विनोद खन्ना की ‘कुर्बानी’: वो फिल्म जिसे अमिताभ बच्चन ने ठुकराया, और जिसने इतिहास रच दिया

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कुर्बानी: बॉलीवुड में हर स्टार का अपना एक दौर होता है, लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो न केवल एक कलाकार की पहचान बनाती हैं, बल्कि उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचा देती हैं। ऐसी ही एक फिल्म थी ‘कुर्बानी’, जिसने 1980 के दशक में सिनेमाघरों में धूम मचाई थी। हालांकि इस फिल्म की दिलचस्प कहानी यह है कि पहले इसे महानायक अमिताभ बच्चन को ऑफर किया गया था, लेकिन उनके इंकार के बाद यह फिल्म विनोद खन्ना के हिस्से में आई और विनोद खन्ना के करियर की सबसे बड़ी हिट साबित हुई। आइए इस कहानी पर विस्तार से नजर डालते हैं।

कुर्बानी
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‘कुर्बानी’ और अमिताभ बच्चन: छूटी हुई सफलता की कहानी

साल 1980 में जब ‘कुर्बानी’ की तैयारी हो रही थी, तब अमिताभ बच्चन बॉलीवुड के सबसे बड़े सितारे बन चुके थे। साल 1973 में आई फिल्म ‘जंजीर’ ने उन्हें स्टारडम की बुलंदियों पर पहुंचा दिया था। इसी दौर में फिल्ममेकर फिरोज खान ने अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म ‘कुर्बानी’ का निर्देशन शुरू किया और इसके लिए अमिताभ बच्चन को लीड रोल ऑफर किया।

डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, अमिताभ बच्चन ने ‘कुर्बानी’ में काम करने में दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन कुछ कारणों से उन्होंने फिल्म में तुरंत काम करने का फैसला नहीं किया। अमिताभ ने फिरोज खान से इस फिल्म के लिए छह महीने का समय मांगा। लेकिन, फिरोज खान इतनी देर तक इंतजार नहीं कर सकते थे। इस वजह से यह फिल्म अमिताभ के हाथों से निकल गई।

विनोद खन्ना को मिली बड़ी ‘कुर्बानी’

जब अमिताभ बच्चन ने ‘कुर्बानी’ के लिए समय नहीं दिया, तो फिरोज खान ने यह फिल्म विनोद खन्ना को ऑफर की। विनोद खन्ना उस समय बॉलीवुड के उभरते सितारे थे और उन्हें अमिताभ बच्चन के एक बड़े प्रतिद्वंदी के रूप में देखा जाता था। विनोद खन्ना ने फिल्म में काम करने के लिए तुरंत हामी भर दी, और यह निर्णय उनके करियर के लिए सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।

विनोद खन्ना ने ‘कुर्बानी’ में अमर का किरदार निभाया, जबकि फिरोज खान ने राजेश कुमार के रोल में खुद को कास्ट किया। फिल्म रिलीज होने के बाद बॉक्स ऑफिस पर धमाका हुआ और यह ब्लॉकबस्टर हिट साबित हुई।

‘कुर्बानी’ का बॉक्स ऑफिस पर धमाल: तीन महीने तक हाउसफुल थिएटर्स

‘कुर्बानी’ की सफलता के पीछे सिर्फ इसके कलाकार ही नहीं थे, बल्कि फिल्म की कहानी, निर्देशन और संगीत भी जबरदस्त थे। फिरोज खान के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने रिलीज के बाद सभी की उम्मीदों को पार कर लिया। मुंबई के थिएटर्स में फिल्म की दीवानगी इस कदर थी कि तीन महीने तक सभी थिएटर्स हाउसफुल थे।

फिल्म ने अपनी लागत से दस गुना ज्यादा कमाई की। 2.5 करोड़ रुपये के बजट में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर लगभग 25 करोड़ रुपये का धुआंधार बिजनेस किया। यह आंकड़ा उस समय के हिसाब से किसी फिल्म के लिए अत्यधिक बड़ा था और इसे 1980 की सबसे बड़ी हिट्स में से एक बना दिया।

