्वरी की, जिन्होंने 8 साल तक अमेरिका में कॉरपोरेट जीवन जीने के बाद भारत लौटने का साहसिक फैसला किया। वे भारत वापस आए, पारंपरिक कपड़ों का कारोबार शुरू किया और अब उनकी कंपनी “जयपुर फैब्रिक” करोड़ों रुपये का मुनाफा कमा रही है।
इस ब्लॉग में हम इस कपल की प्रेरणादायक यात्रा, उनकी संघर्ष की कहानी और उनके बिज़नेस की सफलता के बारे में विस्तार से जानेंगे।
अमेरिका से भारत की ओर: नए सफर की शुरुआत
जयंत माहेश्वरी और छवि माहेश्वरी का जीवन कॉरपोरेट जगत से शुरू हुआ। जयंत सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और उन्होंने एमबीए भी किया है। 2003 से 2011 तक, उन्होंने अमेरिका और दुबई में कॉरपोरेट जीवन बिताया। वहीं, उनकी पत्नी छवि माहेश्वरी चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) हैं और उन्होंने भी जयंत के साथ विदेश में अपना पेशेवर करियर सफलतापूर्वक जिया।
हालांकि, एक समय के बाद उन्हें महसूस हुआ कि वे केवल नौकरी कर रहे हैं, जबकि उनके अंदर कुछ और बड़ा और सार्थक करने की क्षमता है। 2011 में, इस कपल ने अपना आरामदायक कॉरपोरेट जीवन छोड़कर भारत लौटने का निर्णय लिया। उनका सपना था कि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करें और कुछ ऐसा करें जो न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सके।
‘जयपुर फैब्रिक’ की स्थापना
भारत लौटने के बाद, जयंत और छवि ने अपने घर जयपुर की पारंपरिक कारीगरी और डिज़ाइन से प्रेरणा ली। जयपुर की कला और फैब्रिक डिजाइनों का समृद्ध इतिहास उन्हें हमेशा आकर्षित करता था। इस विचार से प्रेरित होकर, उन्होंने ‘जयपुर फैब्रिक’ नाम से एक ब्रांड की स्थापना की, जो पारंपरिक डिजाइनों को आधुनिकता के साथ जोड़ता है।
जयपुर के पारंपरिक प्रिंट्स, जैसे सांगानेरी और बगरू की कला को पुनर्जीवित करते हुए, उन्होंने इसे नए डिजाइनों और वैश्विक मानकों के साथ पेश करना शुरू किया। उनके प्रोडक्ट्स में होम डेकोर के सामान जैसे बेडशीट्स, कवर, और अन्य फैब्रिक उत्पाद शामिल हैं। जयंत का मानना था कि जयपुर की पारंपरिक कारीगरी को फिर से जीवंत करना उनकी कंपनी का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।
संघर्ष और चुनौतियों का सामना
जब जयंत और छवि ने अपने बिज़नेस की शुरुआत की, तो उनकी चुनौती यह थी कि बाजार में बड़े ब्रांड पहले से मौजूद थे। उन्होंने 1 करोड़ रुपये की अपनी सेविंग्स को जोखिम में डालते हुए कंपनी की शुरुआत की। यह निर्णय आसान नहीं था क्योंकि उन्हें बाजार में स्थापित बड़े खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा करनी थी।
हालांकि, जयंत और छवि ने अपने प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता और अनूठे डिजाइनों को अपनी यूएसपी (यूनिक सेलिंग प्रपोज़िशन) के रूप में देखा। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनके ग्राहक को सर्वोत्तम गुणवत्ता के प्रोडक्ट्स मिलें, और ग्राहक संतुष्टि उनकी पहली प्राथमिकता बनी रही।
आरंभिक दिनों में, उन्हें बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। फैब्रिक डिजाइनों को लेकर बाजार में मांग और उपभोक्ताओं की पसंद-नापसंद को समझने के लिए उन्हें गहन शोध करना पड़ा। कारीगरों और डिज़ाइनरों की सही टीम बनाना और उत्पादन को प्रभावी ढंग से चलाना भी चुनौतीपूर्ण था।
