“धनबाद में दुर्गा पूजा का अनोखा रूप: समुद्री सीप से बनेगा भव्य पंडाल”

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पंडाल निर्माण की नई परिभाषा

धनबाद: इस वर्ष दुर्गा पूजा के अवसर पर धनबाद के स्टीलगेट में एक अनोखा और इको-फ्रेंडली पंडाल तैयार किया जा रहा है, जो न केवल भव्यता के लिए जाना जाएगा, बल्कि अपने अद्वितीय निर्माण सामग्री के लिए भी चर्चा का विषय बनेगा। यह पंडाल 2 टन समुद्री सीपों से तैयार किया जा रहा है और इसकी ऊँचाई 70 फीट और लंबाई 110 फीट होगी। इसे विशेष रूप से पांच गुंबदों वाले मंदिर के रूप में डिज़ाइन किया गया है, जो दर्शकों को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करेगा।

"धनबाद में दुर्गा पूजा का अनोखा रूप: समुद्री सीप से बनेगा भव्य पंडाल"
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निर्माण की प्रक्रिया और सामग्री

पंडाल के निर्माण में बांस, लकड़ी के बीट, सन पैक और समुद्री सीपों का इस्तेमाल किया जा रहा है। विशेष रूप से, समुद्री सीपों को पश्चिम बंगाल के दीघा से मंगवाया गया है। इस भव्य निर्माण का कार्य पूर्वी मेदिनीपुर के गोकुलचंद्र डेकोरेटर के नेतृत्व में किया जा रहा है। लगभग 30 कारीगर पिछले 15 दिनों से दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, ताकि इस अनोखे पंडाल का निर्माण समय पर पूरा किया जा सके।

धनबाद

इस पंडाल की विशेषता केवल इसकी ऊँचाई और लंबाई में नहीं है, बल्कि इसकी भव्यता, अनोखी मूर्ति और आकर्षक विद्युत सज्जा भी इसे खास बनाएंगे। पूजा समिति के अध्यक्ष शंकर प्रसाद सिंह और सचिव प्रेमचंद्र मंडल ने बताया कि यह पंडाल स्थानीय लोगों के लिए एक नई सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक बनेगा।

स्टीलगेट दुर्गोत्सव की समृद्ध परंपरा

स्टीलगेट में दुर्गोत्सव का आयोजन 1988 से किया जा रहा है और हर वर्ष यह आयोजन और भी भव्य रूप लेता जा रहा है। इस वर्ष यह उत्सव अपने 37वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। धनबाद में थीम-आधारित पंडालों की परंपरा की शुरुआत सरायढेला कोलाकुसमा ग्राम पंचायत पूजा समिति को जाती है। 1988 में टाइटेनिक जहाज के आकार का पंडाल बनाकर इस परंपरा को नई ऊँचाई दी गई थी, जिसने पूरे क्षेत्र का ध्यान आकर्षित किया।

पिछले वर्ष स्टीलगेट में म्यांमार के गोल्डन पैलेस की आकृति का पंडाल बनाया गया था, जिसने लोगों को बहुत प्रभावित किया था। इस वर्ष, समुद्री सीप से निर्मित पंडाल को देखने के लिए लोग बेहद उत्साहित हैं। यह पंडाल न केवल धार्मिक आस्था को प्रदर्शित करेगा, बल्कि सामुदायिक एकता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देगा।

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सामुदायिक भागीदारी और उत्सव का महत्व

धनबाद के इस पंडाल का निर्माण केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सामुदायिक भागीदारी और एकता का प्रतीक भी है। स्थानीय लोग, कारीगर, और विभिन्न संगठनों ने इस पंडाल के निर्माण में सक्रिय भागीदारी की है। इससे न केवल एकता की भावना को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को भी सहेजने का काम होगा।

इसके अलावा, इको-फ्रेंडली सामग्री के उपयोग से यह संदेश भी जाएगा कि हमें अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए सचेत रहना चाहिए। समुद्री सीपों का उपयोग न केवल सुंदरता बढ़ाएगा, बल्कि यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को भी ध्यान में रखेगा।

उत्सव की तैयारियों का जश्न

धनबाद के लोग इस वर्ष के दुर्गा पूजा उत्सव का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। पंडाल की भव्यता और आकर्षण के साथ-साथ दुर्गा माता की पूजा अर्चना भी इस उत्सव का मुख्य आकर्षण है। स्थानीय कलाकारों द्वारा तैयार की गई मूर्तियों की भव्यता इस पूजा को और भी विशेष बनाएगी।

सामुदायिक आयोजनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की योजना भी बनाई गई है, ताकि सभी आयु वर्ग के लोग इस उत्सव का आनंद ले सकें।

धनबाद का यह अनोखा पंडाल निश्चित रूप से इस वर्ष की दुर्गा पूजा को विशेष बनाएगा। समुद्री सीपों से निर्मित यह पंडाल न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक होगा, बल्कि सामुदायिक एकता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देगा। इस तरह के आयोजनों से हमें अपनी परंपराओं को सहेजने और नई सोच के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।

आशा है कि इस वर्ष का दुर्गा पूजा उत्सव सभी के लिए आनंद और उल्लास से भरा हो!

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