दशहरा 2024: महत्व, मुहूर्त और शुभ संयोग

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दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसे हर वर्ष बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष, दशहरा का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस बार के दशहरे में तीन शुभ संयोग बन रहे हैं। इस लेख में हम दशहरा के महत्व, रावण दहन का समय, शस्त्र पूजा, दुर्गा विसर्जन, और इन सभी के पीछे की धार्मिक मान्यता के बारे में चर्चा करेंगे।

दशहरा 2024: महत्व, मुहूर्त और शुभ संयोग
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दशहरा का महत्व

दशहरा का त्योहार भगवान श्रीराम द्वारा रावण का वध करने के अवसर पर मनाया जाता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें यह सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, उसे हमेशा समाप्त किया जा सकता है। यह पर्व हमें अपनी नकारात्मकता और कठिनाइयों को पार करने के लिए प्रेरित करता है। दूसरी ओर, इस दिन मां दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध करने की घटना भी हमें शक्ति और साहस का संदेश देती है।

दशहरा 2024 मुहूर्त

इस वर्ष दशहरा 12 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, दशहरा अश्विन शुक्ल दशमी तिथि को मनाया जाता है।

  • अश्विन शुक्ल दशमी तिथि का प्रारंभ: 12 अक्टूबर, सुबह 10:58 बजे से
  • अश्विन शुक्ल दशमी तिथि का समापन: 13 अक्टूबर, सुबह 9:08 बजे पर
  • दशहरा का ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:41 बजे से 05:31 बजे तक
  • दशहरा का अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:44 बजे से 12:30 बजे तक
  • देवी अपराजिता की पूजा का समय: आज, दोपहर 02:03 बजे से 02:49 बजे के बीच

तीन शुभ संयोग

इस साल के दशहरे पर तीन शुभ संयोग बन रहे हैं:

  1. श्रवण नक्षत्र: यह नक्षत्र पूरे दिन रहेगा और यह पूजा-पाठ के लिए शुभ माना जाता है।
  2. रवि योग: यह योग भी पूरे दिन रहेगा और सूर्य के प्रभाव से सभी दोष मिट जाते हैं।
  3. सर्वार्थ सिद्धि योग: यह योग सुबह 06:20 बजे से बन रहा है, जो 13 अक्टूबर को सुबह 04:27 बजे तक रहेगा। इस योग में किए गए सभी शुभ कार्य सफल होते हैं।
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शस्त्र पूजा का समय

दशहरे पर शस्त्र पूजा का विशेष महत्व है। इस वर्ष, शस्त्र पूजा का समय दोपहर 02:03 बजे से 02:49 बजे तक है। इस समय शस्त्रों की पूजा करना और उन्हें सही तरीके से रखकर आने वाले वर्ष के लिए शुभ कामना करना आवश्यक होता है। यह पूजा युद्ध और सुरक्षा का प्रतीक है और यह हमें अपने आत्मरक्षा के लिए सजग रहने की प्रेरणा देती है।

दुर्गा विसर्जन समय

जो लोग अपने घरों में मां दुर्गा की मूर्तियों की स्थापना करते हैं, वे उन्हें विसर्जन करने के लिए आज दोपहर 1:17 बजे से 3:35 बजे के बीच जा सकते हैं। दुर्गा विसर्जन का अर्थ है देवी के प्रति अपनी श्रद्धा और आभार व्यक्त करना। यह क्रिया न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे अंदर की नकारात्मकता को भी दूर करती है।

दशहरा 2024 रावण दहन मुहूर्त

दशहरे पर रावण दहन का समय शाम को 5:54 बजे के बाद से निर्धारित किया गया है। इस समय से ढाई घंटे तक रावण दहन किया जा सकता है। प्रदोष काल, जो सूर्यास्त के बाद शुरू होता है, में रावण दहन करना बहुत शुभ माना जाता है। रावण का दहन बुराई का अंत और अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

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नीलकंठ पक्षी का महत्व

लोककथाओं के अनुसार, भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति के लिए भगवान शिव की पूजा की थी। तब भगवान शिव ने नीलकंठ पक्षी के रूप में दर्शन दिए। इसलिए, दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी को देखना शुभ माना जाता है। इसे देखकर लोग यह विश्वास करते हैं कि वे ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त होंगे और सुख-शांति प्राप्त करेंगे।

दशहरा न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह हमें अपने जीवन में अच्छाई की विजय के लिए प्रेरित करता है। इस वर्ष के दशहरे पर बन रहे शुभ संयोग इसे और भी विशेष बना रहे हैं। हमें चाहिए कि हम इस पर्व को खुशी और श्रद्धा के साथ मनाएं, अपने नकारात्मक विचारों को छोड़कर सकारात्मकता की ओर बढ़ें और अपने जीवन में संतुलन बनाए रखें।

इस अवसर पर सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं!

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