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विनोद खन्ना की सुपरस्टारडम की तरफ उड़ान

‘कुर्बानी’ की सफलता ने विनोद खन्ना को बॉलीवुड के सुपरस्टार्स की लिस्ट में शामिल कर दिया। अमर के किरदार में उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया, और दर्शकों ने उनके दमदार किरदार को दिल से सराहा। इस फिल्म के बाद विनोद खन्ना ने न केवल बड़े स्टार्स के रूप में अपनी पहचान बनाई, बल्कि उन्होंने बॉलीवुड के सबसे सफल सितारों में से एक का दर्जा हासिल किया।

अमिताभ बच्चन की ‘कुर्बानी’ ठुकराने की वजह

यह सवाल हमेशा चर्चा का विषय रहा है कि अमिताभ बच्चन ने आखिर ‘कुर्बानी’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म को क्यों ठुकराया। डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, अमिताभ ने फिल्म में दिलचस्पी तो दिखाई थी, लेकिन समय की कमी के चलते वे इसमें काम नहीं कर पाए। यदि अमिताभ इस फिल्म का हिस्सा होते, तो शायद फिल्म की कहानी और परिणाम कुछ अलग होते, लेकिन जैसा कहते हैं, “जो होता है, अच्छे के लिए होता है।”

फिल्म के आइकॉनिक गाने: एक और सफलता की वजह

‘कुर्बानी’ न केवल अपने दमदार कहानी और अभिनय के लिए जानी गई, बल्कि इसके गाने भी बेहद पॉपुलर हुए। फिल्म के गाने जैसे ‘लैला ओ लैला’ और ‘आप जैसा कोई मेरी जिंदगी में आए’ आज भी बॉलीवुड के सदाबहार गानों में गिने जाते हैं। इन गानों ने फिल्म की पॉपुलैरिटी में चार चांद लगा दिए।

जीनत अमान का फिल्म में ग्लैमरस अंदाज और गानों में उनका स्टाइल, फिल्म को और भी खास बनाता है। संगीतकार कलीम उस्मानी और कायदार खान ने फिल्म के गानों को सुपरहिट बना दिया, जो आज भी पार्टियों और शादियों में धूम मचाते हैं।

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फिरोज खान का निर्देशन और ‘कुर्बानी’ की एंटरटेनमेंट फैक्टर

फिरोज खान ने ‘कुर्बानी’ को बड़े पर्दे पर एक्शन, रोमांस, इमोशन और म्यूजिक के परफेक्ट मिश्रण के साथ पेश किया। उनकी निर्देशन शैली और विजुअल स्टाइल उस समय के हिसाब से बेहद आधुनिक और ग्लैमरस थे। फिल्म के एक्शन सीक्वेंस और डायलॉग्स भी बहुत चर्चित रहे। इस फिल्म में उन्होंने बड़े पैमाने पर फिल्मांकन किया, जो बॉलीवुड में उस समय के लिए एक नई लहर लेकर आया।

निष्कर्ष: कुर्बानी का ऐतिहासिक महत्व

‘कुर्बानी’ केवल एक फिल्म नहीं थी, बल्कि यह बॉलीवुड के उस दौर की एक पहचान बन गई थी, जब विनोद खन्ना और अमिताभ बच्चन जैसे सितारे अपने चरम पर थे। यह फिल्म न केवल विनोद खन्ना के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई, बल्कि यह बॉलीवुड के इतिहास में भी दर्ज हो गई।

आज जब ‘कुर्बानी’ की बात होती है, तो इसे 80 के दशक की सबसे यादगार और एंटरटेनिंग फिल्मों में से एक के रूप में याद किया जाता है। इसका प्रभाव इतना गहरा था कि यह फिल्म हर पीढ़ी के दर्शकों के दिलों में आज भी जिंदा है।

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