जयराम रमेश ने कहा कि non-biological PM पहले मणिपुर जाएं फिर आकाश में; ISRO प्रमुख ने कहा कि MODI अंतरिक्ष यात्रा कर सकते हैं

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PM MODI के Space जाने की अटकलें

PM MODI के Space जाने की अटकलों ने भारतीय राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में एक नई बहस को जन्म दिया है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के चीफ एस सोमनाथ के एक बयान के बाद ये अटकलें और जोर पकड़ने लगी हैं। सोमनाथ ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि PM MODI भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के यात्री हो सकते हैं। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है।

जयराम रमेश का तंज

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने PM MODI पर तीखा हमला करते हुए कहा कि उन्हें पहले मणिपुर जाना चाहिए, उसके बाद अंतरिक्ष की यात्रा पर विचार करना चाहिए। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, ‘non-biological PM को स्पेस में जाने से पहले मणिपुर जाना चाहिए।’

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मणिपुर की स्थिति

जयराम रमेश ने मणिपुर की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि राज्य में संवैधानिक तंत्र खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त 2023 को मणिपुर में संवैधानिक तंत्र की समाप्ति की बात कही थी और 3 जुलाई को फिर से कोर्ट ने राज्य सरकार पर भरोसा नहीं जताया। इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर की स्थिति को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।

मणिपुर में हिंसा

मणिपुर 3 मई 2023 से जल रहा है। विभिन्न समुदायों के बीच हिंसा हो रही है, सैकड़ों लोग मारे गए हैं, और हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं। राज्य में अशांति की स्थिति बनी हुई है और लोग भयभीत हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया है कि राज्य में संवैधानिक मशीनरी खत्म हो गई है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी अब तक मणिपुर नहीं गए हैं।

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प्रधानमंत्री की प्राथमिकताएँ

जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को पहले देश के भीतर की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए, न कि अंतरिक्ष में जाने की योजनाओं पर। मणिपुर की स्थिति को देखते हुए, प्रधानमंत्री का वहां जाना और स्थिति को संभालना बेहद जरूरी है।

क्या है गगनयान मिशन?

गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है। इस मिशन का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना है। इसरो इस मिशन की तैयारी में जुटा हुआ है और यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। यदि PM MODI इस मिशन के यात्री बनते हैं, तो यह भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण क्षण होगा।

जनता की प्रतिक्रिया

जनता के बीच भी इस मुद्दे पर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ हैं। कुछ लोग प्रधानमंत्री मोदी के अंतरिक्ष यात्रा के विचार से गर्वित महसूस कर रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि पहले देश के भीतर की समस्याओं का समाधान होना चाहिए। मणिपुर की स्थिति को देखते हुए, यह सवाल उठता है कि क्या प्रधानमंत्री की प्राथमिकताएँ सही दिशा में हैं।

PM नरेंद्र MODI के स्पेस जाने की अटकलों ने भारतीय राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है। जयराम रमेश का तंज और मणिपुर की स्थिति पर उनके सवाल ने इस बहस को और गरम कर दिया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रधानमंत्री मोदी इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं और क्या वे मणिपुर की स्थिति को सुधारने के लिए कोई ठोस कार्यवाही करते हैं या नहीं। भारत के भविष्य के लिए यह समय महत्वपूर्ण है और प्रधानमंत्री की प्राथमिकताएँ इस समय की मांग के अनुसार होनी चाहिए।

मणिपुर की स्थिति और सरकार की उदासीनता

मणिपुर की स्थिति पिछले कुछ महीनों से अत्यधिक चिंताजनक है। हिंसा और अस्थिरता के कारण सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। विभिन्न समुदायों के बीच बढ़ते तनाव और राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति के कमजोर होने के कारण जनता में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ रही है।

जयराम रमेश का कठोर प्रहार

जयराम रमेश ने इस गंभीर स्थिति पर PM की चुप्पी और उदासीनता की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में संवैधानिक तंत्र की समाप्ति और राज्य सरकार की अक्षमता के बावजूद PM नरेंद्र मोदी ने अब तक वहां जाने की जहमत नहीं उठाई है। रमेश ने यह भी कहा कि PM सिर्फ भाषणों और बातों से समस्या का समाधान नहीं कर सकते; उन्हें जमीनी हकीकत को समझते हुए ठोस कदम उठाने होंगे।

मीडिया और जनता की भूमिका

मीडिया और जनता का भी इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण भूमिका है। मणिपुर की स्थिति को लेकर मीडिया में पर्याप्त कवरेज नहीं होने के कारण यह मुद्दा राष्ट्रीय ध्यान से हट गया है। जनता को भी सरकार पर दबाव बनाना चाहिए ताकि वे इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान दें।

विपक्ष का रुख

विपक्ष ने मणिपुर की स्थिति को लेकर सरकार पर लगातार हमले किए हैं। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी प्रधानमंत्री की आलोचना की है और उन्हें मणिपुर की स्थिति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की है। विपक्ष का कहना है कि सरकार की प्राथमिकताएँ गलत दिशा में हैं और उन्हें देश के भीतर की समस्याओं पर पहले ध्यान देना चाहिए।

PM का स्पेस मिशन: एक गर्व या प्राथमिकता में गड़बड़ी

इसरो चीफ एस सोमनाथ का PM नरेंद्र MODI को गगनयान मिशन के यात्री के रूप में भेजने का प्रस्ताव राष्ट्रीय गर्व का विषय हो सकता है, लेकिन क्या यह समय सही है? जब देश के कुछ हिस्सों में अशांति और हिंसा का माहौल है, तब प्रधानमंत्री की प्राथमिकताएँ और योजनाएँ सवालों के घेरे में हैं।

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सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार ने अब तक जयराम रमेश और अन्य विपक्षी नेताओं की आलोचनाओं पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में सरकार मणिपुर की स्थिति को सुधारने के लिए क्या कदम उठाती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर क्या बयान देते हैं।

मणिपुर के लोगों की उम्मीदें

मणिपुर के लोग अपने राज्य की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार से ठोस कदमों की उम्मीद कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि PM नरेंद्र मोदी उनके राज्य की समस्याओं पर ध्यान देंगे और वहां जाकर स्थिति का जायजा लेंगे।

PM नरेंद्र MODI के स्पेस मिशन की अटकलों और मणिपुर की स्थिति के बीच उत्पन्न विवाद ने एक गंभीर बहस को जन्म दिया है। जहां एक तरफ गगनयान मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हो सकती है, वहीं दूसरी तरफ मणिपुर की जलती हुई स्थिति को अनदेखा करना एक गंभीर गलती होगी। प्रधानमंत्री की प्राथमिकताएँ और उनके द्वारा उठाए गए कदम आने वाले समय में देश की दिशा और दशा को निर्धारित करेंगे। जनता और विपक्ष की उम्मीदें और आलोचनाएँ सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश हैं कि उन्हें अपनी प्राथमिकताएँ सही दिशा में निर्धारित करनी चाहिए।

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