दो पूर्व BJP नेता, देश की सबसे अमीर महिला..। हिसार विधानसभा, हरियाणा की सबसे गर्म सीट, निर्दलीय उम्मीदवारों से किसे नुकसान

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हिसार के मेयर गौतम सरदाना, जो भारतीय जनता पार्टी से बागी हुए हैं, और बीजेपी छोड़कर आए तरुण जैन भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में हैं। सांसद कुमारी सैलजा के निकटस्थ रामनिवास राड़ा भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

हरियाणा (Haryana) में हिसार विधानसभा की सीट देश में सबसे अधिक चर्चा में है। इसकी वजह देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल हैं, जो यहां से चुनाव लड़ने वाली हैं और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में राजनीति में आने को तैयार हैं। वर्तमान में, सावित्री जिंदल के बेटे नवीन जिंदल, बीजेपी से कुरुक्षेत्र के सांसद हैं। डॉ कमल गुप्ता, जो आरएसएस के करीबी माने जाते हैं, बीजेपी से हरियाणा सरकार में दो बार मंत्री बने हैं, हिसार सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

हिसार विधानसभा: देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल, बीजेपी के बागी नेता और निर्दलीय उम्मीदवारों की टक्कर

इस बार हरियाणा की हिसार विधानसभा देश की सबसे गर्म सीट के रूप में उभर रही है। प्रमुख राजनीतिज्ञों के अलावा, देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में हैं। हिसार के मेयर, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बागी नेता के बीच भी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। ऐसे में, हिसार ही नहीं, पूरे हरियाणा की राजनीति भी इस चुनाव से प्रभावित हो सकती है।

सावित्री जिंदल: सबसे अमीर महिला और निर्दलीय उम्मीदवार

हिसार विधानसभा सीट इस बार खास है क्योंकि इससे देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल चुनाव लड़ रही हैं। सावित्री जिंदल जिंदल समूह की चेयरपर्सन और उद्योगपति ओपी जिंदल की पत्नी हैं। उन्हें हरियाणा की राजनीति में भी सक्रिय भूमिका रही है और पहले भी मंत्री रह चुकी हैं। उन्हें इस चुनाव में अन्य उम्मीदवारों से अलग बनाने के लिए उनका राजनीतिक अनुभव और आर्थिक संपन्नता है। उनकी उपस्थिति ने चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है क्योंकि वे इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।

सावित्री जिंदल के बेटे नवीन जिंदल, जो फिलहाल कुरुक्षेत्र से सांसद हैं, भी राजनीति में सक्रिय हैं। नवीन जिंदल का राजनीतिक सफर काफी मजबूत रहा है और उनकी मां सावित्री जिंदल के चुनावी अभियान में उनका साथ नहीं मिल पाएगा। हिसार में सावित्री जिंदल का बहुत बड़ा जनाधार है, खासकर औद्योगिक और व्यापारिक क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है। निर्दलीय उम्मीदवार इस पद पर चुनाव लड़ने से महत्वपूर्ण हो गया है।

बीजेपी के डॉ. कमल गुप्ता: दो बार मंत्री और आरएसएस के करीबी

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने हिसार विधानसभा से हरियाणा सरकार में दो बार मंत्री रह चुके डॉ. कमल गुप्ता को टिकट दिया है। डॉ. कमल गुप्ता आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के करीबी माने जाते हैं और उनकी राजनीतिक पकड़ काफी मजबूत है। वे हिसार में लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं । कमल गुप्ता ने अपने पिछले कार्यकालों में क्षेत्र के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई हैं, जिससे उन्हें जनता का समर्थन मिलता रहा है।

डॉ. कमल गुप्ता के पक्ष में बीजेपी का संगठनात्मक ढांचा भी है, जो उन्हें इस चुनाव में मजबूत बना रहा है। हालांकि, इस बार निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या और सावित्री जिंदल की मौजूदगी से मुकाबला कड़ा हो गया है। फिर भी, बीजेपी की सत्ता में होने के कारण डॉ. गुप्ता का कद काफी ऊंचा है और वे अपनी सियासी रणनीति के जरिए इस चुनौती से निपटने की कोशिश कर रहे हैं।