कस्टमर सैटिस्फैक्शन और गुणवत्ता ने दिलाई पहचान
शुरुआती संघर्षों के बाद, जयंत और छवि ने धीरे-धीरे बाजार में अपनी जगह बना ली। उनका ध्यान हमेशा उत्पाद की गुणवत्ता और ग्राहक संतुष्टि पर केंद्रित रहा। उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें ग्राहक आधार बढ़ाने में मदद की। उनकी कंपनी ‘जयपुर फैब्रिक’ ने जल्दी ही न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
उन्होंने यह महसूस किया कि पारंपरिक डिज़ाइन और उच्च गुणवत्ता के कपड़े आज के मॉडर्न ग्राहकों के लिए भी आकर्षक हो सकते हैं, बशर्ते उन्हें सही तरीके से प्रस्तुत किया जाए। इसी सोच के साथ उन्होंने अपने प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन और ऑफलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स पर बेचना शुरू किया। उनकी बेहतरीन मार्केटिंग रणनीति और उपभोक्ता की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाए गए उत्पादों ने उनकी कंपनी को लाखों की कमाई से करोड़ों के बिज़नेस में बदल दिया।
पारंपरिक कला और नवाचार का मेल
‘जयपुर फैब्रिक’ की सफलता की मुख्य वजह यह रही कि उन्होंने परंपरा और नवाचार का संगम किया। जयंत और छवि ने सांगानेरी और बगरू प्रिंट्स जैसे पारंपरिक डिजाइनों को नए तरीके से पेश किया। उनके डिज़ाइन और प्रोडक्ट्स में न केवल सांस्कृतिक धरोहर की झलक मिलती है, बल्कि आधुनिक ग्राहकों की आवश्यकताओं को भी पूरा किया जाता है।
वे अपने ग्राहकों को एक अद्वितीय अनुभव देने में सफल रहे हैं, जो न केवल भारत की समृद्ध कारीगरी को सामने लाता है, बल्कि उसे आधुनिक टेक्नोलॉजी और डिजाइन के साथ भी जोड़ता है।
वैश्विक स्तर पर पहचान
आज, ‘जयपुर फैब्रिक’ का नाम न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रसिद्ध है। उनके प्रोडक्ट्स की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी है, और उनकी कंपनी ने वैश्विक स्तर पर एक सशक्त उपस्थिति बनाई है। यह कपल अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाने के साथ-साथ भारत की सांस्कृतिक धरोहर को भी दुनिया भर में पहचान दिला रहा है।
भविष्य की योजनाएं
जयंत और छवि का लक्ष्य अपने बिज़नेस का विस्तार करते हुए नई मार्केट्स में प्रवेश करना है। वे अपने ब्रांड को और भी ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में काम कर रहे हैं। उनका सपना है कि जयपुर की कारीगरी और डिज़ाइनें हर घर का हिस्सा बनें और भारत के पारंपरिक फैब्रिक डिज़ाइनों को वैश्विक स्तर पर और अधिक पहचान मिले।
जयंत और छवि माहेश्वरी की यह कहानी साबित करती है कि यदि दृढ़ संकल्प हो और जोखिम उठाने की क्षमता हो, तो बड़ी से बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है। इस कपल ने अपने कॉरपोरेट जीवन को छोड़कर अपने देश की मिट्टी से जुड़ने का साहसिक फैसला किया, और अब वे न केवल खुद एक सफल बिज़नेस चला रहे हैं, बल्कि भारत की पारंपरिक कला को भी पुनर्जीवित कर रहे हैं। उनकी सफलता की यह कहानी न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि नवाचार और परंपरा का सही मिश्रण कैसे बिज़नेस में सफलता का मंत्र बन सकता है।
सीए-इंजीनियर कपल की अनोखी सफलता: अमेरिका से भारत आकर 6 करोड़ का फैब्रिक बिज़नेस खड़ा कियाhttp://सीए-इंजीनियर कपल की अनोखी सफलता: अमेरिका से भारत आकर 6 करोड़ का फैब्रिक बिज़नेस खड़ा किया