जोधपुर हाईकोर्ट का निर्णय: आयुष नर्सिंग भर्ती 2023 में योगा इंस्ट्रक्टरों को बोनस अंक की मांग खारिज

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जोधपुर, राजस्थान – जोधपुर हाईकोर्ट ने हाल ही में आयुष नर्सिंग भर्ती 2023 से संबंधित एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसने योगा इंस्ट्रक्टरों की बोनस अंक की मांग को खारिज कर दिया। यह मामला उन अभ्यार्थियों का था, जिन्होंने योगा इंस्ट्रक्टर के पद पर कार्यरत होने के दौरान कोविड-19 महामारी के दौरान सेवाएं प्रदान की थीं। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में सरकार की दलीलों को स्वीकार करते हुए योगा इंस्ट्रक्टरों की याचिका को अस्वीकार कर दिया, जिससे अब आयुष नर्सिंग भर्ती का रास्ता साफ हो गया है।

जोधपुर
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मामले का पृष्ठभूमि

यह मामला तब शुरू हुआ जब योगा इंस्ट्रक्टरों ने एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने कोविड काल के दौरान दिए गए उनके कार्य के आधार पर आयुष नर्सिंग भर्ती में बोनस अंक की मांग की थी। उनका तर्क था कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए एक आदेश के तहत, जिन्होंने इस अवधि में सेवाएं दी हैं, उन्हें बोनस अंक मिलना चाहिए। यह आदेश यह निर्धारित करता था कि कोविड के दौरान काम करने वालों को उनकी सेवाओं के अनुसार विशेष अंक दिए जाएंगे।

हालांकि, राज्य सरकार ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि योगा इंस्ट्रक्टर केवल एक घंटे की स्वेच्छिक सेवा के तहत कार्यरत हैं और उनका कार्य आयुष नर्सिंग से संबंधित नहीं है। सरकार ने तर्क किया कि आयुर्वेद विभाग और चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग अलग हैं, और इसलिए योगा इंस्ट्रक्टरों की सेवा का इस भर्ती प्रक्रिया पर कोई प्रभाव नहीं है।

जोधपुर हाईकोर्ट का फैसला

जस्टिस फरजंद अली की कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद इस मामले का फैसला सुरक्षित रखा था। अंततः, कोर्ट ने योगा इंस्ट्रेक्टरों की याचिका को अस्वीकार कर दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि योगा इंस्ट्रक्टरों के बोनस अंक की मांग निराधार थी। इस फैसले ने एक हजार से अधिक पदों पर भर्ती की प्रक्रिया को गति दी है और आयुष नर्सिंग अभ्यर्थियों के लिए नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया है।

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योगा इंस्ट्रक्टरों की स्थिति

महत्वपूर्ण यह है कि योगा इंस्ट्रक्टरों को अस्थाई रूप से नियुक्त किया गया था और वे प्रतिदिन केवल एक घंटे के लिए कार्यरत थे। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने आयुष वेलनेस सेंटर पर योग प्रशिक्षकों और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की भर्ती के लिए एक योजना बनाई थी। योग प्रशिक्षकों की नियुक्ति में योग में डिप्लोमा धारक और स्नातक शामिल थे, जो कि आयुष नर्सिंग के अभ्यर्थियों के लिए भी खुला था।

हालांकि, यह स्पष्ट है कि इन प्रशिक्षकों की स्थिति और कार्य आयुष नर्सिंग के समकक्ष नहीं हैं। इस दृष्टिकोण को कोर्ट ने भी मान्यता दी और सरकार के तर्कों को सही पाया।

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भर्ती प्रक्रिया पर प्रभाव

इस निर्णय के बाद, अब आयुष नर्सिंग भर्ती के अभ्यार्थियों के लिए स्थिति स्पष्ट हो गई है। जिन अभ्यार्थियों ने इस भर्ती के लिए लंबे समय से प्रतीक्षा की थी, उन्हें अब उम्मीद है कि उनका चयन जल्दी होगा। इससे भर्ती प्रक्रिया में तेजी आएगी और योग्य अभ्यार्थियों को उनके हक के अनुसार नौकरी मिल सकेगी।

जोधपुर हाईकोर्ट का यह निर्णय न केवल आयुष नर्सिंग भर्ती के अभ्यार्थियों के लिए राहत का सबब है, बल्कि यह योगा इंस्ट्रक्टरों के लिए भी एक संकेत है कि सरकारी नीति और नियमों का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस मामले ने यह भी स्पष्ट किया है कि विभिन्न विभागों के कार्य और उनके अंतर्गत आने वाले नियमों की परिभाषा को समझना आवश्यक है।

यह फैसला न केवल न्यायिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भविष्य में इसी प्रकार के मामलों में भी एक मार्गदर्शक सिद्ध होगा। अब देखना यह है कि सरकार इस निर्णय के बाद भर्ती प्रक्रिया को कितनी जल्दी आगे बढ़ाती है और योग्य अभ्यार्थियों को नौकरी के अवसर प्रदान करती है।

इस प्रकार, जोधपुर हाईकोर्ट का यह फैसला राजस्थान के आयुष नर्सिंग क्षेत्र में एक नया अध्याय खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।

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