राहुल गांधी NEET पेपर लीक को संसद में उठाएंगे

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भारत में शिक्षा प्रणाली बहुत महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से मेडिकल और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में प्रवेश परीक्षाएं, छात्रों के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। लाखों विद्यार्थी हर साल नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) देते हैं, जिससे वे मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पा सकते हैं। लेकिन परीक्षा में धांधली और पेपर लीक जैसी घटनाएं विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को बहुत परेशान करती हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने NEET पेपर लीक को संसद में उठाने का फैसला किया है, जो हाल ही में फिर से चर्चा में आया है।

पेपर लीक की घटनाएँ और उनका प्रभाव

NEET जैसी परीक्षाओं में पेपर लीक की घटनाएं कोई नई नहीं हैं। पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक हो गए और उन्हें समय से पहले ही कुछ छात्रों और कोचिंग संस्थानों द्वारा हासिल कर लिया गया। इससे न केवल परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं, बल्कि उन छात्रों का मनोबल भी टूटता है जिन्होंने ईमानदारी से तैयारी की होती है।

पेपर लीक की घटनाओं का प्रभाव केवल छात्रों तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि यह पूरे शिक्षा तंत्र पर भी गहरा असर डालता है। परीक्षा के परिणामों की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगते हैं और इससे शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और साख पर चोट लगती है।

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राहुल गांधी का संसद में मुद्दा उठाना

NEET पेपर लीक को संसद में उठाने का फैसला राहुल गांधी ने किया है। यह कदम दोनों अभिभावकों और छात्रों को सकारात्मक संदेश देता है कि शिक्षकों को उनके हितों की रक्षा करने में दिलचस्पी है। राहुल गांधी का कहना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है, जिसके लिए मजबूत नियमों और निगरानी व्यवस्था की जरूरत है।

राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा है कि पेपर लीक की घटनाएं शिक्षा प्रणाली के प्रति जनता के विश्वास को कमजोर करती हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वे इस मुद्दे की गहन जांच कराएं और दोषियों को सख्त सजा दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाना चाहिए और ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।

शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता

NEET पेपर लीक की घटना केवल एक संकेत है कि हमारी शिक्षा प्रणाली में कई खामियां हैं जिन्हें सुधारने की आवश्यकता है। परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई सुधार आवश्यक हैं। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. प्रश्नपत्र निर्माण और वितरण में सुरक्षा: प्रश्नपत्रों के निर्माण और वितरण की प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित और गोपनीय बनाना चाहिए। इसके लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है ताकि प्रश्नपत्र लीक होने की संभावनाएं न्यूनतम हो सकें।
  2. सख्त निगरानी प्रणाली: परीक्षा केंद्रों और प्रश्नपत्र वितरण केंद्रों पर सख्त निगरानी प्रणाली लागू की जानी चाहिए। इसके लिए सीसीटीवी कैमरों और अन्य निगरानी उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है।
  3. कानूनी सख्ती: पेपर लीक की घटनाओं में संलिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए और दोषियों को कठोर सजा दी जानी चाहिए ताकि यह दूसरों के लिए एक नजीर बने।
  4. छात्रों के मनोबल को बढ़ाना: ऐसे घटनाओं के बाद छात्रों का मनोबल टूटता है। इसलिए, सरकार और शैक्षिक संस्थानों को छात्रों को मानसिक समर्थन प्रदान करना चाहिए और उन्हें विश्वास दिलाना चाहिए कि उनकी मेहनत व्यर्थ नहीं जाएगी।

NEET पेपर लीक केवल एक परीक्षा प्रणाली की कमी नहीं है; यह पूरे शिक्षा तंत्र की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है। राहुल गांधी ने संसद में इस मुद्दे को उठाया, जो सरकार को इस दिशा में सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करेगा। हमें उम्मीद है कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करेगी और ऐसे उपायों को लागू करेगी जिससे ऐसी घटनाएं भविष्य में नहीं होंगी। यह हमारे शिक्षा तंत्र की साख और विद्यार्थियों का भविष्य बचाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

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