बीजेपी के बागी नेता और निर्दलीय प्रत्याशी

हिसार विधानसभा चुनाव को और भी रोचक बनाने का कारण बीजेपी के बागी नेता हैं। हिसार के मौजूदा मेयर गौतम सरदाना, जो पहले बीजेपी में थे, अब पार्टी से बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। गौतम सरदाना की नगर निगम में अच्छी पकड़ मानी जाती है और वे अपने समर्थकों के बीच लोकप्रिय हैं। उनके बागी होकर चुनाव लड़ने से बीजेपी को इस सीट पर नुकसान हो सकता है।

इसके अलावा, बीजेपी से ही बागी होकर आए तरुण जैन भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। तरुण जैन का हिसार में खासा प्रभाव है और उनके समर्थकों की संख्या भी बड़ी है। बीजेपी छोड़कर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने के बाद वे भी इस चुनाव को त्रिकोणीय बना रहे हैं। इन बागी नेताओं की मौजूदगी से बीजेपी के आधिकारिक उम्मीदवार डॉ. कमल गुप्ता को सीधा नुकसान पहुंचने की संभावना है।

कांग्रेस और रामनिवास राड़ा

कांग्रेस ने हिसार विधानसभा सीट से रामनिवास राड़ा को उम्मीदवार बनाया है। रामनिवास राड़ा पहले भी इस सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। राड़ा एक अनुभवी नेता हैं और उनका क्षेत्र में अच्छा जनाधार है। वे इस बार कांग्रेस की ओर से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार जनता का समर्थन उन्हें मिलेगा। कांग्रेस की रणनीति भी इस बार क्षेत्रीय मुद्दों पर फोकस करने की है, जिसमें बेरोजगारी, कृषि समस्याएं और ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दी गई है।

रामनिवास राड़ा का चुनावी अनुभव और कांग्रेस का संगठनात्मक समर्थन उन्हें इस चुनाव में प्रमुख उम्मीदवार बना रहा है। हालांकि, सावित्री जिंदल और बीजेपी के बागी नेताओं की मौजूदगी से उनके लिए चुनौती बढ़ गई है। फिर भी, वे अपने पुराने अनुभव और कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक पर भरोसा कर रहे हैं।

आम आदमी पार्टी का दांव: संजय सातरोडिया

आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस बार हिसार विधानसभा सीट से संजय सातरोडिया को उम्मीदवार बनाया है। संजय सातरोडिया अग्रवाल समाज से आते हैं और हिसार में उनका भी अच्छा खासा प्रभाव है। आम आदमी पार्टी हरियाणा में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए पूरी ताकत लगा रही है और हिसार जैसी महत्वपूर्ण सीट पर जीत दर्ज करना उसकी प्राथमिकता है। संजय सातरोडिया की मौजूदगी से हिसार का चुनाव चतुकोणीय बन गया है, जहां हर प्रमुख दल और निर्दलीय प्रत्याशी अपने-अपने दावों को मजबूत करने में लगे हुए हैं।

आम आदमी पार्टी का फोकस क्षेत्रीय विकास और भ्रष्टाचार मुक्त शासन पर है, जो उसे अन्य दलों से अलग पहचान दिलाता है। हालांकि, हिसार में AAP की स्थिति अब तक मजबूत नहीं रही है, लेकिन संजय सातरोडिया के व्यक्तित्व और पार्टी की नीतियों के जरिए वे अपने पक्ष में हवा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

निष्कर्ष

हिसार विधानसभा का चुनाव इस बार काफी दिलचस्प और संघर्षपूर्ण हो गया है। देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल, बीजेपी के बागी नेता गौतम सरदाना और तरुण जैन, कांग्रेस के रामनिवास राड़ा, और आम आदमी पार्टी के संजय सातरोडिया के बीच कड़ा मुकाबला है। इस चुनाव का परिणाम न केवल हिसार की राजनीतिक दिशा तय करेगा, बल्कि हरियाणा की राज्य स्तरीय राजनीति पर भी इसका असर पड़ेगा।

निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका

निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका भी इस चुनाव में बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। प्रमुख नेताओं का विकल्प देने वाले कई निर्दलीय उम्मीदवार हैं। इनमें से कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों के पास स्थानीय लोगों में व्यापक जनाधार है। प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को उनकी उपस्थिति से नुकसान हो सकता है, साथ ही चुनाव परिणाम को अप्रत्याशित बना सकता है।

कई निर्दलीय उम्मीदवारों ने क्षेत्रीय मुद्दों पर केंद्रित अपने अभियानों से जनता के दिलों में जगह बनाई है। वे जाकर जनता से सीधे संवाद कर रहे है।

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