नेहा जोशी: दिवाली का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है, और हर कोई इसे अपने तरीके से खास बनाने की कोशिश कर रहा है। इस खास अवसर पर, टेलीविजन सीरियल ‘अटल’ की एक्ट्रेस नेहा जोशी ने भी अपनी दिवाली की विशेष योजनाओं के बारे में साझा किया है। उन्होंने न केवल त्योहार की महत्ता पर प्रकाश डाला, बल्कि पर्यावरण के प्रति अपनी जागरूकता को भी व्यक्त किया है।
बचपन की यादों से भरी दिवाली
नेहा जोशी का मानना है कि दिवाली हमेशा से उनके दिल में एक खास जगह रखती है। उन्होंने बताया कि कैसे वह अपनी महाराष्ट्रीयन परंपराओं के अनुसार इस त्योहार की तैयारी करती हैं। “हम हर साल दिवाली के लिए पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं। हमारे परिवार में एक खास अनुष्ठान है, सुबह-सुबह अभ्यंग स्नान करना, जो उत्सव से पहले शरीर को शुद्ध करने का एक तरीका है,” नेहा ने कहा। यह अनुष्ठान न केवल आध्यात्मिक है, बल्कि यह त्योहार के उत्साह को भी बढ़ाता है।
लोकल कारीगरों का सहयोग
इस साल, नेहा ने पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आतिशबाजी के बजाय हाथ से पेंट किए गए दीये मंगवाने का फैसला किया है। “मैंने लोकल आर्टिस्टों से दीये मंगवाए हैं। यह न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता दिखाता है, बल्कि हमें हमारे संस्कृति और कला का समर्थन करने का भी अवसर देता है। मेरे लिए, दिवाली हमारे भीतर के प्रकाश को दर्शाती है और खुशी फैलाने के साथ-साथ हमें नेचर से समझौता नहीं करना चाहिए,” उन्होंने कहा।
पारंपरिक व्यंजनों की महक
नेहा ने दिवाली के दौरान बनाए जाने वाले पारंपरिक महाराष्ट्रीयन व्यंजनों की भी चर्चा की। “मुझे पूरन पोली, शंकरपाली, और चिवड़ा जैसे व्यंजन बनाना बहुत पसंद है। ये व्यंजन बचपन की यादों को ताजा करते हैं और परिवार और दोस्तों के साथ साझा करने का आनंद देते हैं,” नेहा ने अपनी बातें साझा की। इन व्यंजनों की खुशबू और स्वाद हर किसी को दिवाली के जश्न में शामिल करने का एक खास तरीका है।
‘अटल’ सीरियल का महत्व
नेहा जोशी इन दिनों टेलीविजन सीरियल ‘अटल’ में कृष्णा देवी वाजपेयी का किरदार निभा रही हैं। यह शो दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बचपन के अनकहे पहलुओं को दर्शाता है। यह शो उनके जीवन के उन घटनाओं और चुनौतियों पर प्रकाश डालता है, जिन्होंने उन्हें एक नेता के रूप में ढाला। ऐसे में नेहा का किरदार भी दर्शकों को अटल जी के बचपन की प्रेरणादायक कहानियों से जोड़ता है।
दिवाली का संदेश
दिवाली केवल एक त्योहार नहीं है, यह एक अवसर है जब हम अपने प्रियजनों के साथ समय बिताते हैं, खुशियाँ साझा करते हैं और एक-दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान प्रकट करते हैं। नेहा जोशी जैसे कलाकारों का योगदान हमें याद दिलाता है कि हमारे पारंपरिक त्योहारों में न केवल खुशियाँ हैं, बल्कि यह हमें हमारे सांस्कृतिक विरासत और जिम्मेदारियों के प्रति भी जागरूक करता है।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता
आज के दौर में, जब पर्यावरणीय संकट लगातार बढ़ रहा है, नेहा जैसी हस्तियों की पहल महत्वपूर्ण है। उनके प्रयास हमें यह सिखाते हैं कि हम त्योहारों को मनाने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों का भी ध्यान रखें। उनके द्वारा उठाए गए कदम न केवल उनके लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक सकारात्मक संदेश हैं।
नेहा जोशी की दिवाली की योजना और उनके विचार यह स्पष्ट करते हैं कि त्योहार मनाने का तरीका बदल सकता है, लेकिन उनका उद्देश्य वही रहता है – खुशियों का वितरण और पर्यावरण के प्रति जागरूकता। दिवाली का यह त्योहार हमें सिखाता है कि सच्चा जश्न तभी होता है जब हम दूसरों के साथ मिलकर उसे मनाते हैं और अपनी परंपराओं को आगे बढ़ाते हैं। नेहा जोशी की प्रेरणा हमें याद दिलाती है कि हम सभी अपने तरीके से इस त्योहार को खास बना सकते हैं, चाहे वह पारंपरिक व्यंजनों के जरिए हो या पर्यावरण का ख्याल रखते हुए दीयों के माध्यम से।
इस दिवाली, जब हम सभी अपने प्रियजनों के साथ मिलकर खुशियाँ मनाने के लिए तैयार हैं, नेहा जोशी की यह कहानी हमें सिखाती है कि त्योहारों का असली मजा तभी है जब हम इसे अपने सांस्कृतिक मूल्यों और जिम्मेदारियों के साथ मनाते हैं।