देव आनंद और सुरैया की अधूरी प्रेम कहानी: जब स्टारडम और समाज के बंधनों में हार गई मोहब्बत

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हिंदी सिनेमा के सुनहरे युग के अद्वितीय अभिनेता देव आनंद का जिक्र होते ही उनकी चार्मिंग पर्सनैलिटी और दिलकश मुस्कान की यादें ताजा हो जाती हैं। अपने समय में महिलाओं के दिलों की धड़कन रहे देव आनंद का नाम कई अभिनेत्रियों के साथ जोड़ा गया, लेकिन जिस एक लड़की से वे सच में शादी करना चाहते थे, वह कोई और नहीं बल्कि अपने दौर की मशहूर अभिनेत्री सुरैया थीं। देव आनंद का सुरैया के लिए प्यार किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। इस प्रेम कहानी में मोहब्बत, दर्द, उम्मीद और वियोग के वो सारे रंग थे, जो इसे एक यादगार दास्तान बनाते हैं।

देव आनंद और सुरैया की अधूरी प्रेम कहानी: जब स्टारडम और समाज के बंधनों में हार गई मोहब्बत
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पहली मुलाकात और पहली नजर का प्यार

देव आनंद और सुरैया की पहली मुलाकात 1948 में फिल्म विद्या के सेट पर हुई थी। सुरैया की खूबसूरती और सादगी ने देव आनंद का दिल पहली ही नजर में चुरा लिया था। देव का सुरैया के प्रति बढ़ता हुआ आकर्षण उनके कोमल और मासूम व्यक्तित्व के कारण था। सुरैया भी देव के प्रति आकर्षित हो गईं और उनकी जोड़ी न केवल फिल्मों में बल्कि असल जिंदगी में भी बनने लगी।

रिश्ते की राह में सबसे बड़ा रोड़ा: सुरैया की नानी

हालांकि देव आनंद और सुरैया दोनों एक-दूसरे से बेइंतहा प्यार करते थे, लेकिन इस रिश्ते के खिलाफ उनकी नानी खड़ी थीं। सुरैया की नानी उनकी संरक्षक थीं और उनके जीवन के हर पहलू पर गहरी नजर रखती थीं। देव आनंद का पंजाबी हिंदू होना और सुरैया का मुस्लिम पृष्ठभूमि से होना उनकी नानी को यह रिश्ता नकारने का कारण बना। यह वह दौर था जब समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेद बहुत गहरे थे। उनकी नानी का मानना था कि सुरैया का देव के साथ रिश्ता उनके परिवार की प्रतिष्ठा को प्रभावित करेगा, और इसीलिए उन्होंने उन्हें देव से दूरी बनाए रखने का निर्देश दिया।

कोर्ट मैरिज का निर्णय और टूटे अरमान

अपने रिश्ते को सफल बनाने के लिए देव और सुरैया ने कोर्ट मैरिज करने का भी फैसला कर लिया था। देव के लिए सुरैया के साथ जीवन बिताने का सपना सबसे कीमती था। इस फैसले ने उनकी मोहब्बत को और मजबूत किया, लेकिन सुरैया की नानी ने इस कदम को भी असंभव बना दिया। अपनी नानी के कठोर निर्णय और दबाव के कारण, सुरैया कोर्ट मैरिज के लिए कदम बढ़ा ही नहीं पाईं। जब सुरैया बार-बार इस फैसले से पीछे हटने लगीं, तब देव आनंद ने नाराजगी में उन्हें थप्पड़ तक जड़ दिया।

हालांकि, देव आनंद को अपनी गलती का तुरंत एहसास हुआ, और उन्होंने सुरैया से माफी मांगकर अपने प्यार को फिर से जताने का प्रयास किया। इसके बावजूद, सुरैया के दिल पर इस घटना का गहरा प्रभाव पड़ा। नानी के प्रभाव के कारण सुरैया ने अपनी भावनाओं को दबा लिया और देव के साथ अपने संबंधों पर विराम लगाने का मन बना लिया।

