रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और मजबूत करने वाला महत्वपूर्ण त्योहार है। हर साल यह त्योहार सावन महीने की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है
जब बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस बार रक्षाबंधन 19 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा और इस दिन भद्रा का वास पाताल लोक में होगा।
रक्षाबंधन पर भद्रा का साया
इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा का साया सुबह 5:53 बजे से शुरू होकर दोपहर 1:32 बजे तक रहेगा। भद्रा का वास पाताल लोक में होने के कारण यह समय कुछ महत्वपूर्ण मान्यताओं और धार्मिक दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है।
भद्रा का प्रभाव शुभ और अशुभ दोनों तरह से देखा जाता है। अगर भद्रा का वास पाताल या स्वर्ग लोक में होता है, तो इसे पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के लिए शुभ माना जाता है। लेकिन कुछ मान्यताओं के अनुसार, भद्रा का पाताल लोक में होना अशुभ भी माना गया है। इसलिए, रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का सही समय जानना महत्वपूर्ण है।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 1:30 बजे से रात 9:08 बजे तक रहेगा। इस अवधि में आपको 7 घंटे 38 मिनट का शुभ समय मिलेगा जिसमें आप अपने भाई को राखी बांध सकती हैं। यह समय भद्रा समाप्त होने के बाद शुरू होगा, जो इसे शुभ और मंगलकारी बनाता है।
रक्षाबंधन पर बन रहे शुभ योग
इस रक्षाबंधन पर तीन शुभ योग भी बन रहे हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं:
- शोभन योग: यह पूरे दिन रहेगा और यह योग शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है।
- सर्वार्थ सिद्धि योग: यह सुबह 5:53 बजे से 8:10 बजे तक रहेगा। इस योग में किए गए कार्य सिद्ध होते हैं और सफलता प्राप्त होती है।
- रवि योग: यह भी सुबह 5:53 बजे से 8:10 बजे तक रहेगा। रवि योग सूर्य के प्रभाव के कारण अत्यंत शुभ होता है और इस योग में किए गए कार्यों में सफलता मिलती है।
रक्षाबंधन का महत्व और परंपराएँ
रक्षाबंधन का त्योहार केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में प्रेम, स्नेह और एकता को बढ़ावा देने वाला पर्व भी है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई बदले में अपनी बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा का वचन देता है।
रक्षाबंधन का उल्लेख कई पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। महाभारत में भगवान कृष्ण और द्रौपदी की कहानी इसका एक उदाहरण है। जब भगवान कृष्ण ने अपनी उंगली काट ली थी, तब द्रौपदी ने अपने आंचल का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया था। इस प्रेम और स्नेह के प्रतीक को कृष्ण ने रक्षाबंधन का नाम दिया और द्रौपदी की रक्षा का वचन दिया।
रक्षाबंधन की तैयारियाँ
रक्षाबंधन के दिन की तैयारियाँ कुछ दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं। बहनें अपने भाइयों के लिए सुंदर और रंग-बिरंगी राखियाँ खरीदती हैं। मिठाइयाँ और स्वादिष्ट पकवान तैयार किए जाते हैं। बाजारों में भी इस त्योहार की रौनक देखते ही बनती है। राखियों की दुकानों पर विशेष सजावट होती है और हर तरह की राखियाँ उपलब्ध होती हैं – पारंपरिक धागों से लेकर फैशन राखियाँ तक।
रक्षाबंधन के दिन का महत्व
रक्षाबंधन के दिन भाई-बहन सुबह से ही तैयार हो जाते हैं। बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधने से पहले उसे तिलक लगाती हैं, आरती उतारती हैं और मिठाई खिलाती हैं। इसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा का वचन देता है। यह परंपरा सिर्फ हिंदू धर्म में ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मों में भी मनाई जाती है। सिख, जैन, और बौद्ध धर्म के लोग भी इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं।
रक्षाबंधन और सामाजिक संदेश
रक्षाबंधन का त्योहार एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश भी देता है। यह त्योहार बताता है कि समाज में भाई-बहन का रिश्ता कितना पवित्र और महत्वपूर्ण है। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत करता है और उन्हें एक-दूसरे के प्रति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का एहसास कराता है।
रक्षाबंधन का त्योहार समाज में समानता, प्रेम, और आपसी सहयोग का प्रतीक है। यह त्योहार बताता है कि हम सभी को एक-दूसरे की मदद और रक्षा करनी चाहिए, चाहे वह हमारा परिवार हो या समाज।
रक्षाबंधन 2024: एक अद्वितीय अवसर
रक्षाबंधन 2024 का त्योहार भद्रा के साये में होने के बावजूद भी शुभ और मंगलकारी है। इस वर्ष तीन शुभ योगों का बनना इस त्योहार को और भी विशेष बनाता है। भाइयों और बहनों के इस पवित्र रिश्ते को मनाने के लिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है।
रक्षाबंधन का यह पर्व हमें यह सिखाता है कि जीवन में रिश्तों का महत्व कितना बड़ा है और हमें उन्हें संजोकर रखना चाहिए। भाई-बहन के इस पवित्र रिश्ते को और मजबूत बनाने के लिए यह त्योहार एक अनमोल अवसर है। तो इस रक्षाबंधन, अपने भाई-बहन के साथ इस पवित्र त्योहार को धूमधाम से मनाएं और अपने रिश्ते को और भी मजबूत बनाएं।
इस प्रकार, रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और प्रेम को और भी बढ़ाता है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि चाहे कोई भी परिस्थिति हो, भाई-बहन का प्यार और स्नेह हमेशा अटूट रहता है। रक्षाबंधन का यह पर्व हमें अपने रिश्तों को और भी मजबूत बनाने की प्रेरणा देता है और हमें एक-दूसरे की रक्षा करने का संकल्प दिलाता है।
रक्षाबंधन 2024 के इस पवित्र पर्व पर अपने भाई-बहन के साथ इस त्योहार को धूमधाम से मनाएं और अपने रिश्ते को और भी मजबूत बनाएं।
http://रक्षाबंधन 2024 : भद्रा के साये में भाई-बहन का प्रेम पर्व, जानिए शुभ मुहूर्त और योग