अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव 5 नवंबर को होने वाले हैं, और इस बार मुकाबला है पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और वर्तमान उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के बीच। दोनों नेता अपने-अपने दृष्टिकोण और नीतियों के साथ मैदान में हैं, और इस बार चुनावी मैदान में भारत का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। ट्रंप ने हाल ही में आयात शुल्क के मुद्दे पर भारत को ‘टैरिफ किंग’ करार दिया, जबकि हैरिस का रुख इस मामले में अपेक्षाकृत नरम है। इस ब्लॉग में हम दोनों नेताओं की नीतियों और उनके भारत के प्रति दृष्टिकोण की चर्चा करेंगे, और देखेंगे कि इनका प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या हो सकता है।
डोनल्ड ट्रंप का आक्रामक रुख
डोनल्ड ट्रंप हमेशा से ही अमेरिका के व्यापारिक हितों को प्राथमिकता देते आए हैं। उनका कहना है कि जब वे सत्ता में आएंगे, तो वे भारत, चीन और ब्राजील के सामानों पर आयात शुल्क बढ़ाने की योजना बनाएंगे। उन्होंने भारत को सबसे अधिक आयात शुल्क लेने वाला देश बताया है और कहा है कि अमेरिका को इन नीतियों का जवाब देना होगा। ट्रंप ने कहा, “भारत बहुत अधिक शुल्क लेता है,” जो यह दर्शाता है कि वे भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को लेकर कितने चिंतित हैं।
उनका रुख निश्चित रूप से व्यापारिक संरक्षणवाद की दिशा में है। ट्रंप के अनुसार, अमेरिका को ‘पारस्परिकता’ पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जिसका अर्थ है कि यदि भारत उच्च आयात शुल्क लगाएगा, तो अमेरिका भी उसके सामान पर शुल्क लगाने का अधिकार रखता है। यह दृष्टिकोण भारतीय उद्योगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर उन क्षेत्रों के लिए जो अमेरिका पर निर्भर हैं।
कमला हैरिस का समावेशी दृष्टिकोण
दूसरी ओर, डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस का दृष्टिकोण अपेक्षाकृत उदार है। उन्होंने 2020 में कहा था, “हमें अपना सामान बेचना है। और इसका मतलब है कि हमें इसे विदेशों में लोगों को बेचना है।” हैरिस का यह बयान स्पष्ट करता है कि वे व्यापारिक नीतियों में एक नरम रुख अपनाने के पक्षधर हैं, जो भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, उन्होंने आयात शुल्क के मुद्दे पर अब तक कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है, लेकिन उनके पिछले बयानों से यह स्पष्ट होता है कि वे संरक्षणवाद की बजाय व्यापार को बढ़ावा देने में रुचि रखती हैं।
भारत के लिए स्थिति की संवेदनशीलता
भारत में औसत आयात शुल्क दर लगभग 17% है, जो विकसित देशों जैसे अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ की तुलना में काफी अधिक है। इससे भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर असर पड़ता है। ट्रंप के संरक्षणवादी दृष्टिकोण के चलते, भारत को अपने निर्यात और आयात नीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो सकती है। यदि ट्रंप सत्ता में आते हैं, तो यह भारतीय उद्योगों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती हो सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जो अमेरिका पर निर्भर हैं।
भारत-अमेरिका संबंधों का भविष्य
कमला हैरिस की नीति, यदि वे राष्ट्रपति बनती हैं, तो भारतीय उद्योगों को अधिक सहायक हो सकती है। उनके दृष्टिकोण से यह प्रतीत होता है कि वे व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने की कोशिश करेंगी, जो अंततः भारतीय निर्यातकों के लिए लाभकारी होगा। वहीं, ट्रंप के रुख से भारत को कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है। भारत और अमेरिका के बीच अच्छे संबंधों के बावजूद, ट्रंप की व्यापार नीतियाँ भारत की आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर सकती हैं।
अमेरिकी चुनावों में ट्रंप और हैरिस के बीच की प्रतिस्पर्धा केवल अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है। जहां ट्रंप का दृष्टिकोण व्यापारिक संरक्षणवाद की ओर है, वहीं हैरिस का दृष्टिकोण व्यापार को बढ़ावा देने की ओर संकेत करता है। यह चुनाव न केवल अमेरिका के भविष्य को आकार देगा, बल्कि इसके परिणाम भारतीय उद्योगों पर भी गहरा प्रभाव डालेंगे।
भारत को अपने व्यापारिक नीतियों में लचीलापन बनाए रखना होगा और वैश्विक परिवर्तनों के अनुसार अनुकूलित होना होगा। चाहे जो भी जीतें, भारतीय उद्योगों को अपने लिए सही रणनीति अपनाने की आवश्यकता होगी ताकि वे वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकें। इस प्रकार, अमेरिकी चुनाव 2024 भारत के लिए एक नई दिशा में उड़ान भरने का अवसर हो सकता है।