बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक बार फिर विवादों में हैं। हाल ही में, कलचुरी समाज ने उनके खिलाफ ग्वालियर जिला कोर्ट में मानहानि का परिवाद दायर किया है। इस मामले में धीरेंद्र शास्त्री पर आरोप है कि उन्होंने भगवान सहस्त्रबाहु के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है। इसके चलते अब अदालत में सुनवाई शुरू होने वाली है, जो आगामी 24 सितंबर को होगी।
ग्वालियर जिला न्यायालय में एडवोकेट अनूप शिवहरे की ओर से धारा 500 और 502 भादवि के तहत एक परिवाद दायर किया गया है। परिवाद में कहा गया है कि कलचुरी समाज के आराध्य भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन हैं। इस समाज के लोग उनकी पूजा-अर्चना करते हैं और उनकी धार्मिक आस्था को प्राथमिकता देते हैं।
हाल ही में, धीरेंद्र शास्त्री ने एक सोशल मीडिया वीडियो में भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन के संबंध में कुछ आपत्तिजनक शब्द कहे। कलचुरी समाज के अनुसार, यह टिप्पणी उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली थी। परिवाद में यह भी उल्लेख किया गया है कि धीरेंद्र शास्त्री को इस संदर्भ में पहले भी पत्र भेजा गया था, लेकिन उन्होंने न तो जवाब दिया और न ही सार्वजनिक रूप से माफी मांगी।
कलचुरी समाज की प्रतिक्रिया
कलचुरी समाज ने इस विषय पर कड़ा रुख अपनाया है। समाज के लोगों का मानना है कि उनके आराध्य का अपमान किया गया है, जो सहन करने योग्य नहीं है। समाज ने न्याय की उम्मीद में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि इस तरह की टिप्पणियां समाज के लिए न केवल अपमानजनक हैं, बल्कि यह उनकी धार्मिक भावनाओं का भी अपमान करती हैं।
समाज के सदस्यों ने बताया कि वे धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई चाहते हैं ताकि भविष्य में किसी भी व्यक्ति को इस तरह की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का साहस न हो।
कानूनी पहलू
यह मामला धारा 500 और 502 भादवि के अंतर्गत आता है, जो मानहानि से संबंधित है। धारा 500 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है। वहीं, धारा 502 के तहत भी संबंधित प्रावधान हैं, जो किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने पर लागू होते हैं।
इस मामले में ग्वालियर जिला न्यायालय ने सुनवाई की तारीख निर्धारित कर दी है। 24 सितंबर को दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद अदालत अपने निर्णय पर पहुँचेगी।
क्या हो सकता है आगे
इस विवाद का आगे क्या परिणाम होगा, यह कहना कठिन है। यदि अदालत धीरेंद्र शास्त्री को दोषी मानती है, तो उन्हें कानूनी दंड का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, यह मामला धार्मिक भावनाओं के बीच और गहराई में जा सकता है, जिससे समाज में और भी तनाव उत्पन्न हो सकता है।
धीरेंद्र शास्त्री की लोकप्रियता और प्रभाव को देखते हुए, यह भी संभव है कि इस मामले का प्रभाव उनके अनुयायियों और समाज के अन्य वर्गों पर पड़े। ऐसे में, समाज के लोग यह सोचने को मजबूर होंगे कि क्या उन्हें अपने धार्मिक गुरुओं की टिप्पणियों को लेकर इतनी गंभीरता से कार्रवाई करनी चाहिए या नहीं।
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का यह विवाद एक बार फिर यह सिद्ध करता है कि धर्म, आस्था और मानवीय भावनाओं का आपस में गहरा संबंध होता है। जब भी किसी धार्मिक व्यक्तित्व की टिप्पणियों से किसी समाज की आस्था को ठेस पहुँचती है, तो समाज उस पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य देता है।
आगामी सुनवाई के परिणाम से यह स्पष्ट होगा कि इस विवाद का क्या नतीजा निकलता है और क्या कलचुरी समाज अपनी धार्मिक भावनाओं की रक्षा कर सकेगा या नहीं।
इस घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि हमारे समाज में धार्मिक भावनाओं का सम्मान कितना महत्वपूर्ण है, और इसके बिना एक स्वस्थ संवाद और सहिष्णुता का वातावरण बनाना कठिन है।
बागेश्वर धाम : धीरेंद्र शास्त्री के विवाद पर कोर्ट में 1 सुनवाईhttp://बागेश्वर धाम : धीरेंद्र शास्त्री के विवाद पर कोर्ट में 1 सुनवाई