फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’: विवाद, लोकप्रियता और जीनत अमान का ‘रूपा’ अवतार

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साल 1978 में रिलीज हुई राज कपूर की फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ आज भी हिंदी सिनेमा के सबसे बोल्ड और विवादास्पद फिल्मों में से एक मानी जाती है। इस फिल्म ने उस समय बॉक्स ऑफिस पर जितनी धमाल मचाई थी, उतनी ही चर्चाएं इस फिल्म के विवादों को लेकर भी थीं। इस फिल्म में जीनत अमान ने एक ऐसी भूमिका निभाई जिसने लोगों के मन-मस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ी। फिल्म में सुहागरात पर फिल्माए गए गाने और उनके किरदार को लेकर खूब बवाल हुआ। आइए, इस ब्लॉग में जानते हैं कि कैसे यह फिल्म एक कल्ट क्लासिक बनकर उभरी, और इसके साथ जुड़े विवाद, भावनाएं और कहानियां।

सत्यम शिवम सुंदरम
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जीनत अमान और रूपा का किरदार: साहस का परिचय

फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ में जीनत अमान ने ‘रूपा’ का किरदार निभाया था। रूपा एक ऐसी महिला थी, जो अपनी सुंदरता और अभिव्यक्ति से समाज की पारंपरिक मान्यताओं को चुनौती देती है। राज कपूर के निर्देशन में बनी इस फिल्म में रूपा का किरदार इतना बोल्ड था कि उस समय के लोग इसे पचा नहीं पाए। जीनत का इस किरदार में सहज होना, उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है, क्योंकि उन्होंने अपने किरदार के माध्यम से समाज के सामने एक नई सोच रखी।

बहुत कम लोगों को पता है कि इस फिल्म के लिए पहली पसंद जीनत नहीं, बल्कि हेमा मालिनी थीं। फिल्म में दिखाए गए बोल्ड सीन्स और किरदार की गहराई को देखते हुए हेमा मालिनी ने इसे करने से मना कर दिया। राज कपूर की खोज तब जाकर खत्म हुई जब उन्होंने जीनत अमान को रूपा के किरदार के लिए चुना।

जब जीनत अमान ने राज कपूर को हैरान कर दिया

राज कपूर के लिए उनकी फिल्मों के किरदार बहुत मायने रखते थे। ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ के रूपा किरदार के लिए राज कपूर एक ऐसी अभिनेत्री चाहते थे, जो इसे पूरी शिद्दत और साहस के साथ निभा सके। इस बात को समझते हुए, जीनत अमान फिल्म में अपने किरदार ‘रूपा’ का गेटअप लेकर एक दिन राज कपूर के घर पहुंचीं।

जीनत को इस अवतार में देख कर राज कपूर और उनकी पत्नी दोनों हैरान रह गए थे। जीनत की यह साहसिक पहल और किरदार में पूरी तरह समर्पित होने की भावना ने राज कपूर को आश्वस्त कर दिया कि जीनत ही ‘रूपा’ के किरदार के लिए बिल्कुल सही चुनाव हैं।

‘सत्यम शिवम सुंदरम’ के गाने: संगीत का प्रभाव और विवाद

‘सत्यम शिवम सुंदरम’ के गाने अपने समय के सबसे बेहतरीन गानों में गिने जाते हैं। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित और लता मंगेशकर की आवाज़ में गाए गए इन गीतों ने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी।

हालांकि, इस फिल्म का एक गाना, जो सुहागरात के सीक्वेंस पर फिल्माया गया था – ‘सैंया निकस गए… मैं ना लड़ी थी’ – अपने समय में सबसे ज्यादा विवादित गानों में से एक बन गया। गाने की प्रस्तुति और दृश्यांकन पर अश्लीलता फैलाने का आरोप लगाया गया। उस समय के कई बड़े अभिनेता, जिसमें देव आनंद भी शामिल थे, ने इस फिल्म और गाने को ‘गंदी फिल्म’ तक कह दिया था। उन्हें लगा कि फिल्म में कैमरा मुख्य रूप से जीनत अमान के शरीर पर फोकस करता रहा, जिससे एक अश्लीलता की भावना उत्पन्न होती है।

