भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में संभावित कमी की चर्चा गर्म हो रही है। मंत्री स्तरीय समिति, जो जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए बनाई गई है, आम आदमी को राहत देने के लिए कई दवाइयों, इंश्योरेंस, ट्रैक्टरों और अन्य आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी दरों को 5% तक कम करने पर विचार कर रही है। यह कदम न केवल लोगों की जेब पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा, बल्कि यह अर्थव्यवस्था को भी एक नई दिशा देने का काम करेगा। आइए, इस लेख में हम इस विषय पर गहराई से चर्चा करते हैं।
जीएसटी दरों में बदलाव की आवश्यकता
जीएसटी भारत में एक महत्वपूर्ण कर प्रणाली है, जिसका उद्देश्य विभिन्न प्रकार के करों को एकीकृत करना है। हालांकि, इसके लागू होने के बाद से कई लोगों ने दरों की जटिलता और उनकी ऊँचाई पर सवाल उठाए हैं। विशेष रूप से, आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर उच्च जीएसटी दरें आम जनता के लिए बोझ बन गई हैं। ऐसे में, सरकार द्वारा दरों में कमी का यह प्रस्ताव एक सकारात्मक कदम है।
संभावित राहत की वस्तुएं
1. दवाइयाँ
दवाइयों पर जीएसटी दर में कमी से लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं पर कम खर्च करना पड़ेगा। स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी को 18% से घटाकर 12% करने का विचार है, जो कि गंभीर रूप से बीमार लोगों के लिए एक बड़ा राहत साबित हो सकता है।
2. ट्रैक्टर
ट्रैक्टरों पर जीएसटी दरें वर्तमान में 12% से 28% के बीच हैं, जो उनके वर्गीकरण पर निर्भर करती हैं। यदि इन पर जीएसटी दर को 5% किया जाता है, तो यह किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत होगी। कृषि क्षेत्र में इस प्रकार की सहायता से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
3. इंश्योरेंस
टर्म इंश्योरेंस पर जीएसटी की दर को 5% करने का प्रस्ताव है। हालांकि, इसे शून्य करने की मांग भी उठ रही है, लेकिन इससे बीमा कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का नुकसान हो सकता है। इस लिहाज से, 5% की दर सबसे व्यवहारिक मानी जा रही है।
4. अन्य वस्तुएं
समिति ने यह भी संकेत दिया है कि 12% के स्लैब में शामिल कई वस्तुओं को 5% या 18% के स्लैब में स्थानांतरित किया जा सकता है। इससे वस्तुओं की कीमतें कम होंगी और आम लोगों के लिए आवश्यक सामान सस्ता होगा।
सरकार की आर्थिक स्थिति
हालांकि, जीएसटी दरों में कमी के इस प्रस्ताव के पीछे कुछ राज्य वित्त मंत्रियों की आपत्तियाँ भी सामने आई हैं। केरल, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने वर्तमान दरों को बनाए रखने का पक्ष लिया है। विशेषकर केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने दरों को कम करने में संकोच दिखाया है, क्योंकि राज्य की वित्तीय स्थिति कमजोर है।
सिफारिशों की समयसीमा
इस महीने के अंत तक मंत्री स्तरीय समिति अपनी सिफारिशें स्पष्ट करेगी। 19 अक्टूबर को बीमा पर चर्चा के लिए बैठक होगी, और 20 अक्टूबर को दर युक्तिकरण पर वस्तु-विशेष पर चर्चा की जाएगी। यदि समिति के सुझावों को मंजूरी मिलती है, तो यह सरकार की ओर से एक बड़ा कदम साबित होगा।
आर्थिक प्रभाव
जीएसटी दरों में कमी का प्रभाव सिर्फ आम आदमी तक ही सीमित नहीं होगा। इससे उद्योग और व्यापार में भी सुधार होगा। जब वस्त्रों, दवाइयों और अन्य आवश्यक चीजों की कीमतें कम होंगी, तो उपभोक्ता अधिक खरीदारी करेंगे। इससे बाजार में मांग बढ़ेगी, जो आर्थिक विकास को गति देगी।
जीएसटी दरों में संभावित कमी की खबर निश्चित रूप से आम लोगों के लिए राहत की एक किरण है। इससे न केवल उनकी जीवनशैली में सुधार होगा, बल्कि यह भारत की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगा। हालांकि, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि दरों में कमी के साथ-साथ सरकार की राजस्व वृद्धि भी संतुलित हो सके। आने वाले दिनों में यदि समिति के सुझावों को लागू किया जाता है, तो यह भारत के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
इसलिए, सभी की नजरें अब मंत्री स्तरीय समिति की सिफारिशों पर हैं, जो कि एक नई शुरुआत की ओर इशारा कर रही हैं। आशा है कि यह प्रक्रिया भारत को एक समृद्ध और सशक्त अर्थव्यवस्था की ओर ले जाएगी।