बाबू जी एक दिया ले लीजिए, हमारी भी दीवाली रोशन हो जाएगी

0

इन्सान माटी से बना है और एक दिन माटी मे ही उसे मिल जाना है लेकिन जैसे जैसे आधुनिकता की मिट्टी उस पर जमनी शुरू हुई उसने माटी से अपना नाता ही तोड़ दिया। यही कारण है कि दीपावली आने से पहले मिट्टी के दिए जलाने के लिए लोगों को प्रेरित करने की जरूरत पड़ती है। आधुनिकता का जिक्र इस लिए किया गया है क्योकि आज लोग अपने घरों को बिजली से चलने वाली लड़ियों से सजाना पसन्द करते हैं। मिट्टी के दिए जला कर अपने घर को रोशन करने वालों की बहुत कम है बस दीपावली की पूजा के लिए चंद मिट्टी के दिए जरूर लिए जाते है लेकिन पूरे घर पर मिट्टी के दिए जलाने की परम्परा खो गई है।

मिट्टी के दिए का लाभ:

मिट्टी के दिए जालने से कई फायदे हैं प्राचीन काल से यह प्रचलित है कि बरसात के बाद दीपावली का पर्व आता है बरसात में बहुत से ऐसे कीट पैदा हो जाते है जो न केवल हमारी फसलों को हानि पहुंचाते है बल्की हमारे स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होते हैं। दीपावली पर दिए जालने से इसकी लौ में हानिका​रक कीट जल कर नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार समाज के लोग जो आज भी इस पुरानी परम्परा को बचाए हुए है उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में भी हम सहायक हो सकते हैं। पिछले कुछ वर्षो में मिट्टी के वर्तन बनाने वाले व्यवसाय से जुड़े परिवारों ने इसे त्याग दिया है क्योकि इस व्यवसाय से परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था।

पर्यावरण सुरक्षा के लिए लाभदायक:

दीपावली पर यदि मिट्टी के दिए जलाए जाते है तो इसमें या तो सरसों का तेज प्रयोग किया जाता है या फिर घी के दिए जलाए जाते हैं। इससे उठने वाला धुआ पर्यावरण के लिए लाभदायक ही होता है। इसी लिए प्रति वर्ष यही कहा जाता है कि पटाखें जला कर पर्यावरण को दूषित करने से बेहतर है कि हम दिए जला कर दीपावली मनाए इस प्रकार बढ़ते प्रदूषण को हम रोक सकते हैं।

समाज के उथ्थान में बनें सहयोगी:

सामाजिक ताने बाने को मजबूत बनाने के लिए सभी को अपना योगदान देना होता है हमारे देश की पहचान भी यही रही है कि हम सहयोग के लिए सदैव तत्पर रहते हैं वर्ष में एक बार आने वाले दीपावली पर्व पर यदि हम मिट्टी के दिए खरीदते हैं तो इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को आर्थिक लाभ होगा और उनका जीवन स्तर पर भी सुधरेगा। जिसमें हम सभी अपना योगदान दे सकते हैं।

बाबू जी एक दिया ले लीजिए:

बाबू जी एक दिया ले लीजिए। यह किसी भी गरीब को कहने का मौक इस दिवाली मत दीजिए। पर्यावरण सुरक्षा और सामाजिक योगदान को ध्यान में रखते हुए आप घर ले आईए मिट्टी के दिए अपने घर को रोशन कीजिए। यदि आप इन दियों से अपने घरों को रोशन करेंगे तो आप के घर की इस रोशनी से गरीब परिवारों के घरों में भी अदभुत प्रकाश अपने आप हो जाएगा। तो फिर इस दीपावली खुद से किया गया यह वादा जरूर निभाईएगा।

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here