भारतीय सिनेमा के पास कुछ ऐसे दुर्लभ सितारे हैं, जिन्होंने अपनी कला के दम पर न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बनाई है। ऐसे ही एक अदाकार हैं विक्टर बनर्जी, जिनका नाम भारतीय सिनेमा के इतिहास में अद्वितीय स्थान रखता है। एक अभिनेता जिन्होंने महज एक किरदार से दुनिया भर में अपनी धाक जमाई और भारतीय सिनेमा के नाम को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित किया।
विक्टर बनर्जी का नाम उस समय सुर्खियों में आया, जब साल 1984 में डेविड लीन द्वारा निर्देशित फिल्म ए पैसेज टू इंडिया में उन्होंने डॉ. अजीज अहमद का किरदार निभाया। इस एक भूमिका ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दिलाई और आलोचकों ने उनकी अदाकारी की बेहद सराहना की। विक्टर को इसके लिए कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया, जिनमें बाफ्टा अवॉर्ड का नाम सबसे प्रमुख है।
शुरुआती जीवन और शिक्षा
विक्टर बनर्जी का जन्म एक संपन्न परिवार में हुआ था, जिनकी जड़ें राजाओं के वंश से जुड़ी हैं। यह अद्वितीय अभिनेता न केवल अपनी अदाकारी के लिए, बल्कि अपनी शैक्षिक पृष्ठभूमि के लिए भी जाने जाते हैं। शिलांग स्थित सेंट एडमंड स्कूल से अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में ग्रेजुएशन की। इसके बाद जादवपुर विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की।
विक्टर का शिक्षा के प्रति यह समर्पण उनके विचारशील और संवेदनशील व्यक्तित्व को दर्शाता है, जो बाद में उनकी फिल्मों और लेखन में झलकता है। उन्होंने कभी भी अपनी पढ़ाई को महज एक औपचारिकता के रूप में नहीं देखा, बल्कि इसे अपनी कलात्मकता का हिस्सा बनाया।
‘ए पैसेज टू इंडिया’ और अंतरराष्ट्रीय पहचान
साल 1984 में रिलीज हुई फिल्म ए पैसेज टू इंडिया विक्टर बनर्जी के करियर का सबसे बड़ा मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म में उन्होंने डॉ. अजीज अहमद की भूमिका निभाई, जो अंग्रेजी साम्राज्य के दौरान भारत में एक डॉक्टर थे। फिल्म की कहानी भारतीय समाज और अंग्रेजी शासन के बीच जटिल संबंधों पर आधारित थी, और विक्टर ने इसमें अपनी अदाकारी से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
फिल्म ने दुनिया भर में न केवल विक्टर को, बल्कि भारतीय सिनेमा को भी एक नए दृष्टिकोण से पेश किया। इस फिल्म के लिए विक्टर को 1986 में बाफ्टा अवॉर्ड के लिए नामांकित किया गया, साथ ही उन्हें इवनिंग स्टैंडर्ड ब्रिटिश फिल्म अवार्ड और नेशनल बोर्ड रिव्यू (यूएसए) का भी सम्मान मिला। इन पुरस्कारों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सम्मानित अभिनेता के रूप में स्थापित किया।
बहुआयामी अभिनय करियर
विक्टर बनर्जी एक ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने हिंदी, बांग्ला और अंग्रेजी फिल्मों में काम किया है। उनकी फिल्मोग्राफी में शतरंज के खिलाड़ी, घरे बाइरे, जॉगर्स पार्क जैसी कई प्रमुख फिल्में शामिल हैं। सत्यजीत रे की शतरंज के खिलाड़ी में उनका काम आज भी याद किया जाता है।
विक्टर हमेशा से ही कुछ अलग करने के लिए जाने जाते रहे हैं। उन्होंने हर बार ऐसे किरदार चुने, जो चुनौतीपूर्ण और गहन होते थे। चाहे वह सत्यजीत रे जैसे निर्देशकों के साथ काम हो या फिर डेविड लीन, मृणाल सेन, श्याम बेनेगल और राम गोपाल वर्मा जैसे निर्देशकों के साथ काम करना, विक्टर ने हमेशा अपनी कला को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
अनोखा रिकॉर्ड: तीन राष्ट्रीय पुरस्कार
विक्टर बनर्जी भारतीय सिनेमा के एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने तीन अलग-अलग श्रेणियों में राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। उन्होंने पर्यटन पर बनी डॉक्यूमेंट्री द स्प्लेंडर ऑफ गढ़वाल एंड रूपकुंड के लिए निर्देशन पुरस्कार जीता। इसके अलावा उन्होंने सिनेमैटोग्राफर के रूप में व्हेयर नो जर्नीज एंड डॉक्यूमेंट्री के लिए ह्यूस्टन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में गोल्ड अवार्ड जीता था।
सत्यजीत रे की फिल्म घरे बाइरे में उनके काम के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। यह तथ्य विक्टर की बहुआयामी प्रतिभा को उजागर करता है, जो न केवल अभिनय में, बल्कि निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी में भी माहिर हैं।
सामाजिक कार्य और लेखन
विक्टर बनर्जी सिर्फ एक अभिनेता नहीं हैं, बल्कि एक संवेदनशील और सामाजिक रूप से जागरूक व्यक्ति भी हैं। जब वे कोलकाता में नहीं होते, तो उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में समय बिताते हैं। विक्टर ने कई सामाजिक मुद्दों पर लेख लिखे हैं और समय-समय पर मानवाधिकार और श्रम मुद्दों में खुद को शामिल किया है।
उन्होंने स्क्रीन एक्स्ट्रा यूनियन ऑफ इंडिया के गठन में भी मदद की और गढ़वाली किसानों के अधिकारों के लिए अभियान चलाया। असम में नव-वैष्णव संस्कृति को पुनर्जीवित करने वाले श्रीमंतो शंकरदेव आंदोलन के ब्रांड एंबेसडर के रूप में भी वे काम कर रहे हैं।
विक्टर ने पूर्वी हिमालय में बसने वाली सिनो-तिब्बती जनजातियों में से एक ‘दिमासा जनजाति’ के ब्रांड एंबेसडर के रूप में भी कार्य किया है। उनके इस सामाजिक योगदान ने उन्हें एक प्रेरणादायक व्यक्ति के रूप में स्थापित किया है, जो समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेते हैं।
विक्टर बनर्जी का जीवन और करियर एक सच्ची प्रेरणा है। उन्होंने न केवल भारतीय सिनेमा में बल्कि अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में भी अपनी छाप छोड़ी है। ए पैसेज टू इंडिया के माध्यम से उन्होंने जो अद्वितीय पहचान बनाई, वह भारतीय सिनेमा के लिए एक गर्व का विषय है।
उनकी बहुआयामी प्रतिभा और सामाजिक संवेदनशीलता ने उन्हें एक ऐसे अभिनेता के रूप में स्थापित किया है, जो सिर्फ कला तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज और मानवता के प्रति भी जागरूक है। विक्टर बनर्जी को 2022 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया, जो उनकी उपलब्धियों और सामाजिक योगदान को मान्यता देने का प्रतीक है।
विक्टर बनर्जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि यदि आप अपनी कला और अपने उसूलों के प्रति समर्पित हैं, तो दुनिया आपके सामने झुकेगी।