मंगेश कुलकर्णी: सिनेमा की दुनिया के बहुमुखी कलाकार का अंत

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सिनेमा जगत में कई शख्सियतें होती हैं जो पर्दे पर दिखने से ज्यादा पर्दे के पीछे रहकर अपनी कलात्मकता से सिनेमा को समृद्ध करती हैं। मंगेश कुलकर्णी ऐसी ही एक बहुमुखी प्रतिभा थे, जिन्होंने न सिर्फ बतौर अभिनेता बल्कि लेखक, गीतकार, और निर्देशक के रूप में भी अपने अमिट निशान छोड़े। 76 साल की उम्र में 19 अक्टूबर को मंगेश कुलकर्णी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन सिनेमा के प्रति उनकी सेवा और योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

मंगेश कुलकर्णी
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प्रारंभिक जीवन और करियर की शुरुआत

मंगेश कुलकर्णी का जन्म और परवरिश एक साधारण मराठी परिवार में हुई थी। कला और साहित्य के प्रति उनका झुकाव बचपन से ही था। उनके जीवन की यात्रा 1993 में मराठी फिल्म ‘लपांडव’ से शुरू हुई। यह उनकी पहली फिल्म थी, जिसमें उन्होंने बतौर पटकथा लेखक काम किया। मराठी सिनेमा में उनकी लेखनी ने उन्हें एक विशेष पहचान दिलाई, और यही वह समय था जब मंगेश कुलकर्णी ने अपने लिए सिनेमा जगत में एक जगह बनाई।

उनकी लेखन शैली में गहराई और संवेदनशीलता का अनूठा मेल था, जिसने उन्हें अलग खड़ा किया। मराठी सिनेमा से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद, मंगेश कुलकर्णी ने धीरे-धीरे बॉलीवुड की ओर कदम बढ़ाए और अपने अद्वितीय टैलेंट के दम पर एक खास मुकाम हासिल किया।

मंगेश कुलकर्णी का बॉलीवुड में योगदान

बॉलीवुड में मंगेश कुलकर्णी का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने कई प्रतिष्ठित फिल्मों की स्क्रिप्ट और संवाद लिखे, जिनमें से कुछ तो आज भी दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं। उनकी सबसे चर्चित फिल्मों में से एक ‘यस बॉस’ है, जो 1997 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में शाहरुख खान और जूही चावला ने लीड रोल निभाया था, और इसका निर्देशन अजीज मिर्जा ने किया था। मंगेश कुलकर्णी द्वारा लिखी गई इस फिल्म के संवाद और कथानक ने इसे एक बेहतरीन मनोरंजक फिल्म बनाया। ‘यस बॉस’ के जरिए मंगेश कुलकर्णी ने फिल्म जगत में अपनी पहचान को और मजबूती से स्थापित किया।

इसके बाद, उन्होंने साल 2002 में आई फिल्म ‘आवारा पागल दीवाना’ के लेखन का भी हिस्सा रहे, जो अपने समय की एक कॉमेडी और एक्शन से भरपूर फिल्म थी। इसके अलावा, मंगेश कुलकर्णी ने 1999 में आई फिल्म ‘दिल क्या करे’ की भी स्क्रिप्ट लिखी, जो अजय देवगन, काजोल, और महिमा चौधरी जैसे सितारों से सजी एक ड्रामा फिल्म थी।

मराठी सिनेमा में अमूल्य योगदान

बॉलीवुड के अलावा, मंगेश कुलकर्णी का मराठी सिनेमा में योगदान भी बहुत ही महत्वपूर्ण था। उन्होंने कई मराठी फिल्मों और शोज के लिए स्क्रिप्ट और गाने लिखे। खासतौर पर मराठी टेलीविजन के दो बड़े शो ‘अभलमाया’ और ‘वडालवत’ के टाइटल सॉन्ग, जो मराठी दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हुए। कुलकर्णी ने एक बार साझा किया था कि ‘अभलमाया’ का टाइटल सॉन्ग उन्हें एक बस सफर के दौरान सूझा था, और उन्होंने इसे बस टिकट पर लिखा था। यह उनकी लेखन क्षमता और क्रिएटिव प्रोसेस की अनूठी मिसाल थी।

