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khaskhabar.com: मंगलवार, 04 अगस्त 2020 3:43 PM
शिमला। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने यहां रिज पर स्थित हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डाॅ. वाई एस परमार की जयंती पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पाजंलि अर्पित की।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि डाॅ. परमार न केवल एक राजनीतिज्ञ थे, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति थे जिनका जीवन मूल्य पर आधारित था। वह पहाड़ी क्षेत्र की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों से भली भांति परिचित थे और प्रदेश में कृषि और बागवानी क्षेत्र पर अधिक ध्यान देकर विकास का मार्ग प्रशस्त करने के पक्षधर रहे। डाॅ. परमार की महानता उनकी सादगी थी और जब उन्होंने मुख्यमंत्री का पद छोड़ा तो उन्होंने सरकारी वाहन छोड़ दिया और सार्वजनिक परिवहन से अपने गांव लौटे।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए जय राम
ठाकुर ने कहा कि डाॅ. परमार एक महान दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने तमाम
विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इस पहाड़ी राज्य की अपनी अलग पहचान बनाए रखते
हुए राज्य का नेतृत्व किया। उन्होंने प्रदेश की मजबूत नींव रखते हुए यह
सुनिश्चित किया कि हिमाचल प्रदेश देश के अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए एक
आदर्श राज्य बनकर उभरे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि
डाॅ. परमार ने पंजाब के उन पहाड़ी क्षेत्रों का हिमाचल प्रदेश के साथ विलय
का अनुरोध किया जिनकी संस्कृति और जीवन शैली एक समान थी। उनकी दूरदर्शी सोच
के कारण ही राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से बागवानी क्षेत्र में
तीव्र गति से विकास हुआ। उन्होंने कहा कि डाॅ. परमार एक बहुआयामी प्रतिभा
के व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी सादगी से राज्य के लाखों लोगों के दिलों में
अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनके अथक प्रयासों के कारण ही हिमाचल प्रदेश भारतीय
संघ का 18वां राज्य बना और तब से प्रदेश विकास और समृद्धि के पथ पर तेजी से
आगे बढ़ा है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार
हिमाचल प्रदेश को विकसित, समृद्ध और आदर्श राज्य बनाकर डाॅ. परमार के सपने
को साकार करने के लिए प्रयासरत है। वह एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने ऐसे
राज्य की कल्पना की जहां हर नागरिक को प्रगति और समृद्धि का अवसर मिले।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक विचारों से ऊपर उठकर डाॅ. परमार का सम्मान सभी
क्षेत्रों के लोगों ने किया। पूर्व में यह दिन विधानसभा के एक छोटे से
पुस्तकालय सभागार में मनाया जाता रहा और पिछले साल यह निर्णय लिया गया कि
इस अवसर को धूमधाम से मनाया जाए जिसके परिणामस्वरूप आज इसे पीटरहाॅफ होटल
में आयोजित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डाॅ.
परमार जानते थे कि सड़कें इस पहाड़ी राज्य के विकास की भाग्य रेखा हैं,
इसलिए उन्होंने राज्य में सड़कों के निर्माण पर विशेष बल दिया। डाॅ. परमार
किसानों को नकदी फसलों की खेती के लिए प्रेरित करने के पक्ष में थे। उनकी
प्रेरणा से ही लोगों ने सेब की खेती शुरू की, जो आज 5000 करोड़ रूपये की
अर्थव्यवस्था के रूप में उभरी है। उनके दृष्टिकोण के कारण ही यह संभव हुआ
है कि हिमाचल प्रदेश अपनी वन संपदा की रक्षा कर रहा है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल के सभी मुख्यमंत्रियों ने प्रदेश के
विकास व उन्नति के लिए अपना विशेष योगदान दिया है। वर्तमान प्रदेश सरकार
डाॅ. परमार के मजबूत, विविध और आत्मनिर्भर हिमाचल प्रदेश के सपने को साकार
करने के लिए प्रयासरत है। प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश के 50वें राजस्व
दिवस को धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया था, परन्तु कोविड-19 महामारी के
दृष्टिगत यह संभव नहीं हो पाया।
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