दिवाली के शुभ अवसर पर जब सभी को नए फिल्मी रिलीज का बेसब्री से इंतज़ार होता है, तब बॉलीवुड की दो बड़ी फ़िल्में—अजय देवगन की ‘सिंघम अगेन’ और कार्तिक आर्यन की ‘भूल भुलैया 3’—ने सऊदी अरब में बैन का सामना किया है। यह घटना न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गई है। आइए, हम जानते हैं कि क्यों ये दोनों फ़िल्में सऊदी अरब में प्रदर्शित नहीं हो सकेंगी और इसके पीछे के कारणों पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
धार्मिक संवेदनाएँ और ‘सिंघम अगेन’
‘सिंघम अगेन’ को रोहित शेट्टी ने निर्देशित किया है और यह भारतीय पुलिस सेवा के एक आदर्श अधिकारी, बाजीराव सिंघम (अजय देवगन) की कहानी पर आधारित है। सऊदी अरब में इसे बैन करने का मुख्य कारण धार्मिक मतभेदों को दर्शाना है। रिपोर्ट्स के अनुसार, फिल्म में हिंदू-मुस्लिम तनाव को एक प्रमुख विषय के रूप में दिखाया गया है, जो सऊदी सरकार की सख्त धार्मिक नीतियों के खिलाफ है।
सऊदी अरब में फिल्मों के कंटेंट पर कड़ी नजर रखी जाती है, और किसी भी प्रकार की धार्मिक असहिष्णुता को सहन नहीं किया जाता। फिल्म के भीतर जो भी सामग्री धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती है, उसे बैन कर दिया जाता है।
समलैंगिकता का जिक्र और ‘भूल भुलैया 3’
वहीं, ‘भूल भुलैया 3’ में समलैंगिकता के जिक्र के कारण बैन का सामना कर रही है। इस फिल्म में कार्तिक आर्यन के किरदार में समलैंगिकता के तत्व शामिल किए गए हैं, जो सऊदी अरब में सामाजिक और धार्मिक मानदंडों के खिलाफ है। सऊदी अरब में समलैंगिकता को कानूनी और सामाजिक रूप से अपराध माना जाता है, इसलिए इस तरह की सामग्री को बर्दाश्त नहीं किया जाता।
बॉक्स ऑफिस की टक्कर
दोनों फ़िल्में 1 नवंबर को रिलीज होने वाली हैं, जो दिवाली के मौके पर दर्शकों को एक साथ लाने की कोशिश कर रही हैं। ‘सिंघम अगेन’ और ‘भूल भुलैया 3’ के बीच में कांटे की टक्कर की उम्मीद की जा रही है। जबकि अजय देवगन का गूढ़ और एक्शन से भरपूर रोल दर्शकों को पसंद आता है, वहीं कार्तिक आर्यन की हास्य और हॉरर का मिश्रण दर्शकों को नए अनुभव का अहसास कराएगा।
फ़िल्मों की लोकप्रियता
इन दोनों फ़िल्मों का भारत में तो काफी क्रेज है, लेकिन सऊदी अरब में इनका बैन होना दर्शाता है कि भारतीय फ़िल्मों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का ध्यान रखना पड़ता है।
दर्शकों की प्रतिक्रिया
जैसे ही यह खबर सामने आई, दर्शकों के बीच में प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई। कुछ ने बैन को सही ठहराया, जबकि कुछ इसे कला की स्वतंत्रता पर अंकुश मानते हैं। फिल्म प्रेमियों का मानना है कि कला को बिना किसी सीमा के व्यक्त किया जाना चाहिए, लेकिन जब बात धार्मिक भावनाओं की आती है, तो संतुलन बनाना आवश्यक होता है।
बॉलीवुड की फिल्में केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं हैं, बल्कि ये विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डालने का एक साधन भी हैं। ‘सिंघम अगेन’ और ‘भूल भुलैया 3’ का सऊदी अरब में बैन होना यह दर्शाता है कि वैश्विक स्तर पर विभिन्न संस्कृतियों और धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करना कितना महत्वपूर्ण है। यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि फिल्मों का कंटेंट सच्चाई और संवेदनशीलता के साथ तैयार करना चाहिए, ताकि वे हर जगह दर्शकों का दिल जीत सकें।
दर्शकों का ध्यान अब इस बात पर है कि क्या ये फ़िल्में भारत में बॉक्स ऑफिस पर सफलताएँ हासिल करेंगी या नहीं। दिवाली पर इनकी रिलीज दर्शकों के लिए एक विशेष अनुभव लेकर आएगी, लेकिन यह भी देखना दिलचस्प होगा कि इन फ़िल्मों का सऊदी अरब में बैन अन्य देशों में भी कितनी गूंज पैदा करता है।
सऊदी अरब में ‘सिंघम अगेन’ और ‘भूल भुलैया 3’ पर बैन: बॉलीवुड की नई चुनौतियाँhttp://सऊदी अरब में ‘सिंघम अगेन’ और ‘भूल भुलैया 3’ पर बैन: बॉलीवुड की नई चुनौतियाँ