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फिल्म अफसर और देव का त्याग

देव आनंद ने सुरैया के लिए सिर्फ अपने दिल का ही नहीं, बल्कि अपनी जेब का भी बड़ा हिस्सा लुटा दिया था। फिल्म अफसर की शूटिंग के दौरान देव आनंद के भाई चेतन आनंद ने इस फिल्म का निर्देशन और निर्माण किया था, और देव चाहते थे कि इस फिल्म की हीरोइन सुरैया ही हों।

सुरैया की नानी ने इस फिल्म के लिए उनकी फीस को दोगुना करवा दिया, यह सोचकर कि इससे देव पीछे हट जाएंगे। लेकिन देव का प्यार इतना गहरा था कि उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के दोगुनी फीस अदा कर दी। हालांकि, उनकी यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही, लेकिन यह उनकी मोहब्बत का एक ऐसा उदाहरण था जिसने साबित किया कि वे सुरैया के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे।

सुरैया का दर्द और नानी का डर

सुरैया के लिए देव आनंद का प्यार सिर्फ शब्दों में नहीं था। देव ने उन्हें अपनी भावनाओं का इजहार करते हुए अपने हाथ से बनाई हुई एक पेंटिंग भी गिफ्ट की थी। यह उनकी तरफ से माफी और प्यार का प्रतीक था। लेकिन नानी के डर के कारण सुरैया देव आनंद को इसका कोई जवाब नहीं दे पाईं। उन्होंने चुपचाप उस पेंटिंग को अपने पास रखा, लेकिन देव के प्यार को स्वीकार नहीं कर सकीं। यह उनके बीच की एक दीवार थी जिसे पार करना उनके लिए मुश्किल साबित हुआ।

देव और सुरैया का दर्दनाक अंत

इस प्रेम कहानी का अंत दिल को दुखाने वाला था। एक समय ऐसा आया जब दोनों ने अपने रास्ते अलग कर लिए, लेकिन उनके दिलों में एक-दूसरे के लिए प्यार और दर्द हमेशा बना रहा। देव आनंद और सुरैया कभी एक नहीं हो पाए, और उनकी मोहब्बत अधूरी रह गई। देव आनंद ने बाद में कल्पना कार्तिक से शादी कर ली, लेकिन उनका दिल हमेशा सुरैया के लिए धड़कता रहा। सुरैया ने भी अपनी जिंदगी में किसी और को जगह नहीं दी और जीवन भर अविवाहित रहीं।

प्रेम कहानी जो बॉलीवुड की प्रेरणा बन गई

देव आनंद और सुरैया की प्रेम कहानी सिर्फ एक अधूरी मोहब्बत नहीं थी, बल्कि एक ऐसी कहानी थी जिसने बॉलीवुड की कई पीढ़ियों को प्रेरणा दी। उनके प्यार में त्याग, दर्द, और समाज के बंधनों से जूझते दो दिलों की कहानी है जो समय के साथ कालातीत बन गई है। उनकी मोहब्बत ने यह साबित कर दिया कि सच्चा प्यार वह होता है जो किसी भी परिस्थिति में अपने प्रिय के लिए खड़ा रहता है, चाहे अंत कितना भी दर्दनाक क्यों न हो।

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निष्कर्ष: एक अमर प्रेम कहानी

देव आनंद और सुरैया का प्यार और उनकी अधूरी प्रेम कहानी हिंदी सिनेमा का एक अमूल्य हिस्सा है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चा प्यार हमेशा कायम रहता है, भले ही दो लोग एक-दूसरे के साथ जीवन नहीं बिता सकें। देव आनंद और सुरैया की यह दास्तान आज भी प्रेमियों के दिलों को छूती है और हमें यह एहसास दिलाती है कि प्रेम की सच्ची ताकत में त्याग और समर्पण है।

उनकी यह अधूरी प्रेम कहानी भले ही उस समय के समाज के कारण पूरी नहीं हो सकी, लेकिन आज भी यह लोगों के दिलों में जिन्दा है और एक अमर प्रेम कहानी के रूप में जानी जाती है।

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