बॉलीवुड की गुमनामी: कैरेक्टर आर्टिस्ट का संघर्ष

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बॉलीवुड में काम करने का सपना हर किसी के मन में होता है, लेकिन इस चमकदार दुनिया के पीछे की सच्चाई अक्सर अंधेरी होती है। हाल ही में, अभिनेता अखिलेंद्र मिश्रा ने बॉलीवुड के अंधेरे पहलुओं पर प्रकाश डाला, जो कैरेक्टर आर्टिस्टों के संघर्ष को दर्शाता है। ‘लगान’ और ‘रेडी’ जैसी सफल फिल्मों में अपने काम के लिए जाने जाने वाले अखिलेंद्र मिश्रा ने एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे इस इंडस्ट्री में कैरेक्टर एक्टर्स का आर्थिक शोषण होता है।

बॉलीवुड की गुमनामी: कैरेक्टर आर्टिस्ट का संघर्ष
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कैरेक्टर आर्टिस्ट का महत्व

अखिलेंद्र ने कहा, “फिल्म की आत्मा कैरेक्टर आर्टिस्ट होता है।” यह एक महत्वपूर्ण बयान है, जो इस बात को स्पष्ट करता है कि कैसे स्टार्स की वजह से फिल्में बिकती हैं, लेकिन कैरेक्टर आर्टिस्ट उन फिल्मों में जान डालते हैं। उनका अभिनय, उनकी निपुणता, और उनकी उपस्थिति फिल्म को वास्तविकता से जोड़ती है। यदि किसी फिल्म में अच्छे कैरेक्टर एक्टर्स नहीं होते, तो वह फिल्म दर्शकों को आकर्षित करने में सफल नहीं हो सकती।

आर्थिक शोषण का मुद्दा

अखिलेंद्र का कहना है कि इंडस्ट्री में पैसा केवल स्टार्स के पास होता है। “आज भी, अगर कोई कैरेक्टर आर्टिस्ट हॉस्पिटल में एडमिट हो जाए, तो उसके पास दवाई के लिए भी पैसे नहीं होते। कई म्यूजिशियंस, आर्ट डायरेक्टर्स, और यहां तक कि एक्टर्स गुमनामी में मर जाते हैं,” उन्होंने कहा। यह तथ्य न केवल दुखद है, बल्कि यह इस बात को भी दर्शाता है कि इस इंडस्ट्री में कितनी असमानताएँ हैं।

जब प्रोड्यूसर्स का ध्यान केवल सितारों पर होता है, तो कैरेक्टर आर्टिस्ट्स को नजरअंदाज कर दिया जाता है। अखिलेंद्र ने कहा, “हर प्रोड्यूसर पैसा कम देना चाहता है, कोई लिहाज नहीं करता।” यह स्थिति केवल एक अभिनेता की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि समग्र रूप से इंडस्ट्री के स्वास्थ्य के लिए भी चिंताजनक है।

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रॉयल्टी सिस्टम की कमी

एक अन्य महत्वपूर्ण बिंदु जो अखिलेंद्र ने उठाया, वह है रॉयल्टी सिस्टम की कमी। उन्होंने कहा, “अगर हम हॉलीवुड के सेट की बात करें, तो वहां काम करने वाले लोगों को उनकी मेहनत के अनुसार रॉयल्टी मिलती है। लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। जिस दिन यह इंटरव्यू बाहर आएगा कि मैं रॉयल्टी मांग रहा हूं, मैं सबका दुश्मन बन जाऊंगा।” यह समस्या कैरेक्टर एक्टर्स की स्थिति को और भी कठिन बना देती है।

रॉयल्टी का अभाव न केवल आर्थिक सुरक्षा को प्रभावित करता है, बल्कि यह कलाकारों की पहचान और मान्यता को भी कमजोर करता है। जब कलाकारों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिलता, तो यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।

बॉलीवुड का चमकदार लेकिन छलावा

बॉलीवुड का आकर्षण निस्संदेह है। बड़े सितारे, भव्य फिल्में, और तड़क-भड़क, लेकिन इसके पीछे की सच्चाई अक्सर बहुत भयानक होती है। कैरेक्टर आर्टिस्टों को उनकी पहचान से हीन किया जाता है, और जब कोई प्रोड्यूसर सिर्फ स्टार्स को ही पैसा देता है, तो यह स्पष्ट होता है कि इंडस्ट्री में कितनी असमानता है।

अखिलेंद्र का यह बयान एक बड़ा संकेत है कि इंडस्ट्री को बदलाव की आवश्यकता है। सभी कलाकारों को उनके योगदान के अनुसार मान्यता मिलनी चाहिए। यदि कैरेक्टर आर्टिस्टों को उचित मान्यता और सम्मान नहीं दिया गया, तो यह न केवल उनके लिए, बल्कि पूरी इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा नुकसान होगा।

संघर्ष की कहानी

अखिलेंद्र मिश्रा की कहानी केवल उनकी नहीं, बल्कि हर कैरेक्टर आर्टिस्ट की कहानी है। कई ऐसे अभिनेता हैं जो अपनी मेहनत और कड़ी मेहनत के बाद भी गुमनामी में जी रहे हैं। वे पर्दे पर कम समय के लिए होते हैं, लेकिन उनका योगदान फिल्म की कहानी को जीवंत बनाने में महत्वपूर्ण होता है।

बॉलीवुड में कैरेक्टर आर्टिस्टों का संघर्ष उनके अभिनय के प्रति प्यार को दर्शाता है। वे जानते हैं कि भले ही उन्हें कम पहचान मिले, लेकिन वे अपने किरदारों के साथ न्याय करते हैं। इस तरह के संघर्ष से ही वे अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करते हैं, लेकिन उनके संघर्ष की कहानी कभी-कभी अंधेरे में खो जाती है।

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अखिलेंद्र मिश्रा का बयान हमें याद दिलाता है कि हमें इस इंडस्ट्री की उन वास्तविकताओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जो अक्सर हमें दिखाई नहीं देतीं। हमें उन कलाकारों के योगदान को मान्यता देने की आवश्यकता है, जो हमारे पसंदीदा फिल्मों को संभव बनाते हैं। यह सिर्फ एक अभिनेता की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह सभी कलाकारों की एक सामूहिक लड़ाई है।

बॉलीवुड की इस चमकदार दुनिया में हमें उन गुमनाम सितारों के संघर्षों को नहीं भूलना चाहिए, जिन्होंने हमें अपने अभिनय के माध्यम से प्रेरित किया है। हमें उनके लिए खड़ा होना चाहिए और उनकी आवाज बननी चाहिए, ताकि वे भी इस इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना सकें।

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