फ्लाइट कैंसिलेशन का असर: हाल ही में एक परिवार की यात्रा के दौरान हुई असुविधा ने साबित कर दिया कि यात्रा के दौरान बेमौसम समस्याएं केवल व्यक्तिगत दुख नहीं बल्कि कानूनी विवादों का कारण भी बन सकती हैं। चंडीगढ़ की डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन ने ट्रैवल कंपनी मेक माई ट्रिप (MakeMyTrip) और एयरलाइन कंपनी गो फर्स्ट (Go First) पर कुल 19,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह मामला एक परिवार की थाईलैंड यात्रा में फ्लाइट्स के कैंसिल होने और रीशेड्यूलिंग के कारण हुई परेशानियों से जुड़ा हुआ है।
मामले की पृष्ठभूमि
अप्रैल 2023 में, चंडीगढ़ के एक निवासी ने मेक माई ट्रिप के जरिए नई दिल्ली से फुकेट के लिए फ्लाइट बुक की थी। इसके साथ ही, उन्होंने क्राबी में ठहरने की व्यवस्था भी मेक माई ट्रिप के माध्यम से की थी, जबकि फुकेट में ठहरने की व्यवस्था अलग से की गई थी। परिवार को अपनी छुट्टियों की योजना के लिए कई महीनों से तैयारी कर रहा था, लेकिन गो फर्स्ट ने अपनी फ्लाइट को ऑपरेशनल कारणों का हवाला देते हुए कैंसिल कर दिया।
फ्लाइट कैंसिलेशन की समस्या
फ्लाइट कैंसिलेशन की सूचना मिलने के बाद, एयरलाइन ने एक अन्य फ्लाइट की पेशकश की, लेकिन वह भी निर्धारित समय से 3 घंटे 40 मिनट बाद थी, और अंततः यह भी कैंसिल हो गई। इस स्थिति ने परिवार के लिए यात्रा की योजना को पूरी तरह से बिगाड़ दिया। उन्हें क्राबी में ठहरने की व्यवस्था को पूरा करने का कोई मौका नहीं मिला और फुकेट में उनकी प्रीपेड बुकिंग का लाभ भी नहीं उठा पाए।
शिकायतकर्ता ने इस परेशानी के लिए मेक माई ट्रिप और गो फर्स्ट दोनों को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि फ्लाइट में हुए बदलाव के कारण उन्हें अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ा, साथ ही फुकेट में उनकी बुकिंग का भी नुकसान हुआ।
कंज्यूमर कोर्ट का फैसला
कंज्यूमर कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद दोनों कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया। आयोग ने पाया कि गो फर्स्ट का सुनवाई में उपस्थित नहीं होना और बार-बार फ्लाइट कैंसिल करना ‘सर्विस में कमी’ के बराबर है।
मेक माई ट्रिप ने अपनी बचाव में कहा कि वह केवल एक इंटरमीडियरी के रूप में कार्य कर रहा था और एयरलाइन के संचालन या फ्लाइट में किसी प्रकार की बाधा के लिए जिम्मेदार नहीं है। कंपनी का तर्क था कि उसके पास कैंसिलेशन या रिफंड पर कोई नियंत्रण नहीं है, जैसा कि उनके यूजर एग्रीमेंट में बताया गया है।
हालांकि, कमीशन ने इसे मानने से इनकार कर दिया और कहा कि जब यात्रा का संचालन एक ट्रैवल एजेंट के माध्यम से होता है, तो उसे यात्रा के अनुभव को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होती है।
क्या हमें ट्रैवल कंपनियों पर भरोसा करना चाहिए?
यह मामला केवल एक व्यक्तिगत अनुभव नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि जब भी हम यात्रा की योजना बनाते हैं, तो हमें ट्रैवल कंपनियों और एयरलाइंस की सेवा गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। कई बार कंपनियां अपने ऑपरेशनल कारणों का हवाला देकर उपभोक्ताओं को असुविधा में डाल देती हैं, और हमें इसके लिए कोई न्याय नहीं मिलता।
कंज्यूमर के अधिकार
कंज्यूमर कोर्ट का यह फैसला यह स्पष्ट करता है कि उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि कोई कंपनी अपनी सेवाओं में कमी करती है, तो उसे इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। यह सभी ट्रैवल कंपनियों और एयरलाइंस के लिए एक चेतावनी है कि उन्हें अपने ग्राहकों के प्रति अधिक उत्तरदायी रहना होगा।
भविष्य में क्या करें?
इस घटना के बाद, यात्रियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे यात्रा बुक करने से पहले सभी शर्तों और नियमों को अच्छी तरह से समझ लें। यदि कोई भी परिवर्तन होता है, तो तुरंत ट्रैवल एजेंट से संपर्क करना चाहिए और अपनी शिकायत दर्ज करानी चाहिए। इसके अलावा, यात्रियों को यह सलाह दी जाती है कि वे अपनी यात्रा योजनाओं में अधिक लचीलापन रखें, ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति का सामना करने में सहूलियत हो।
कंज्यूमर कोर्ट का यह फैसला केवल एक व्यक्तिगत मामले का निपटारा नहीं है, बल्कि यह सभी उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि उनके अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए। यात्रा करने से पहले, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी योजनाओं का ध्यानपूर्वक विश्लेषण करें और किसी भी प्रकार की असुविधा के लिए तत्पर रहें।
इस घटना ने हमें यह सिखाया है कि हमें अपनी यात्रा की योजनाओं में हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए और ट्रैवल कंपनियों से मिले अनुभव को गंभीरता से लेना चाहिए। जब तक हम अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं होंगे, तब तक हम उन असुविधाओं का सामना करते रहेंगे, जो हमें अनावश्यक रूप से परेशान कर सकती हैं।
इसलिए, अगली बार जब आप यात्रा की योजना बनाएं, तो एक सशक्त उपभोक्ता बनें और अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें।
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