युवा पीढ़ी में बढ़ती क्रोनिक बीमारियों का खतरा: कारण और समाधान

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भारत में स्वास्थ्य का संकट गहराता जा रहा है, और यह केवल वृद्धावस्था की समस्याएं नहीं हैं। आज की युवा पीढ़ी तेजी से क्रोनिक बीमारियों का शिकार हो रही है, जैसे कि हार्ट अटैक, फैटी लिवर, और डायबिटीज। रिपोर्टों के अनुसार, भारत में 35 प्रतिशत लोगों को फैटी लिवर डिजीज है, और 2023 में कैंसर के नए मामलों की संख्या 14.96 लाख तक पहुंच गई है। साथ ही, 22 करोड़ लोग हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हैं। यह चिंताजनक स्थिति सभी के लिए एक गंभीर चेतावनी है।

युवा पीढ़ी में बढ़ती क्रोनिक बीमारियों का खतरा: कारण और समाधान
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युवाओं में क्रोनिक बीमारियों का बढ़ता प्रकोप

डॉ. पवन कुमार गोयल, फोर्टिस अस्पताल में इंटरनल मेडिसीन के डायरेक्टर, इस बढ़ती समस्या के पीछे कई कारण बताते हैं। शहरीकरण के बढ़ते प्रभाव ने हमारे जीवनशैली में नकारात्मक परिवर्तन किए हैं। अधिकांश युवा बाहरी खाने के शौकीन हो गए हैं, जो अक्सर प्रोसेस्ड और फास्ट फूड होते हैं। ये खाद्य पदार्थ न केवल उच्च वसा और कैलोरी से भरे होते हैं, बल्कि इनमें पोषण की कमी भी होती है।

शहरी जीवन की तेज़ रफ्तार के कारण लोग शारीरिक गतिविधियों में कमी करने लगे हैं। कंप्यूटर पर बैठकर काम करने की प्रवृत्ति ने हमें शारीरिक रूप से निष्क्रिय बना दिया है। इसके अलावा, तनाव, खराब आहार, और अनियोजित दिनचर्या ने इस समस्या को और भी बढ़ा दिया है।

खराब जीवनशैली के प्रभाव

आज के युवा तनाव, थकान और मानसिक दबाव का सामना कर रहे हैं। इसके कारण नींद की कमी और चिंता के स्तर में वृद्धि हो रही है, जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो रही है। नियमित व्यायाम न करने के कारण मेटाबॉलिज़्म धीमा हो जाता है, जिससे मोटापा और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ता है।

इसके अलावा, खराब पर्यावरण और आनुवांशिक कारक भी इन बीमारियों को बढ़ाने में सहायक हैं।

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बीमारियों से बचने के उपाय

डॉ. गोयल ने सलाह दी है कि हमें उन चीजों से परहेज करना चाहिए जो हमें बीमारियों की ओर ले जा रही हैं।

  1. खान-पान में सुधार:
    • प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड, और फास्ट फूड से दूरी बनाएं। इसके बजाय साबुत अनाज, हरी सब्जियां, और ताजे फल शामिल करें।
    • मीठे और नमकीन खाद्य पदार्थों की मात्रा को नियंत्रित करें।
  2. सक्रिय जीवनशैली अपनाएं:
    • नियमित रूप से व्यायाम करें। यह न केवल शरीर को फिट रखता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। आप रोज़ाना कम से कम आधा घंटा चलने, दौड़ने, साइकिल चलाने या तैरने में बिताएं।
    • योग और ध्यान से तनाव को कम करने में मदद मिलती है। यह मानसिक शांति प्रदान करता है और जीवन में संतुलन बनाए रखता है।
  3. नींद का ध्यान रखें:
    • अच्छी और गुणवत्तापूर्ण नींद लेना आवश्यक है। इससे आपका शरीर ऊर्जा प्राप्त करता है और मानसिक तनाव कम होता है।
  4. सकारात्मक सोच विकसित करें:
    • सकारात्मक सोच से न केवल मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि यह आपकी शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
  5. नियमित स्वास्थ्य जांच:
    • समय-समय पर स्वास्थ्य जांच करवाएं, ताकि किसी भी बीमारी का समय पर पता चल सके। इससे आप उचित उपचार और प्रबंधन की योजना बना सकते हैं।
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स्वास्थ्य संबंधी नीतियों की आवश्यकता

सरकार को भी इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए सही नीतियों का निर्माण करना चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों में स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ावा देना, स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना और स्वस्थ भोजन के विकल्प उपलब्ध कराना आवश्यक है।

भारत की युवा पीढ़ी को क्रोनिक बीमारियों के बढ़ते खतरे का सामना करना पड़ रहा है। यह एक गंभीर समस्या है, लेकिन सही जानकारी और स्वस्थ जीवनशैली के माध्यम से इसे रोका जा सकता है। हम जितना अधिक प्राकृतिक, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम को अपनाएंगे, उतना ही हम इन बीमारियों से बच सकेंगे।

आपकी सेहत और खुशहाली आपकी जिम्मेदारी है। इसलिए आज से ही स्वस्थ आदतों को अपनाएं और एक बेहतर भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं!

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