देश की रक्षा में अपनी जान न्यौछावर करने वाले वीर जवानों की कहानियाँ अक्सर हमारे दिलों को छू जाती हैं। एक ऐसा ही दुखद उदाहरण है शहीद राम किशोर का, जो हाल ही में कश्मीर के बड़गाम जिले में हुए एक हादसे में शहीद हो गए। उनके शहीद होने की खबर ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे गाँव को गहरे शोक में डाल दिया है।
परिवार और विवाह का दुखद पल
राम किशोर का विवाह हाल ही में 7 दिसंबर 2023 को पूजा के साथ हुआ था। शादी के केवल आठ महीने बाद ही राम किशोर की शहादत ने पूजा के जीवन में अंधेरा घेर लिया है। उनके हाथों की मेहंदी अभी तक नहीं छूटी है, और यह इस बात का प्रतीक है कि उनका सुहाग कितनी जल्दी उजड़ गया। राम किशोर के बिना पूजा और उनके परिवार के लिए यह एक असहनीय सदमा है। जब वह अपने पति के पार्थिव शरीर को देखती हैं, तो उनकी आँखों में आंसू और दिल में दर्द की एक गहरी लहर होती है।
गाँव का दृश्य
राम किशोर का अंतिम यात्रा गांव दूल्हे राय का घेर से श्मशान घाट तक निकाली गई, जहाँ हजारों की संख्या में लोग उमड़ पड़े। सभी ने “जब तक सूरज चाँद रहेगा, राम किशोर तेरा नाम रहेगा” के नारे लगाए। इस दृश्य ने यह साबित कर दिया कि राम किशोर न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे गाँव के लिए एक प्रतीक थे। उनकी शहादत ने लोगों को एकजुट कर दिया और यह दिखाया कि कैसे एक वीर जवान के जाने से पूरे समुदाय पर असर पड़ता है।
शहीद की बहादुरी
राम किशोर ने 2019 में सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने का संकल्प लिया था। उनकी बहादुरी और समर्पण के किस्से अब पूरे गाँव में गूंज रहे हैं। उनकी चाची भूरी देवी ने बताया कि राम किशोर हाल ही में 20 दिन की छुट्टी लेकर घर आए थे और अपने परिवार के साथ समय बिताया था। 11 सितंबर को जब वह वापस ड्यूटी पर गए, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह उनकी आखिरी विदाई होगी।
हादसा और उसकी भयावहता
बीएसएफ के जवानों की बस चुनावी ड्यूटी पर जा रही थी, जब वह बड़गाम जिले के ब्रेल वाटरहेल इलाके में पहाड़ी से खाई में गिर गई। इस हादसे में राम किशोर सहित चार जवान शहीद हो गए और 36 जवान घायल हुए। यह घटना न केवल उन जवानों के परिवारों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक गहरा सदमा है। जवानों की शहादत यह दर्शाती है कि वे अपने कर्तव्य को निभाने में कितने दृढ़ हैं, भले ही इसके लिए उन्हें अपनी जान देनी पड़े।
अंतिम विदाई की भावनाएँ
शहीद राम किशोर की अंतिम यात्रा में प्रशासनिक अधिकारियों और स्थानीय नेताओं की भीड़ देखी गई। जिला प्रभारी मंत्री और जिला कलेक्टर ने शहीद को अंतिम सम्मान देते हुए पुष्प चक्र अर्पित किए। श्मशान घाट पर सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया और शहीद के सम्मान में पांच राउंड फायरिंग की गई। यह सभी गतिविधियाँ यह दर्शाती हैं कि हमारा देश अपने शहीदों को कभी नहीं भूलेगा और उनकी शहादत को सदा याद रखेगा।
राम किशोर की विरासत
शहीद राम किशोर का बलिदान हमें यह याद दिलाता है कि हमारे जवान कितनी कठिनाइयों का सामना करते हैं ताकि हम सुरक्षित रह सकें। उनके अदम्य साहस और समर्पण ने उन्हें एक अमर स्थान दिला दिया है। राम किशोर की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो देश की सेवा में खुद को समर्पित करना चाहते हैं।
शहीद राम किशोर की दुखद कहानी एक सबक है कि हमें अपने देश के वीर जवानों की कद्र करनी चाहिए। उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि स्वतंत्रता की कीमत क्या होती है। हम सभी को चाहिए कि हम अपने जवानों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करें और उनकी यादों को सदा जिंदा रखें। राम किशोर, आप अमर हैं। जब तक सूरज चाँद रहेगा, आपका नाम रहेगा।