सयानी गुप्ता: बेबाक आवाज़ और असभ्यता के खिलाफ संघर्ष

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नई दिल्ली – बॉलीवुड की प्रतिभाशाली अभिनेत्री सयानी गुप्ता आज अपने 39वें जन्मदिन को मना रही हैं। उन्होंने अपने करियर में फैन, मार्गरीटा विद ए स्ट्रॉ, आर्टिकल 15, और पार्च्ड जैसी चर्चित फिल्मों में काम किया है। लेकिन उनकी कहानी सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित नहीं है; यह उनकी बेबाकी, संघर्ष, और अपने अनुभवों को साझा करने की भावना से भरी हुई है।

शुरुआत से आगे बढ़ते हुए

सयानी गुप्ता का जन्म 9 अक्टूबर 1985 को पश्चिम बंगाल में हुआ था। उनका बचपन ऑल इंडिया रेडियो के स्टूडियो में बीता, जहाँ उनके पिता एक अनाउंसर, म्यूजिक कम्पोजर, और सिंगर थे। सयानी ने पांच साल की उम्र में रेडियो विज्ञापन के लिए काम करना शुरू किया और इसके बाद वह वॉयस ओवर असाइनमेंट्स में भी शामिल हो गईं। उनका फिल्मी करियर 2012 में फिल्म सेकेंड मैरिज डॉट कॉम से शुरू हुआ। इसके बाद उन्होंने कॉमेडियन कपिल शर्मा की फिल्म ज्विगेटो में भी अपने अभिनय का लोहा मनवाया।

सयानी गुप्ता
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सामाजिक मुद्दों पर बेबाकी

सयानी गुप्ता की पहचान उनके अभिनय के अलावा उनके बेबाक बोल के लिए भी है। उन्होंने #MeToo आंदोलन के दौरान अपने जीवन की एक शर्मनाक घटना का खुलासा किया, जिसने न केवल उन्हें, बल्कि समाज को भी सोचने पर मजबूर किया। उन्होंने बताया कि जब वह 7-8 साल की थीं, तब एक बूढ़े आदमी ने उन्हें बस में घेर लिया था। इस स्थिति में उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए उस आदमी के पैर को कुचल दिया। यह घटना उनके लिए एक कठिनाई थी, लेकिन उसने उन्हें सिखाया कि अपनी रक्षा करना कितना महत्वपूर्ण है।

भारतीय पुरुषों पर टिप्पणी

हाल ही में, सयानी गुप्ता ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने भारतीय पुरुषों के व्यवहार को ‘असभ्य’ बताया। उन्होंने फ्लाइट में अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि कुछ लोग बिना किसी ख़याल के ज़ोर से बात करते हैं, खांसते हैं, और छींकते हैं। उनका अनुभव सुनकर यह स्पष्ट होता है कि समाज में महिलाओं को किस प्रकार की असुविधाओं का सामना करना पड़ता है।

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उनका कहना था, “फ्लाइट में भारतीय पुरुष का व्यवहार असभ्य होता है। बिना जगह का ध्यान दिए तेज आवाज में फोन बजाना, खांसना, और बिना हाथ लगाए छींकना असभ्यता है।” इस तरह के अनुभव केवल सयानी के लिए नहीं, बल्कि कई महिलाओं के लिए सामान्य हो गए हैं।

बदलाव की आवश्यकता

सयानी गुप्ता की बातें हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि समाज में महिलाओं के खिलाफ होने वाली असभ्यता के प्रति हमें कैसे जागरूक होना चाहिए। जब वह कहती हैं, “अपनी सुरक्षा के लिए ऐसा करना बेहद जरूरी है। महिलाओं को हमेशा सावधान रहना चाहिए, जिनके इरादे गलत हों,” तो वह केवल अपने अनुभव नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी दे रही होती हैं।

अभिनेत्री की सक्रियता

सयानी गुप्ता अपने विचारों को खुलकर रखने के लिए जानी जाती हैं। वह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती हैं और अपने विचारों को साझा करती हैं। उनका मानना है कि एक अभिनेत्री होने के नाते, उनके पास एक प्लेटफॉर्म है जिसका उपयोग वह सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कर सकती हैं।

सयानी ने अपने करियर में कई बार अपने लिए चुनौती पेश की है। चाहे वह अपने अभिनय के चयन में हो या फिर सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय देने में, उन्होंने हमेशा अपने अनुभवों को साझा किया है।

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आगे का सफर

अब जब सयानी गुप्ता अपने 39वें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं, तो उनके पास आगे बढ़ने के कई अवसर हैं। वह न केवल एक सफल अभिनेत्री हैं, बल्कि एक मजबूत आवाज़ भी हैं जो महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य कर रही हैं।

उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष, आत्मविश्वास और बेबाकी के साथ जीने से हम अपने आसपास के समाज में बदलाव ला सकते हैं। सयानी गुप्ता जैसे कलाकारों की आवश्यकता है जो न केवल फिल्म उद्योग में बल्कि समाज में भी एक बदलाव की दिशा में काम कर सकें।

सयानी गुप्ता का जीवन और उनका करियर उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों का पीछा कर रहे हैं और जो सामाजिक मुद्दों पर अपनी आवाज़ उठाने का साहस रखते हैं। आज उनके जन्मदिन पर, हम उन्हें यह आशा करते हैं कि वह आगे भी इसी तरह अपनी कला और आवाज़ से समाज में बदलाव लाने का कार्य करती रहेंगी। उनकी यात्रा यह साबित करती है कि असभ्यता के खिलाफ खड़ा होना, समाज में महत्वपूर्ण है, और हर एक महिला को अपनी सुरक्षा के लिए जागरूक रहना चाहिए।

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