जीनत अमान ने कई सालों बाद इस गाने और किरदार को कला के रूप में वर्णित किया। उनका मानना था कि इस गाने में न केवल एक स्त्री का दर्द, बल्कि उसकी इच्छाओं का भी प्रतीक था।

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जब भीड़ ने जीनत को परेशान किया

फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान जीनत अमान और शशि कपूर दिल्ली के एक प्रसिद्ध सिनेमा हॉल में पहुंचे थे। वहां, जीनत अमान की एक झलक पाने के लिए भारी भीड़ इकट्ठा हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस भीड़ में एक शरारती व्यक्ति ने जीनत को परेशान किया और उन्हें चिकोटी काट ली। अचानक हुए इस हादसे से जीनत चीख पड़ीं। शशि कपूर ने तुरंत भीड़ को शांत कराया और जीनत को वहां से बाहर निकाला।

यह घटना उस समय की लोकप्रियता और जुनून को दिखाती है जो जीनत अमान के प्रति था। हालांकि, इस प्रकार की घटनाएं यह भी दिखाती हैं कि प्रसिद्धि के साथ किस प्रकार की चुनौतियाँ भी आती हैं।

फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर धमाल और कल्ट क्लासिक का दर्जा

फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ ने उस समय बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया। हालांकि इसे मिले-जुले रिव्यूज़ भी मिले, लेकिन इस फिल्म ने भारतीय सिनेमा में एक नई सोच को जन्म दिया। फिल्म का विषय, कहानी और किरदार उस समय के समाज के लिए काफी बोल्ड थे। यही कारण है कि यह फिल्म धीरे-धीरे एक कल्ट क्लासिक बनकर उभरी।

इस फिल्म में राज कपूर ने समाज के उन मुद्दों को छूने की कोशिश की जो कई लोग अनदेखा कर देते हैं। उन्होंने सुंदरता के बाहरी रूप और आंतरिक सुंदरता के बीच का संघर्ष दिखाने का प्रयास किया। यह फिल्म आज भी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि असली सुंदरता क्या है और समाज की अपेक्षाओं का पालन करना वास्तव में कितना जरूरी है।

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जीनत अमान का योगदान और उनकी अद्वितीय पहचान

जीनत अमान ने अपने करियर में कई बोल्ड किरदार निभाए हैं, लेकिन ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ का ‘रूपा’ किरदार उनकी सबसे उल्लेखनीय भूमिकाओं में से एक है। इस किरदार ने जीनत को एक नई पहचान दी। उन्होंने साबित कर दिया कि वह न केवल ग्लैमर रोल में अच्छी हैं बल्कि गहरे और चुनौतीपूर्ण किरदारों को भी निभाने में सक्षम हैं।

राज कपूर की ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ जीनत अमान की कला को प्रदर्शित करने का एक मंच थी, और इसने उनकी अद्वितीय पहचान को और मजबूत किया। जीनत की परफॉर्मेंस ने साबित कर दिया कि वह न केवल एक खूबसूरत चेहरा हैं, बल्कि एक उम्दा अभिनेत्री भी हैं, जो हर चुनौती को आत्मविश्वास के साथ स्वीकार कर सकती हैं।

फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ और जीनत अमान का ‘रूपा’ किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में बसा हुआ है। यह फिल्म विवादित जरूर रही, लेकिन यह समाज की रूढ़ियों और हमारे सोचने के तरीकों पर प्रश्नचिन्ह लगाने का प्रयास भी करती है। राज कपूर के निर्देशन और जीनत अमान के प्रदर्शन ने इस फिल्म को भारतीय सिनेमा का एक अनमोल हिस्सा बना दिया है।

यह फिल्म केवल एक कहानी नहीं थी, बल्कि यह उस समय की सोच और धारणाओं पर एक चोट भी थी। ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ हमें यह याद दिलाती है कि असली सुंदरता आत्मा में होती है, न कि केवल चेहरे पर।

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