रतन टाटा: एक प्रेरणा, जो प्रतिस्पर्धा से परे

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भारत के उद्योग जगत में रतन टाटा का नाम एक ऐसा नाम है, जिसे सभी सम्मान और श्रद्धा के साथ लेते हैं। उनके कार्य, उनके दृष्टिकोण और उनके मूल्यों ने न केवल टाटा समूह को विश्व स्तर पर एक पहचान दिलाई, बल्कि उन्होंने समस्त भारतीय उद्योग को एक नई दिशा भी दी। हाल ही में, जब रतन टाटा का निधन हुआ, तब उनकी याद में उनके विरोधी भी श्रद्धांजलि देने के लिए आगे आए। यह घटना न केवल उनके प्रति सम्मान की भावना को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि रतन टाटा का प्रभाव और उनकी छवि कितनी व्यापक और गहरी थी।

रतन टाटा: एक प्रेरणा, जो प्रतिस्पर्धा से परे
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इंफोसिस का श्रद्धांजलि कार्यक्रम

इंफोसिस, जो कि एक प्रमुख आईटी कंपनी है और टाटा ग्रुप की टीसीएस की प्रतिस्पर्धी है, ने रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने का एक अनूठा तरीका अपनाया। कंपनी ने अपनी दूसरी तिमाही के परिणामों की घोषणा से पहले रतन टाटा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर, इंफोसिस के सीईओ सलिल पारेख ने वीडियो के माध्यम से रतन टाटा की यादों को साझा किया और उनकी विरासत को सम्मानित किया।

पारेख ने कहा, “रतन टाटा ने हमारे देश पर एक अमिट छाप छोड़ी है, और वास्तव में हम सभी के लिए बड़े सपने देखने और जमीन से जुड़े रहने का अवसर प्रदान किया है। हम सभी को उनकी कमी खलेगी।” इस प्रकार की बातें केवल शब्द नहीं हैं, बल्कि यह एक गहरी भावना और सम्मान का प्रतीक हैं।

एक विशेष पेड़ की कहानी

इस समारोह में रतन के इंफोसिस परिसर में बिताए गए समय की भी चर्चा हुई। 2001 में, रतन टाटा ने इंफोसिस के परिसर में एक पेड़ लगाया था, जो अब फल-फूल रहा है। यह पेड़ केवल एक पौधा नहीं है; यह रतन टाटा के मूल्यों, उनकी विचारधारा और उनके प्रति सम्मान का प्रतीक बन गया है। यह पेड़ सभी कर्मचारियों को रतन टाटा के जीवन और उनके योगदान की याद दिलाता है, और यह दर्शाता है कि उनका प्रभाव अब भी जीवित है।

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मित्रता की मिसाल: नारायण मूर्ति और रतन टाटा

इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने भी रतन टाटा के साथ अपनी मित्रता के बारे में कुछ दिलचस्प किस्से साझा किए। उन्होंने बताया कि किस प्रकार रतन टाटा ने 2004 में इंफोसिस में जमशेदजी टाटा रूम का उद्घाटन करने के लिए आने से पहले संकोच व्यक्त किया था। उन्होंने कहा था कि यह असामान्य है क्योंकि टीसीएस उनकी प्रतिस्पर्धी कंपनी है। लेकिन मूर्ति ने जवाब दिया, “नहीं, रतन, जमशेदजी सभी भारतीय कंपनियों से आगे हैं।” यह संवाद न केवल उनकी मित्रता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि रतन टाटा ने कभी भी प्रतिस्पर्धा को व्यक्तिगत नहीं लिया।

भारतीय उद्योग में रतन टाटा का योगदान

रतन का योगदान भारतीय उद्योग में अद्वितीय है। उन्होंने न केवल टाटा समूह का नेतृत्व किया, बल्कि उन्होंने कई अन्य कंपनियों को भी प्रेरित किया। उनकी दृष्टि ने न केवल टाटा समूह को विश्वस्तरीय बनाया, बल्कि उन्होंने भारतीय उद्योग को भी वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। उनका नेतृत्व कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं और पहलों का हिस्सा रहा है, जैसे कि टाटा नैनो, जो दुनिया की सबसे सस्ती कार मानी जाती है।

रतन टाटा की विरासत

टाटा की विरासत केवल उनके व्यवसायिक सफलताओं तक सीमित नहीं है। उन्होंने हमेशा समाज सेवा और दान के महत्व को समझा और उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया। टाटा ट्रस्ट्स, जो कि विभिन्न सामाजिक कार्यों में संलग्न हैं, उनकी दृष्टि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक विकास के लिए कई योजनाएं शुरू कीं, जो आज भी समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला रही हैं।

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रतन टाटा का प्रभाव

रतन का जीवन और उनका कार्य हमें यह सिखाते हैं कि असली सफलता केवल आर्थिक लाभ में नहीं है, बल्कि यह समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी और योगदान में है। उनके प्रति इन्फोसिस जैसे प्रतिस्पर्धियों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित करना यह दर्शाता है कि उनका प्रभाव सभी उद्योगों में व्यापक है।

उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि सच्ची महानता केवल प्रतिस्पर्धा के मैदान में नहीं, बल्कि एक दूसरे के प्रति सम्मान, सहयोग और प्रेरणा में है। रतन की कहानी भारतीय उद्योग के लिए एक प्रेरणा है, और उनकी यादें आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी। यह सब हमें यह याद दिलाता है कि हम सबको अपने काम में ईमानदार रहना चाहिए और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए।

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