मंगेश कुलकर्णी की लेखनी का जादू मराठी सिनेमा के सीमित दायरे से निकलकर पूरे भारतीय सिनेमा में फैल गया। उन्होंने मराठी सिनेमा में वह ऊंचाइयां हासिल कीं, जहां से उन्होंने कई अन्य लेखकों और फिल्ममेकर्स को प्रेरित किया।

फिल्म ‘फास्टर फेणे’: एक नया आयाम

साल 2017 में आई मराठी फिल्म ‘फास्टर फेणे’ मंगेश कुलकर्णी की एक और महत्वपूर्ण फिल्म थी, जिसमें उन्होंने लेखक और निर्माता के रूप में काम किया। यह फिल्म एक थ्रिलर जॉनर की थी, जो दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हुई। इस फिल्म की सफलता ने मंगेश कुलकर्णी की प्रतिभा को एक बार फिर से साबित किया और दर्शाया कि वे सिनेमा के हर पहलू को बखूबी समझते हैं।

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गीतकार के रूप में मंगेश कुलकर्णी

मंगेश कुलकर्णी केवल स्क्रिप्ट और संवादों तक ही सीमित नहीं थे। वे एक प्रतिभाशाली गीतकार भी थे। उनके द्वारा लिखे गए गीतों में गहराई, सादगी और एक अद्भुत लय थी, जो सीधे दिल में उतरती थी। उन्होंने मराठी शोज के कई टाइटल सॉन्ग लिखे, जो बेहद लोकप्रिय हुए। इसके अलावा, उन्होंने मराठी और हिंदी फिल्मों के लिए भी कई गीत लिखे, जो आज भी गाए और सुने जाते हैं।

‘अभलमाया’ का टाइटल सॉन्ग हो या ‘वडालवत’, मंगेश कुलकर्णी के गीतों ने मराठी संगीत को एक नई दिशा दी। उनके गीतों की लोकप्रियता केवल मराठी सिनेमा तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने हिंदी सिनेमा के लिए भी कुछ बेहतरीन गाने लिखे, जो आज भी दर्शकों के बीच प्रासंगिक हैं।

प्रेरणादायक जीवन और अंतिम विदाई

मंगेश कुलकर्णी का जीवन एक प्रेरणा है, जो दिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति अपनी मेहनत, प्रतिभा और समर्पण के बल पर कला के विभिन्न रूपों में महारत हासिल कर सकता है। उन्होंने लेखन, निर्देशन, और गीतकार के रूप में अपनी अलग-अलग भूमिकाओं को पूरी शिद्दत से निभाया।

साल 1997 में आई ‘गुलाम-ए-मुस्तफा’ जैसी फिल्में, जिसमें नाना पाटेकर और रवीना टंडन ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं, इस बात की गवाह हैं कि कुलकर्णी ने कठिन और संवेदनशील विषयों पर भी बखूबी काम किया। उनके कार्यों ने यह साबित किया कि वे एक बहुआयामी शख्सियत थे, जिन्होंने सिनेमा के हर पहलू को समृद्ध किया।

19 अक्टूबर 2024 को, 76 साल की उम्र में, मंगेश कुलकर्णी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन से सिनेमा जगत को एक गहरा आघात पहुंचा है। लेकिन उनकी लेखनी, उनके गीत और उनके द्वारा बनाए गए किरदार हमेशा सिनेमा प्रेमियों के दिलों में जीवित रहेंगे।

मंगेश कुलकर्णी का योगदान सिनेमा जगत के लिए अमूल्य है। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने सिनेमा के हर क्षेत्र को समृद्ध किया। चाहे वह मराठी सिनेमा हो या बॉलीवुड, उनकी लेखनी और निर्देशन ने हमेशा दर्शकों को बांधकर रखा। उनकी रचनाओं और उनकी कलात्मकता की छाप आने वाले कई सालों तक सिनेमा के पर्दे पर बनी रहेगी।

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